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वैज्ञानिकों के लिए किसी अवसर से कम नहीं सूर्य ग्रहण, जानिए ’सूर्य ग्रहण’ विज्ञान की नजर से

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Solar Eclipse vs Science: साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगने वाला है. यह ग्रहण कई मायनों में खास होगा. क्योंकि यह हाईब्रिड सूर्य ग्रहण होगा. यानी एक ही दिन में सूर्य के तीन रूप नजर आएंगे. ग्रहण लगने की घटना को ज्योतिषशास्त्र और विज्ञान में बहुत खास माना गया है.

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से जहां, ग्रहण लगने को अशुभ माना गया है. वहीं विज्ञान के लिए यह किसी अवसर के समान होता है. खासकर सूर्य ग्रहण की घटना से वैज्ञानिकों को कुछ नया जरूर मिलता है. लिहाजा सूर्य ग्रहण की घटना वैज्ञानिकों के लिए बहुत ही खास होती है.

क्या है ग्रहण

विज्ञान की नजर में ग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है. यह तब घटित होती है जब एक खगोल-काय जैसे चंद्रमा या कोई ग्रह किसी अन्य खगोल-काय की छाया के बीच आ जाता है. पृथ्वी पर सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण मुख्यत: दो प्रकार के ग्रहण लगते हैं.

सूर्य ग्रहण और विज्ञान

खगोलशास्त्र या भौतिक विज्ञान की माने तो, जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिंब कुछ देर के लिए ढंक जाता है. इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं. पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की. लेकिन परिक्रमा करते हुए कभी-कभी चंद्रमा, सूरज और धरती के बीच आ जाता है. जब चंद्रमा कुछ स्थिति में सूरज की रोशनी रोक देता है तो उसका साया धरती पर फैल जाता है. इसलिए ग्रहण लगते ही कुछ देर के लिए दिन में रात जैसा प्रतीत होने लगता है. ऐसी घटना हमेशा ही अमावस्या के दिन होती है. इसलिए सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन ही लगता है.

क्या होता है सूर्य ग्रहण

  • सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं. आंशिक, वलयाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण.
  • चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमती है और उसी समय पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है. लेकिन परिक्रमा के दौरान कभी-कभी चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है. इसी घटना को विज्ञान में सूर्य ग्रहण कहा गया है. 
  • जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती. ऐसे में पृथ्वी की सतह के कुछ हिस्सों में अंधेरा छा जाता है.
  • जब चंद्रमा अमावस्या को पृथ्वी कक्ष के समतल के निकट होता है, तभी सूर्य ग्रहण लगता है.

विज्ञान के लिए असवर है सूर्य ग्रहण

  • सूर्य ग्रहण वैज्ञानिकों के लिए अवसर की तरह होता है. इस दौरान उन्हें नए-नए तथ्यों पर काम करने का मौका मिलता है.
  • सूर्य ग्रहण के समय ब्रह्मांड में कई विलक्षण और अद्भुत घटनाएं होती.
  • पृथ्वी पर हीलियम गैस की उपस्थिति का पता भी सर्वप्रथम सूर्य ग्रहण के दौरान खोज के सहारे लगाया गया था.
  • सदियों पहले वैज्ञानिकों ने सूर्य ग्रहण के दौरान ही यह पाया कि पृथ्वी का आकार गोल है.

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 



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