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HIG, LIG, MIG… ये सब घरों के टाइप होते हैं! आज आप जान लीजिए आपका घर कौनसे टाइप का है?

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जब भी कभी आपने घर खरीदने का मन बनाया होगा, आपके सामने कई प्रश्न खड़े हो गए होंगे कि घर में क्या लें. घर में क्या लें का मतलब है कि, जमीन लेकर घर बनवाएं, फ्लैट लें, पेंट हाउस लें या फिर एलआईजी, एचआईजी और एमआईजी में से कोई एक ले लें. बाकी के बारे में तो शायद आप जानते होंगे, लेकिन क्या आपको एचआईजी, एलआईजी और एमआईजी घरों का मतलब पता है और क्या आप इनके बीच का अंतर जानते हैं. चलिए आपको बताते हैं, इन तीनों घरों का मतलब और उनका फुल फॉर्म भी. यहां आप ये भी जान पाएंगे कि किस घर के लिए कितनी सालाना आर्थिक आय वाले लोग एलिजिबल होते हैं.

एचआईजी घर कैसे होते हैं 

HIG का फुल फॉर्म होता है हाई इनकम ग्रुप. एचआईजी घर थोड़े बड़े होते हैं. ये ज्यादातर अपर मिडिल क्लास लोगों के पास ही होता है. ऐसे घर वो परिवार लेते हैं जिनकी वार्षिक आय 18 लाख रुपये से अधिक है. आपको बता दें जिन भी लोगों के घर में 18 लाख या उससे ज्यादा का महीने की इनकम आती है वो लोग ही इस श्रेणी के तहत आते हैं और ये लोग 3 बीएचके फ्लैट, डुप्लेक्स, बंगले आदि जैसी अतिरिक्त सुविधाओं के लिए भी पात्र होते हैं.

एलआईजी घर क्या होते हैं

एलआईजी के घर उन लोगों के लिए होते हैं जो लोअर मिडिल क्लास वर्ग से आते हैं. दरअसल, LIG का फुल फॉर्म ही लो इनकम ग्रुप है. इस कैटगेरी में वे लोग शामिल हैं जो एक ऐसे परिवार से आते हैं जो 3 लाख से 6 लाख रुपये की वार्षिक इनकम अर्जित करते हैं. एलआईजी घरों में शौचालय, बिजली और पानी की आपूर्ति जैसी बुनियादी मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं.

एमआईजी घर क्या होते हैं

एमआईजी घर मिडिल क्लास परिवारों के लिए होते हैं. MIG का फुल फॉर्म ही मध्यम आय वर्ग होता है. एमआईजी दो कैटेगरी में बांटा गया है, इसमें पहला MIG-I और दूसरा MIG-II आता है. इसे वार्षिक आय के आधार पर बांटा जाता है. 6 लाख रुपये से 12 लाख रुपये तक सालाना आय वाले लोगों को MIG-I की श्रेणी में रखा जाता है. वहीं 12 लाख रुपये से 18 लाख रुपये के बीच के इनकम वाले परिवार को एमआईजी की द्वितीय श्रेणी में रखा जाता है.

इसके एरिया के बारे में बात करें तो MIG-I के लिए प्रस्तावित कारपेट एरिया 120 वर्ग मीटर और MIG-II के लिए प्रस्तावित कारपेट एरिया 150 वर्ग मीटर है. आपको बता दें पहले इस श्रेणी के लिए कारपेट एरिया कम था. पहले यह 90 वर्ग मीटर से 110 वर्ग मीटर के बीच होता था, लेकिन अब इसे बढ़ा दिया गया है.

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