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सटीक और जिनपिंग की मुलाकात को नहीं देख सकते हैं भारत, चीन के मानसूबे को जानें

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शी जिनपिंग रूस यात्रा: दुनिया की दो महाशक्तियों के राष्ट्रों की बैठक पर अमेरिका और भारत सहित कई देशों की नजर है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस दौरे पर गए हैं, जहां वे मास्‍को में रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर भीड़ से जुटेंगे। लाइट-जिपिंग की बैठक को भारतीय विदेश नीति की जानकारी ग्रेविटेशन से ले रहे हैं। दरअसल, रूस और चीन दोनों ही ऐसे देश हैं, रविवार को अमेरिका से नोंक-झोंक होती है। और, ये अमेरिका पर भारत को बहला-फुसलाकर अपने पक्ष में करने के आरोप लगा रहे हैं।

रूस-चीन की झलक भारत के लिए ठीक नहीं है
रूस और चीन दोनों आपसी संबंधों को ‘नो लिमिट पार्टनरशिप’ की संज्ञा दे रहे हैं। इससे भारत की सुरक्षा-चिंता में बढ़ोतरी हुई है। दरअसल, रूस की चीन के करीब आना भारत की सुरक्षा-व्यवहार के लिए ठीक नहीं है। रूस भारत का लंबे समय से आर्म्स सप्लेयर हो रहा है। वहीं, चीन भी रूस से हथियार खरीदता है। इन दिनों जबकि रूस यूक्रेन- संघ में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के बीच खुद को अकेला खड़ा पाया है तो चीन इस अवसर का लाभ उठाकर केशिश में है। चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग खुद को ‘ग्लोबल लीडर’ के रूप में प्रतिबिंबित करना चाहते हैं, और वह रूस-यूक्रेन युद्ध के मैदान से निकल जाता है। यदि चीन-यूक्रेन युद्ध रुकवाने की कोशिश करता है और वो कोशिश तय हो जाती है तो दुनिया में चीन के प्रति विश्वास बढ़ता जा रहा है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति से भी बात करेंगे शी?
द वॉल स्ट्रीज जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दौरे के दौरान यूक्रेन के राष्ट्रपति ट्रंप से भी बात कर सकते हैं। इसी संभावना को देखते हुए विदेश नीति के जानकारियों के मन में यह विचार आ रहा है कि जिनपिंग रूस के दौरे के दौरान यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए मध्य करने जा रहे हैं। दरअसल, रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने से पहले ही चीन ही यूक्रेन का सबसे बड़ा व्यापारिक समझौता था। बाद में उसने यूक्रेन से व्यापार को कम कर लिया। साथ ही यूक्रेन पर रूस के हमलों की निंदा भी नहीं की।

रूस को जूनियर पार्टनर प्रोजेक्ट करेगा चीन?
थिंक टैंक ब्रूकिंग्स के एक ब्लॉग में विदेश नीति के सीनियर फेलो रयान हस ने लिखा, ‘चीन रूस को लंबे समय के लिए अपना जूनियर पार्टनर बनाना चाहता है। रयान हस के अनुसार, जिनपिंग भले ही समान को अपना सबसे अच्छा दोस्त कहते हों, लेकिन चीन का मामला सामने आने पर जिनपिंग ने स्वयं को कठोर रूप से असत्य प्रमाणित किया है। रूस को चीन के जूनियर पार्टनरशिप के रूप में प्रोजेक्ट करना जिनपिंग की खास स्ट्रेटजी का हिस्सा है। ऐसा कर वह खुद के नए ‘वर्ल्ड नंबर’ के एजेंडे को पूरा करना चाहता है।

चीन में पाले में आया रूस तो विशिष्ट जिनपिंग के धौंस
यदि रूस चीन के पाले में जाता है तो दुनिया में चीन की तूती बोलेगी, जो भारत के स्ट्रैटिजिक कैलकुलस को कमजोर कर देगा। सहज हो कि अभी के सहयोगी दुनिया में एक तरफ अमेरिका है और दूसरी तरफ रूस है, ये दोनों ऐसे देश हैं जो विभिन्न मुद्दों पर भारत का समर्थन करते हैं, जबकि चीन भारत को अपना प्रतिद्वंदी विकल्प मानता है। और, रूस की कमजोर होने का अर्थ है चीन की मजबूती, जो कि भारत जैसे शांतिप्रिय देश के लिए नुकसान साबित होगा। जिनपिंग छोटे-छोटे दादा-दादी को धौंस देते हैं।

भारत के प्रति चीन का रवैया आक्रामक है
भारत और चीन के बीच 1960 के दशक से मधुर संबंध नहीं रहे हैं, सन् 62 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर संकेतक का बड़ा भू-भाग हड़प लिया था। उसके बाद से दोनों देशों के हजारों किलोमीटर लंबी सीमाओं पर तनाव की स्थिति हो रही है। 2020 में कोरोना महामारी के प्रकोप के दिनों में चीनी सेना ने संकेत के कई क्षेत्रों में जकड़न की कोशिश की थी। उस दौरान हुई झड़पों में 20 भारतीय शहीद हो गए थे। उसके बाद कई और स्थानों पर भी नोंक-झोंक हुई। अब तक सीमाओं से चीनी सेनाएं वापस नहीं गईं।

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