जोशीमठ भूस्खलन और हल्द्वानी निष्कासन: उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों में दरार आ रही है तो दूसरी तरफ हल्द्वानी में 50 हजार लोगों को एशियाने से निकालने के फरमान को सुप्रीम कोर्ट ने अभी रोक दिया. दोनों जगहों के लोगों की चिंता घर ही है। दोनों मामले में पक्ष, सर्वोच्च न्यायालय, संबंधित और सरकार का क्या कहना है, इसके बारे में जानें दस बड़ी बातें।
जोशीमठ को लेकर पांच बड़ी बातें
1- जोशीमठ में भूधंसाव का मामला शनिवार (7 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। ज्योतिषपीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वर नंद सरस्वती महाराज ने अपने वकील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। अर्जेंट हियरिंग के लिए सोमवार (9 जनवरी) को वो अपील कर सकते हैं।
2- उत्तराखंड के प्रधानमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जमीनी स्तर पर स्थिति का जायजा लेने के लिए जोशीमठ का शनिवार (7 जनवरी) को दौरा किया। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने लोगों से आवेदनकर्ताओं को प्रभावित किया और उन्हें हर तरह की सहायता का नुकसान पहुंचाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी ने जो गुरुवार (5 जनवरी) को अधिकारियों और जनमत दलों की बैठक की, उसी शहर में स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।
3- इस पूरे मामले को लेकर राज्य सरकार को जिम्मेदार बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उत्तराखंड के जोशीमठ में बड़े पैमाने पर चल रही गतिविधियों के कारण अचल संपत्तियां अटकी हुई हैं। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड (NTPC) की तपोवन-विष्णुगाड परियोजना को जिम्मेदार ठहराया है। पीटीआई से बात करते हुए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संजोयक अतुल सती ने कहा, “हम पिछले 14 महीनों से अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमारी बात पर ध्यान नहीं दिया गया। अब जब स्थिति हाथ से निकल रही है तो वे चीजों को समझने के लिए स्टार्टर की टीम भेज रहे हैं। ”
4- विकास के नाम पर हिमालयी क्षेत्र को सुनियोजित तरीके से बर्बाद करने का आरोप, ज्योतिष विद्या के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हजारों लोगों के जीवन में जहर है। जोशीमठ के रास्ते में वे मीडिया से बात करते हुए सरकार से लोगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करने की मांग की है।
5- उत्तराखंड के आप पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ शहर की दरार और जोखिम भरे रिश्तों में करीब 600 से अधिक लोगों को शुक्रवार (7 जनवरी) को वहां से निकालने का आदेश दिया।
हल्द्वानी को लेकर पांच बड़ी बातें
1- सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के हलद्वानी में रेलवे के दावों को लेकर 29 एकड़ जमीन से हटने के हाई कोर्ट के आदेश पर गुरुवार (5जनवरी) को रोक लगा दी और ठंड के मौसम में अपना एशियाई मसला जाने की आशंका में परेशान हो रहे लोगों को बड़ी राहत मिली प्रदान की। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि करीब पचास हजार लोगों को रात में नहीं हटाया जा सकता है। इसे मानव जाति ने बताया कि मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी।
2- हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर को हलद्वानी के बनभूलपुरा में कथित रूप से अतिक्रमित रेलवे भूमि पर निर्माण को झटकने का आदेश दिया था। उसने निर्देश दिया था कि रिकॉर्ड करने वालों को एक सप्ताह का नोटिस दिया जाए, जिसके बाद उन्हें वहां से हटा दिया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
3- स्थानीय लोगों ने कहा कि वो यहां 60-70 साल से रह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कुछ पुनर्वास योजना बनाई जाएगी। यहां तक कि यदि यह भी मान लें कि यह पूरी तरह से रेलवे की जमीन है, तो भी कुछ योजना बन जाएगी।
4- कई स्थानीय लोगों ने यह भी दावा किया कि 1947 में बंटवारे के दौरान भारत में रहने वालों के घर की सरकार ने नीलाम किया और उन्होंने इसका उपभोग किया। ऐसे में घर खाली क्यों जा रहे हैं।
5- इस मामले को लेकर भी धामी सरकार से सवाल किए जा रहे हैं। कांग्रेस सांसद और पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख इमरान प्रतापगढ़ी ने इसे लेकर कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक सबका अपना पक्का मकान होने का वादा किया था। अगर उत्तराखंड सरकार पीएम मोदी के समर्थन में लोगों के साथ आएगी, हालांकि मुझे इसकी उम्मीद नहीं है।