https://bulletprofitsmartlink.com/smart-link/133310/4

सीएम योगी ने किया दंगा मुक्त यूपी का दावा, जानें क्या कहते हैं एनसी आरबी के आंकड़े

Share to Support us


मार्च 2023 में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा कर लिया था। इस जनता को संदेश देते हुए उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार के छह साल के शासन के दौरान प्रदेश ने बुनियादी ढांचे को मजबूत किया और ‘हर दूसरे-तीसरे दिन दंगा’ होने वाली धारणा को तोड़ने का काम किया है।

साइट ने कहा, ‘यह वही उत्तर प्रदेश है जिसके बारे में सोच थी कि वहां तो परिवारवाद है, रिश्वत है, वहां हर दूसरे-तीसरे दिन एक दंगा होता है।’ उन्होंने दावा किया, ‘छह साल में उत्तर प्रदेश दंगा मुक्त हो गया है।’

इसके अलावा 22 अप्रैल 2023 यानी ईद के मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक बयान में कहा, ‘आज ईद है और राज्य में कोई दंगा नहीं हुआ है। किसी का नाराज होना प्रभावित नहीं होता है। कानून व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है। शांति है और इसलिए है क्योंकि हर कोई जानता है कि कानून सभी के साथ समान व्यवहार करता है। यह तभी संभव है जब प्रशासन संवेदनशील हो।’

ऐसे में सवाल उठता है कि इसका सीधा कारण उत्तर प्रदेश दंगा मुक्त प्रदेश बन गया है। क्या बीते 6 साल में प्रदेश में कोई दंगा नहीं हुआ?

क्या कहते हैं एनसी आरबी के आंकड़े

साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने वादा किया था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है तो राज्य में ‘भयमुक्त शासन’ होगा। इस चुनाव में बीजेपी ने विधानसभा की 403 में से 312 से अधिक सीट अपने नाम की थी. साल 2017 तक प्रदेश सरकार चली रही समाजवादी पार्टी सिर्फ 47 सीटें हासिल कर सकीं। इस चुनाव के बाद से ही अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेता बीजेपी को क़ानून व्यवस्था के सवालों पर घोरते रहे हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसी आरबी) के डेटाबेस के अनुसार उत्तर प्रदेश में अपराध हो रहे हैं लेकिन साल 2017 से खाते के बढ़ते की दर में कमी आई है। वहीं राज्य की महिलाओं और बच्चों के खिलाफ कनेक्शन में कमी आई है। इसलिए ही नहीं राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटाबेस के अनुसार उत्तर प्रदेश को दंगा-मुक्त प्रदेश भी बताया गया है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने मार्च 2017 में प्रदेश की कमान संभाली थी। एनसी आरबी के आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में साल 2018 और 2019 में कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ। वहीं 2019 और 2020 में भी एक भी दंगा दर्ज नहीं हुआ। लेकिन साल 2017 में 34 सांप्रदायिक दंगों की फाइलें दर्ज हैं।

भारत में साल 2021 में कुल 378 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं दर्ज की गई थीं। लेकिन उत्तर प्रदेश इकलौता ऐसा राज्य है जिसमें सिर्फ एक घटना हुई है। अगर एनसी आरबी के आंकड़े सही माने तो ये कहना गलत नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश दंगा-मुक्त राज्य है। जबकि झारखंड जैसे राज्य में एक साल में 100 से ज्यादा सांप्रदायिक दंगे हुए हैं।

अखिलेश की सरकार में कितने दंगे हुए

अखिलेश यादव की सरकार के दौरान हुए मुजफ्फरनगर दंगे को शायद ही कोई भूल पाया होगा। साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे की शुरुआत कवाल गांव से हुई थी। 27 अगस्त 2013 को शाहनवाज, सचिन और गौरवशाली नाम के युवक की हत्या कर दी गई थी।

जिसके बाद पूरे जिले में सांप्रदायिक तनाव फैल गया था और मुजफ्फरनगर के अलग-अलग इलाकों में 7-8 सितंबर को भीषण हिंसा हुई थी। इस हिंसा में 60 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा।

साल 2012 में उत्तर प्रदेश में कुल 227 दंगे हुए। वहीं साल 2013 में 247. वहीं साल 2014 में 242. साल 2015 में 219. साल 2016 में भी 100 के ऊपर दंगे हो चुके हैं. अखिलेश सरकार के दौरान दंग के मामले में उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर था।

