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Padma Shri Award: कहीं नौकरी नहीं मिली तो इस तरह खेती का काम करना शुरू किया… अब मिला पद्मश्री

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Padma Shri Award: केंद्र सरकार ने देश की उन हस्तियों की लिस्ट जारी कर दी हैं जिन्हें देश के विख्यात पुरस्कार पद्मश्री से नवाजा जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के पुरस्कारों को उन्हीं लोगों को नवाजा जाता है, जिन्होंने जीवन में जमीन से उठकर किसी विशिष्ट क्षेत्र में नया मुकाम हासिल किया हो. इससे जन जन प्रभावित और लाभान्वित हो. आज ऐसी ही शख्सियत से रूबरू कराएंगे. जिसने नौकरी पाने के लिए धक्के खाए. लेकिन कहीं मुकाम नहीं मिला तो अपना भविष्य ही खेती को चुन लिया. 

10 वीं तक पढ़ाई की, नहीं मिली नौकरी
हिमाचल के मंडी जिले के करसोग के नांज गांव के साधारण परिवार में नेक राम का जन्म हुआ. अभी उनकी उम्र 59 वर्ष हो चुकी है. लेकिन जन्म से 59 साल तक के पड़ाव ने जीवन में काफी संघर्ष किया है. पढ़ने में औसत छात्र रहे नेकराम शर्मा ने 10 वीं पास कर ली. पारिवारिक स्थितियों को देखते हुए उन्होंने नौकरी करने का निर्णय लिया. नौकरी के लिए वो कई जगह भटके, लेकिन कहीं नौकरी नहीं मिली. भविष्य में क्या करें? इसको लेकर सोच विचार किया. 

फिर सोचा, क्यों न प्राकृतिक खेती की जाए
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पद्मश्री नेक राम ने बताया कि नौकरी न लगने पर जीवन चलाने का संकट पैदा हो गया. बाद में खेती में अपना जीवन चुन लिया. लोग खेती में कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं. उन्होनें सोचा कि प्राकृतिक खेती से एनवायरमेंट को संवारा जा सकता है. सेहत से होने वाले खिलवाड़ को भी रोका जा सकता है. इसी संबंध में प्रशिक्षण पाने के लिए वो बेंगलुरु पहुंच गए. वहां उन्होंने कृषि की पारंपरिक खेती को लेकर जानकारी ली. वहां उन्होंने नौ अनाज प्रणाली के बारे में जाना. इसके बादनौणी और पालमपुर विश्वविद्यालय में भी खेती के गुर सीखे. 1995 के आसपास उसी ढंग से प्राकृतिक खेती करनी शुरू कर दी.
 
नेक राम ने फसल की इस विधि को चुना
कृषि क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए किसान नेकराम शर्मा को चुना गया है. नेकराम शर्मा नौ अनाज की पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित कर रहे हैं. यह एक प्राकृतिक अंतरफसल विधि है. इसमें 9 खाद्यान्न बिना किसी कैमिकल प्रयोग के जमीन के टुकड़े पर उगा दिए जाते हैं. नेकराम शर्मा का कहना है कि ऐसा करने से पानी के उपयोग में 50 फीसदी की कटौती होती और जमीन की उर्वरकता बढ़ती है. अन्य किसानों को भी इस प्रणाली को अपनाने की सलाह दे रहे हैं. फसल से ही स्वदेशी बीजों का उत्पादन शुरू कर दिया है. करीब 10 हजार किसानों को फ्री में बीज भी दे रहे हैं. 

40 तरह के अनाज का बनाया बीज बैंक
नेक राम शर्मा ने बताया कि ने उनके पास 40 तरह के अनाज का बीज बैंक है. इनमें कई ऐसे बीजों को संरक्षित किया गया है. जिनका नाम यो तो किसी व्यक्ति ने सुना ही नहीं है या फिर अनदेखी से विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए. अब वह इन बीजों को पुनजीर्वित करने का प्रयास कर रहे  हैं. नेकराम के काम में उनकी पत्नी, बहू और बेटा भी मदद करते हैं. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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