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राहुल के पक्ष में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला विपक्षी गठबंधन के लिए क्यों बन सकता है सिरदर्द

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मोदी सरनेम केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई गई थी, जिस पर बीते शनिवार सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. यह रोक राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में संजीवनी साबित हो सकती है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब राहुल लोकसभा की सदस्यता वापस पाने के लिए अपील कर सकते हैं. इतना ही नहीं राहुल की सजा पर अगर लोकसभा चुनाव तक रोक रहती है, तो वे चुनाव भी लड़ सकते हैं. 

राहुल गांधी को मिली राहत के बाद अब 31 अगस्त और 1 सितंबर को INDIA गठबंधन की तीसरी और सबसे अहम बैठक होने जा रही है. मुंबई में होने वाली यह बैठक कांग्रेस के लिए काफी अहम है क्योंकि इसी बैठक में इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दलों की शीट शेयरिंग पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है.

इसके अलावा देखा जाए तो गठबंधन में अन्य पार्टियों की तुलना में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है. साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में फिलहाल विपक्ष के सामने राहुल गांधी से बड़ा कोई और चुनावी चेहरा भी नहीं है. ऐसे में ये जानना दिलचस्प होगा कि 31 अगस्त को होने वाले बैठक में कांग्रेस, अपने साथी दलों के सामने क्या प्रस्ताव रखने वाली है.

INDIA के संयोजक बनेंगे राहुल गांधी?

सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद माना जा रहा है कि अगली विपक्षी एकता की बैठक में कांग्रेस के सुर बदल सकते हैं. साथ ही ये भी माना जा रहा है कि इस फैसले ने विपक्षी गठबंधन INDIA में भी हलचल मचा दी है साथ ही ये नीतीश कुमार के लिए सिरदर्द भी बन सकता है. इस महीने के आखिरी में जब तीसरी बैठक होगी तब राहुल गांधी को राहत मिलने के कारण कांग्रेस भी पूरे आत्मविश्वास के साथ अन्य दलों पर दबाव बना पाने की स्थिति में होगी. ये भी हो सकता है कि बैठक में राहुल गांधी को INDIA के संयोजक बनाने का भी प्रस्ताव रखा जाए. 

पीएम फेस के लिए भी INDIA के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं

विपक्षी दलों की दूसरी बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस को पीएम फेस की रेस से अलग कर लिया था, लेकिन राहुल अगर लोकसभा चुनाव लड़ सकने की स्थिति में आ गए हैं तो पार्टी कभी नहीं चाहेगी कि कोई दूसरा पीएम पद की दावेदारी करे. 

इसके अलावा फिलहाल इंडिया के पास पीएम मोदी के विरोध में खड़ा करने के लिए राहुल जैसा मजबूत चेहरा नहीं है. बंगाल सीएम ममता जरूर पीएम चेहरा बनना चाहती हैं लेकिन बंगाल के सीएम होने के कारण उनकी प्राथमिकता बंगाल में ज्यादा से ज्यादा सीटें अपने नाम करने की होगी.

वहीं दूसरी तरफ  नीतीश कुमार ने कई बार सार्वजनिक मंच पर कहा है कि वह पीएम बनने में जरा भी दिलचस्पी नहीं रखते हैं. दोनों बड़े नेताओं के अलावा शरद पवार एक पीएम फेस हो सकते थे लेकिन उन्होंने गठबंधन का नेतृत्व करने से इनकार कर दिया है. जिसका मतलब है कि राहुल गांधी अगर मुंबई में होने वाले बैठक में दावा ठोकते हैं तो विपक्ष के पास कोई और ऐसा नाम नहीं होगा जिसे आगे लाकर वह राहुल के राह का कांटा बन सकें. 

कांग्रेस के लिए बेहद अहम है ये बैठक 

राहुल को सजा पर रोक लगाने के फैसले के बाद कांग्रेस की महाराष्ट्र यूनिट के प्रमुख नाना पटोले ने बीते शनिवार महाविकास आघाड़ी  के सहयोगी दलों की बैठक के बाद एक बयान में कहा, ‘मुंबई में होने वाली INDIA गठबंधन की बैठक आने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है. 

दरअसल इस गठबंधन में कई ऐसी पार्टियां हैं जिनका राज्यों में कांग्रेस पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं है. उदाहरण के तौर पर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी को ही ले लेते हैं. बंगाल में टीएमसी का कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं है. इसके अलावा टीएमसी की लोकसभा और विधानसभा में राज्य में सबसे ज्यादा सीटें हैं.

