Shakambhari Jayanti 2023: 6 जनवरी 2023 को पौष पूर्णिमा पर माता शाकंभरी की जयंती मनाई जाएगी. मां शाकंभरी वनस्पति की देवी मानी जाती हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकंभरी नवरात्र की शुरुआत होती है और इस महीने की पूर्णिमा तिथि पर इसका समापन होता है.
मां शाकंभरी देवी (Maa Shakambhari) दुर्गा का ही सौम्य रूप है. इन्हें शताक्षी नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं आदिशक्ति मां दुर्गा ने आखिर क्यों लिया शाकंभरी अवतार, इस दिन कैसे करें माता की पूजा और क्या है मुहूर्त.
शाकंभरी जयंती 2023 मुहूर्त (Shakambhari Jayanti 2023 Muhurat)
शांकभरी जयंती को शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. तिथि 6 जनवरी 2023, शुक्रवार प्रात: 2 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रही है. अगलते दिन यानी कि 7 जनवरी 2023 को सुबह 04 बजकर 37 मिनट पर शाकंभरी पूर्णिमा का समापन होगा.
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मां शाकंभरी की पूजा विधि (Shakambhari Jayanti Puja Vidhi)
- शाकंभरी जयंती पर स्नानादि के बाद साफ वस्त्र धारण करें और पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं.
- मां दुर्गा की की प्रतिमा स्थापित करें. अब देवी शाकंभरी का स्मरण कर. हल्दी, कुमकुम, अक्षत, सुहाक का सामान चढ़ाएं.
- शाकंभरी देवी को वनस्पति की देवी माना गया है. इनकी पूजा में ताजे फल और सब्जियों का भोग लगाना जरूरी है.
- माता के इस मंत्र का जाप करें – शाकंभरी नीलवर्णानीलोत्पलविलोचना। मुष्टिंशिलीमुखापूर्णकमलंकमलालया।।
- देवी शाकंभरी की कथा सुनें और फिर आरती कर दें. इसके बाद जरुरतमंदों को फल, सब्जियां, अन्न, जल का दान करें, इससे देवी की पूजा का फल जल्द प्राप्त होता है. घर में अन्न, धन की कमी नहीं होती.
मां शाकंभरी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ गया था. सूखे के कारण लोग जल के लिए तरसने लगे. पानी और खाद्य का गंभीर संकट देखकर भक्तों ने मां दुर्गा से इस समास्या का समाधान करने की प्रार्थना की. तब देवी दुर्गा ने शाकंभरी रूप का अवतार लिया. कहते हैं कि मां शाकंभरी की हजारों आंखों से 9 दिन तक लगातार पानी बरसता रहा, जिससे सूखे की समस्या खत्म हो गई और हर जगह हरियाली छा गई.
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