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14.2 किमी लंबी जोजिला टनल का 50 प्रतिशत काम पूरा, सेना की रणनीति के लिए कैसे अहम है, जानिए

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ज़ोजिला सुरंग निर्माण: देश के सुरक्षा कवच में एक और अध्याय जुड़ा हुआ है। दुर्गम सरहदी ग्राहक को कश्मीर और शेष देश से जोड़ने के लिए दो टनल बनाने का काम विभिन स्टैज में जारी है। जहां सोनमर्ग में 6.5 किलोमीटर लम्बा जेड-मोडल तैयार है, वहीं 14.2 किलोमीटर लम्बा जोजिला टनल का 50 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।

इस टनल के बनने के बाद सोनमर्ग के साथ-साथ लेह इशारा का सफर भी आसान होगा। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पश्चिमी और पूर्वी सीमा पर पाकिस्तान और चीन की सैन्य चुनौती टक्कर भी आसानी से हो जाएगी।

एशिया की सबसे बड़ी सुरंग जोजिला

हिमालय को भारत की सुरक्षा प्रहरी कहा जाता है, लेकिन एक ही बार में भारी अलर्ट के आधार पर उत्तरी सीमाओं में बसे कश्मीर और सूचना के सीमावर्ती इलाके कट जाते हैं। लेकिन अभी भी इसी हिमालय पर्वत को काट कर एशिया की सबसे बड़ी जोजिला सुरंग का काम तेजी से हो रहा है। इसके बनने के बाद साल भर इन सीमाओं के साथ सड़क संपर्क बना रहेगा।

देश की सुरक्षा के लिए महतापूर्ण प्रोजेक्ट

जोजिला प्रोजेक्ट के प्रमुख हरपाल सिंह के अनुसार देश की सुरक्षा के लिए यह टनल प्रोजेक्ट काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे ना सिर्फ ईमेल का संपर्क साल के 12 महीने बना रहेगा, बल्कि इसके साथ में किसी भी स्थिति में सेना की भी तेजी से हो जाता है। इतना ही नहीं इस टनल से चीन और पाकिस्तान की सीमा पर टैंक और अन्य भारी हथियार भी आसानी से रोक लगाते हैं।

हरपाल सिंह ने कहा, “देश की सेना का सबसे बड़ा डिप्लॉयमेंट पंजाब और जम्मू-कश्मीर में है। टनल के बन जाने से जोजिला दर्रे को पार करने में 3-4 घंटे लगते हैं, उसी को पार करने में सिर्फ 20 मिनट का समय इससे बहुत तेजी से लुक्स की आशंकाएं बनती हैं।”

खुदाई का काम तेजी से चल रहा है

14 किलोमीटर लंबी जोजिला टनल में इसी समय खुदाई का काम तेजी से चल रहा है। पश्चिमी और पूर्वी- दोनों छोर से खुदाई चल रही है और करीब 6 किलोमीटर की खुदाई और स्टैब्लिशिंग का काम पूरा हो चुका है। इसमें 2014 के अंत तक पूरी तरह से टनल में बोरिंग, रोड लेइंग, संलग्न, वाईफाई, पावर, वेंटिलेशन और ड्रेनेज का काम पूरा किया जाएगा। ये सभी काम दिसंबर 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा।

टीबीडी बोरिंग तकनीक का इस्तेमाल

टनल बोरिंग के लिए टीबीडी बोरिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे टनल बनाने में दुर्घटना होने की सहभावना के बराबर होती है। इसके साथ-साथ सुरक्षा के लिए सुनिश्चित किए गए मानकों के अनुसार प्रतिदिन काम किया जा रहा है। टनल पर काम करने वाले मजदूर और इंजीनियर की सुरक्षा के लिए स्पेशल टीम भी झांसा देती है, जो किसी भी दुर्घटना से निपटने के लिए मेडिकल टीम भी हमेशा मौजूद रहती है।

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने रखी थी आधारशिला

जोजिला टनल प्रोजेक्ट करीब 6800 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला प्रोजेक्ट है जिसका ड्रीम 2004 में देखा गया था। लेकिन टनल पर प्रोजेक्ट रिपोर्ट 2012 में बनी और 2014 में बनी और 2014 में यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आधारशिला भी रखी थी। मगर, काम शुरू होने से पहले ही सरकार बदल गई। इसके बाद 2018 में नई परियोजना रिपोर्ट आई जिसमें टनल को दो फेज में बनाने का फैसला हुआ। पहले फेज में जेड-मोडनल (6.5 किमी) बन कर तैयार है और 14.2 किमी लंबी जोजिला टनल का काम जारी है।

दिसंबर तक ट्रैफिक के लिए खोला जाएगा

दोनों टनल पर 2020 में काम शुरू हो गया है और जेड-मॉडल तैयार हो गया है, दिसंबर तक ट्रैफिक के लिए खोल दिया जाएगा। इस टनल के बनने से सबसे पहलागाम और गुलमर्ग का स्टार सोनमर्ग भी सालों बार खुला रहने के लिए संभव है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी 10 अप्रैल को कश्मीर का दौरा करेंगे और टनल के काम का निरीक्षण भी करेंगे।

टनल की ऊँचाई करीब 11 मीटर

Z-मोड टनल के 2 लेन हैं। इसमें एक आपात टनल जोजिला टनल सिंगल ट्यूब- बाई-डायरेक्शनल टनल होगी। टनल की ऊंचाई करीब 11 मीटर है जो सड़क देखने के बाद 7 मीटर की हो जाएगी। टनल में 1.5 मीटर के दो फुट पैदल चलने के साथ-साथ 3.5 मीटर के दो ड्राइववे होते हैं, जिसके जरिए भारी वाहन, टैंक, आर्टिलरी के साथ-साथ भरी कंस्ट्रक्शन का समान भी आसानी से ले जाया जा सकता है। सड़क की रात में खुला रहने से हर साल सेना को करीब 500 से 600 करोड़ रुपये की बचत होगी। दरअसल, सेना एक ही सीजन में हवाई जहाज के जरिए सामान ले जाने के लिए पैसा खर्च करने का जिम्मा उठाती है।

इंबिकेट आसान

Z-मॉडल के बन जाने से इस सड़क पर एवलांच का अभी कोई खतरा नहीं होगा, वहीं जोजिला टनल के बन जाने के बाद अलर्ट देश का नजर का क्षेत्र नहीं रहेगा। साल भर सड़क संपर्क होने से ना सिर्फ यहां पर भ्रम का आना-जाना लगेगा, बल्कि कश्मीर घाटी की अर्थवस्था को भी काफी हद तक फायदा होगा। अभी टनल का निर्माण हो रहा है और इसके चलते बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है।

जनवरी के महीने में सोनमर्ग में भारी हिमस्खलन के कारण इस टनल की परियोजना साइट को काफी नुकसान हुआ था। इसमें दो गिरावट की मौत हो गई और करीब दो महीने तक काम बिगड़ गया। लेकिन अभी भी डेढ़ लाख के बावजूद उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट अपने तय समय पर पूरा हो जाएगा, इसका मतलब है कि 2026 में सिंगल में 25-30 फीट कुछ स्नो शीट के बीच लोग कश्मीर से इंस्पेक्शन रोड के रास्ते जायें।

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