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सावन मास की अंतिम गणेश चतुर्थी इस दिन, मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस विधि से करें पूजन

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Vinayak Chaturthi Date: गणेश चतुर्थी हर मास की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्‍टी चतुर्थी कहा जाता है. श्रावण मास की विनायक चतुर्थी को व्रत रखा जाता है और गणेशजी की पूजा की जाती है. मान्‍यता है कि इस दिन व्रत करने से उपासक को विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है और गणेशजी घर को धन धान्‍य से भर देते हैं.  

 गणेश चतुर्थी के दिन कई शुभ संयोग

ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस बार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 19 अगस्त की रात 10:19 बजे से शुरू होगी और 21 अगस्त की रात 12:21 पर इसका समापन हो जाएगा. रविवार 20 अगस्त 2023 को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. यह दिन इसलिए भी विशेष है, क्योंकि इसी तिथि पर ‘साध्य’ और ‘शुभ’ अत्यंत शुभ योग का निर्माण भी हो रहा है. इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग भी बन रहा है . इस वजह से इस दिन व्रत रखने का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है.

विनायक चतुर्थी का महत्व

सावन की विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश अपने भक्तों का संकट दूर करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर माह की चतुर्थी तिथि गजानन को समर्पित है. इस दिन व्रत रखने से भगवान लंबोदर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. भगवान गणेश व्रत रखने वालों को धन-धान्य और बुद्धि का आशीर्वाद देते हैं. 

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि विनायक चतुर्थी का व्रत रखने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं . साधक को आशीर्वाद देते हैं. इससे पारिवारिक जीवन सुखमय बनता है और संपन्नता आती है. इस व्रत को करने से छात्रों को बल, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद मिलता है. इस व्रत के प्रभाव से जीवन की कई समस्याएं समाप्त हो जाती हैं. 

विनायक चतुर्थी का पूजा विधि

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस दिन सुबह जल्दी स्नान करें और व्रत संकल्प लें . उसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर विराजित करें. फिर भगवान गणेश को रोली, मौली, जनेऊ, चंदन, पंचमेवा, पंचामृत, चालव, फूल, दूर्वा चढ़ाएं. भगवान विघ्नहर्ता गणेश को मोतीचूर के लड्डू, मोदक अर्पित करें. बाद में भगवान गणेशजी के मंत्र का जाप करें और उनकी आरती करें. साथ ही पूजा संपन्न होने के बाद भोग को प्रसाद के रूप में सभी को बांट दें. 

इन मंत्रों का जाप

ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 



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