राज्य में बाल अपराध में कमी आई है

  • एनसी आरबी डेटा के अनुसार उत्तर प्रदेश में बच्चों के खिलाफ हो रहे हैं अटैचमेंट की संख्या में भी कमी आई है। स्टेट में चाइल्ड अटैचमेंट में 11.11 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
  • राज्य में वर्ष 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 18943 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि वर्ष 2021 में यह पंजीकृत मामलों की संख्या घटकर 16838 हो गई।

महिला-अपराधों में नहीं आई कोई कमी

राज्य में साल 2019 में महिलाओं के खिलाफ कुल 59853 मामले दर्ज किए गए। लेकिन दो साल बाद के आंकड़े पर एंटर करें तो साल 2021 में यह कंपोनेंटर 56083 हो गया है। विवरणिका से स्पष्ट है कि इस राज्य में वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2021 में महिला अटैचमेंट में 6.2 प्रतिशत की कमी आई है। लेकिन साल 2020 में महिला अपराध के कुल 49,385 मामले दर्ज हुए। जो कि 2021 से कम है।

कटल और रेप के मामलों में कमी

योगी सरकार ने दावा किया है कि वर्ष 2016-17 की तुलना में कटल के मामले में कमी आई है। अब एनसी आरबी के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में रेप और हत्या के मामले में कमी आई है। लेकिन देश के अन्य राज्यों में प्रवासन आबादी के बोझ से बड़ा होने के कारण उत्तर प्रदेश इन एफ़सेट के मामले में सबसे पहले राज्यों में शामिल है।

उत्तर प्रदेश में साल 2016 से साल 2019 के बीच रेप के मामलों में करीब 36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। लेकिन रेप के मामले में भी यूपी पूरे देश में तीसरे स्थान पर है। यानी राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद ही यूपी वो राज्य है जहां महिलाएं सबसे ज्यादा रेप का शिकार हो रही हैं।

एनसी आरबी क्या है?

एनसी आरबी की स्थापना वर्ष 1986 में हुई थी और केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करता है, इसका मुख्य उद्देश्य पुलिस में कानून व्यवस्था को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए बनाया गया था। ब्यूरो क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट, देश में कितनी दुर्घटना और आकस्मिक मौत, भारत में रिकॉर्ड बच्चे और महिला लापता है को लेकर समय-समय पर रिपोर्ट जारी करता है।

एनसी आरबी डेटाबेस से पता चलता है कि देश में कितना अपराध बढ़ रहे हैं या घट रहे हैं। इससे यह जानकारी मिलती है कि भारत के किस राज्य में अपराध में कमी या किसी कारण दर्ज की गई है। क्राइम इन इंडिया की रिपोर्ट 2020 के मुताबिक सांप्रदायिक दंगों में साल 2019 की तुलना में 96 फीसदी स्पॉट दर्ज किए गए थे।

किसी ने कब राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर साधा योगी पर देखा

हाल ही में पुलिस कस्टडी के दौरान ही राजनेताओं ने अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ अहमद की उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है। कई पत्रकार ने योगी सरकार की कानून व्यवस्था को लेकर उन पर निशाना साधा है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य की कानून व्यवस्था पर कहा, “मैं यूपी में बेशरम अराजकता और कानून व्यवस्था के पूरी तरह से झंझट होने से स्तब्ध हूं। यह खुलासा हुआ है कि अपराधी अब पुलिस और मीडिया की उपस्थिति से बेपरवाह कानून अपने हाथ में ले रहे हैं। इस तरह के विषम कार्यों का हमारे संवैधानिक लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। ”

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “न्यायपालिका को अपराधियों को सजा देने का अधिकार है। लेकिन ये अधिकार किसी भी सरकार, नेता या कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता है।

साल 2022 में अखिलेश यादव ने 19 साल के हादसे के साथ हुए बलात्कार की घटना का जिक्र करते हुए राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा, ‘महिला कनेक्शन में सबसे आगे है। लेकिन ये आंकड़े सरकार नहीं मानते हैं।

तो सरकार ये बताए कि सरकार के पास जो सिस्टम है, ग्लोबल डायल 112 कर दिया गया है। उसके आंकड़े क्या कहते हैं. वहीं 109 जो सुरक्षा के लिए बना था उसके आंकड़े क्या कहते हैं। सरकार इन घटनाओं को लेकर संवेदनशील नहीं है। इस दौरान उन्होंने प्रयागराज में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या का भी जिक्र किया।’

वहीं हाल ही में अतीक और अशरफ की हत्या पर भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार और राज्य की कानून व्यवस्था पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि अपराधियों के हौसले जगमगाते हैं। कांग्रेसी क्रिकेटर गांधी वाड्रा ने इसे विवाद प्रक्रिया से फिल्मवाड़ बताया है।



Source link


Share to Support us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Download Our Android Application for More Updates

X