Vastu Tips: कोई भी नया व्यापार शुरू करने से पहले लोग तमाम बातों का ध्यान रखते हैं लेकिन, फिर भी कई बार कारोबार में वृद्धि नहीं होती है. कई बार तो काफी मेहनत के बाद भी व्यापार बिल्कुल ठप पड़ जाता है और हम जितनी मेहनत करते हैं उतना मुनाफा नहीं कमा पाते. इसके पीछे वास्तु दोष भी एक बड़ा कारण हो सकता है. वास्तुशास्त्र में कई ऐसे उपाय बताए हैं जिनसे व्यापार में वृद्धि होती है.
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास के अनुसार आप जीवन में सफलता पाने के लिए कितनी भी मेहनत कर ले, लेकिन कई बार कुछ कारणों से सफलता से वंचित रह जाते हैं. वास्तुशास्त्र किसी के जीवन को खुशहाल बनाने में काफी अहम भूमिका निभाता है. घर, ऑफिस, बिजनेस, दुकान आदि के लिए वास्तु के नियमों के बारे में बताया गया है. घर, ऑफिस, दुकान आदि के वास्तु के अनुसार होने से स्वास्थ्य बेहतर, आय में वृद्धि, कार्य में सफलता और उन्नति मिलती है.
इन स्थानों पर जब वास्तु दोष होता है, उसका दुष्प्रभाव सेहत, आय, बिजनेस, नौकरी आदि पर भी होता है. आपके बिजनेस में तरक्की नहीं हो रही है, कामयाबी नहीं मिल रही है, तो आप एक बार वास्तु के कुछ उपायों को अपनाकर देख सकते हैं. ऐसा करने से आपको कामयाबी मिल सकती है.
व्यापार वृद्धि यंत्र
हिंदू धर्म में पूजन में यंत्रों का विशेष महत्व बताया गया है. कहते हैं यंत्रों की पूजा करने से सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इनका पूजन करने से आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है. यदि आप व्यापार में सफलता पाना चाहते हैं तो आप व्यापार वृद्धि यंत्र का पूजन कर सकते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार शुभ महुर्त देखकर इसकी स्थापना करें. रोजाना इसकी पूजा करने से व्यापार में बढ़ोतरी होगी.
उत्तर दिशा को बनाएं दोष मुक्त
वास्तु शास्त्र के अनुसार, धन के देवता कुबेर का स्थान उत्तर दिशा में होता है. यदि घर की उत्तर दिशा में दोष है तो ऐसे में मनुष्य की बुद्धि ठीक से काम नहीं करती और वह समय पर फैसले लेने में असहज महसूस करता है. ऐसी स्थिति में मनुष्य की आर्थिक उन्नति में भी बाधाएं आती हैं. इसलिए उत्तर दिशा को दोष मुक्त रखना चाहिए, ताकि व्यापार में उन्नति हो सके. वास्तु के मुताबिक उत्तर दिशा की दीवार पर हरे रंग के तोते की तस्वीर अवश्य लगाए. हरा रंग बुध का रंग होता है.
श्वेतार्क गणपति
इसके अलावा व्यापार स्थल पर किसी भी प्रकार की समस्या हो, तो वहां श्वेतार्क गणपति और एकाक्षी श्री फल की स्थापना करें और फिर नियम से धूप, दीप आदि से पूजा करें और सप्ताह में एक बार मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद अधिक से अधिक लोगों में बांटे.
बेडरूम में लगाए चित्र
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, यदि आप खाद्य पदार्थ से जुड़े व्यापार करते हैं तो अपने बेडरूम में गाय की मूर्ति रखें. यदि आप इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से जुड़ा व्यापार करते हैं तो व्यापार वृद्धि के लिए अपने कमरे में क्रिस्टल लगाएं. जो व्यक्ति दवाईयों से जुड़ा काम करते हैं वह अपने कमरे में सूर्य नारायण की तस्वीर लगाएं.
ऑफिस में रखें कछुआ
वास्तु शास्त्र के अनुसार ऑफिस में धातु से बना कछुआ रखना भी फायदेमंद रहता है. कछुआ ऑफिस में रखने से व्यापार में धन लाभ होने के साथ सफलताएं भी मिलने लगती हैं. साथ ही रुके हुए काम भी जल्दी पूरे होने लगते हैं.
रंग
वास्तु शास्त्र के अनुसार, आप अपने ऑफिस, दुकान या फैक्ट्री में सफेद, क्रीम या हल्के रंग का उपयोग कर सकते हैं. इन रंगों से सकारात्मकता का प्रवाह होता है, जो तरक्की में सहायक माने जाते हैं.
तिजोरी
घर, ऑफिस, दुकान या फैक्ट्री में उत्तर दिशा कुबेर का माना जाता है, इसलिए आप अपना कैश काउंटर या तिजोरी उत्तर दिशा में ही रखें. इससे धन लाभ के अवसर बढ़ेंगे.
द्वार
आपके ऑफिस व कार्यक्षेत्र में लगे द्वार अंदर की ओर खुलने वाले होने चाहिए. साथ ही खिड़की, दरवाजे, आलमारी आदि सभी चीजें सही हालत में हों, टूटे न हों. खराब हैं, तो उनकी मरम्मत करा दें. वहीं ऑफिस में जो भी मीटिंग हॉल है, उसमें आयताकार टेबल का उपयोग करें. दुकान आदि में भी ऐसा ही टेबल उपयोग में ला सकते हैं.
शुभता के प्रतीक
बिजनस में तरक्की के लिए आप अपनी टेबल पर श्रीयंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, क्रिस्टल वाला कछुआ, क्रिस्टल बॉल, हाथी आदि को रख सकते हैं. यह शुभता के प्रतीक हैं, इससे तरक्की के लिए सकारात्मक वातावरण बनते हैं.
शंख
बिजनस में तरक्की के लिए आप कार्य स्थल पर पांचजन्य शंख को स्थापित करें और नियमित विधि विधान से उसकी पूजा करें. आपको लाभ होगा. शंख को माता लक्ष्मी का भाई मानते हैं, क्योंकि दोनों की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी. शंख की पूजा से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं.
मुख
कार्यस्थल पर बिजनस मालिक का रूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में हो और बैठते समय मुख उत्तर की ओर हो, तो उत्तम रहता है. जहां बैठें, उसके ठीक पीछे एक ठोस दिवार होनी चाहिए. कोई कांच की दिवार या खिड़की न हो.
मुख्य द्वार
ऑफिस का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में हो तो इसे बहुत अच्छा माना जाता है. उत्तर-पश्चिम या उत्तर-पूर्व दिशा में भी मुख्य द्वार का होना ठीक माना जाता है. मुख्य द्वार के सामने किसी प्रकार की कोई रुकावट न हो. इससे कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और उन्नति होती है.
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