ऐसे में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी बंगाल में कांग्रेस को टिकट देने से कतराएगी. हो सकता है कि टिकट वितरण के वक्त ममता बनर्जी चाहें कि बंगाल में उनका सीधा मुकाबला बीजेपी से हो ऐसे में राज्य में टिकट के लिए कांग्रेस और लेफ्ट संघर्ष कर सकते हैं. 

फिलहाल INDIA में शामिल 26 विपक्षी दलों में डीएमके, टीएमसी, जदयू और शिवसेना भी है. जिसका मतलब है कि लगभग 82 सीटों पर ये पार्टियां अपने उम्मीदवार उतारना चाहेगी और दोनों में से किसी अपनी सीटें छोड़नी होंगी. 

वर्तमान में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु में छोटी पार्टियों की जबकि दिल्ली-पंजाब में आप की सरकार है. इन राज्यों में भी सीटों बंटवारा को लेकर कांग्रेस के लिए मुश्किल होगी. ऐसे में किसी एक पक्ष को समझौता करना पड़ सकता है.

पंजाब-दिल्ली में 20 सीटें, 10-10 पर बात बन सकती है?

पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं, यहां पर कांग्रेस ने साल 2019 में 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि आप एक सीटें जीती थी. पंजाब में कांग्रेस 7 और आप 6 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. बात दिल्ली की करें तो दिल्ली में लोकसभा की कुल 7 सीटें हैं. 2019 में सातों सीटें बीजेपी के खाते में गई थी. 4 पर आप और 3 पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी. इसी फॉर्मूले के तहत यहां सीटों का बंटवारा हो सकता है.

पिछले पांच चुनावों में कांग्रेस कितने सीटों पर उतरी और कितनी सीटें जीत पाई

  • साल 19999 में कांग्रेस ने 453 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे थे और 114 सीटें अपने नाम किया.
  • साल 2004 में कांग्रेस ने 417 सीटों पर कैंडिडेट उतारे और 145 पर जीत दर्ज की.
  • 2009 लोकसभा चुनाव में 440 सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे थे और पार्टी को 206 सीटों पर जीत मिली थी.
  • साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 414 सीटों पर कांग्रेस उतरी थी और 44 सीटों में ही सिमटकर रह गई
  • साल 2019 में 421 सीटों पर कांग्रेस मैदान में उतरी और सिर्फ 52 सीटों पर जीत हासिल कर सकी.

कहां हो रही है तीसरी बैठक?

26 विपक्षी दलों के एक साथ मिलकर बनी INDIA की तीसरी बैठक 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई के ग्रैंड हयात में होगी. इस बैठक की जानकारी कांग्रेस और शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने दी है. मुंबई में हुई महा विकास अघाड़ी की मीटिंग के बाद शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने जानकारी दी  कि इस बैठक में राहुल गांधी के अलावा कम से कम पांच मुख्यमंत्री शामिल होंगे.

कब हुई थी विपक्षी दलों की पहली बैठक?

विपक्षी दलों की पहली बड़ी सभा 23 जून को पटना में हुई थी. इस बैठक में 16 बड़ी पार्टियां मौजूद थी. इसके बाद दूसरी बैठक 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में  हुई थी. इस बैठक में 26 विपक्षी दल शामिल हुए थे. इसी बैठक में INDIA गठबंधन का नाम अस्तित्व में आया था. अब लोकसभा चुनाव 2024 में यह गठबंधन, बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाने वाला है.

अब राहुल मामले में आगे क्या

1. सर्वोच्च न्यायालय से फैसला आने के बाद कांग्रेस लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखेगी. स्पीकर फैसला पढ़ने के बाद सदस्यता वापस लेने का आदेश दे सकते हैं. इसमें एक दिन से लेकर एक महीने तक का भी वक्त लग सकता है. 

कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मैं आज ही स्पीकर को पत्र लिखने जा रहा हूं. माना जा रहा है कि इसी सत्र में राहुल की सदस्यता वापस हो सकती है. 

2. राहुल गांधी का केस सेशंस कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट ने फौरी राहत दी है. सेशंस कोर्ट का फैसला अगर राहुल के पक्ष में आता है, तो चुनाव लड़ सकते हैं. नहीं तो फिर सदस्यता जा सकती है. राहुल पर इसी टिप्पणी को लेकर कई अन्य अदालतों में भी केस दायर है. वहां से भी अगर फैसला आता है, तो राहुल की मुश्किलें बढ़ सकती है.



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