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राम नवमी के दिन बन रहें है तीन अद्भत संयोग, जानें नवमी की विशेषता

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Ram Navami 2023: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को श्रीराम का जन्म हुआ था. चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन उनका जन्म हुआ था.अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार राम नवमी का त्यौहार 30 मार्च को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 29 मार्च 2023 को रात 09 बजकर 07 मिनट पर आरंभ होकर अगले दिन 30 मार्च 2023 को रात 11 बजकर 30 मिनट पर समाप्त हो रही है. उदयातिथि के मान से रामनवमी 30 मार्च को मनाई जाएगी.

कब हुआ था श्रीराम का जन्म
पुराणों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था परंतु आधुनिक शोधानुसार 5114 ईसा पूर्व प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था. आज से 7136 वर्ष पूर्व उनका जन्म हुआ था. श्रीराम का जन्म दोपहर के 12.05 पर हुआ था. उस समय भगवान का प्रिय अभिजित् मुहूर्त था. तब न बहुत सर्दी थी, न धूप थी. 

जन्म के समय के ग्रह-नक्षत्र की स्थिति
वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब हुआ था. इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था.श्री राम का जन्म भारतवर्ष में सरयू नदी के पास स्थित अयोध्या नगरी में एक महल में हुआ था.अयोध्या को सप्त पुरियों में प्रथम माना गया है. 

क्या करते हैं रामनवमी के दिन
इस दिन रामायण का पाठ करते हैं.रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं.कई जगह भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है.भगवान राम की मूर्ति को फूल-माला से सजाते हैं और स्थापित कर पालने में झुलाते हैं.कई जगहों पर पालकी या शोभायात्रा निकाली जाती है.अयोध्या में राज जन्मोत्सव का भव्य आयोजन होता है.

रामनवमी की सरल पूजा विधि
रामनवमी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेकर प्रभु श्री राम के बालरूप की पूजा की जाती है.बालक रामलला को झुले में विराजमान करके, झुले को सजाया जाता है और दिन में 12 बजे के आस-पास उनकी पूजा की जाती है.ताबें के कलश में आम के पत्ते, नरियल, पान आदि रखकर चावल का ढेर पर कलश स्थापित करते हैं और उस के आसपास चौमुखी दीपक जलाते हैं. फिर श्री राम को खीर, फल, मिष्ठान, पंचामृत, कमल, तुलसी और फूल माला अर्पित करते हैं. नैवद्य अर्पित करने के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं. इस दिन पंचामृत के साथ ही पीसे हुए धनिये में गुड़ या शक्कर मिलाकर प्रसाद बनाकर बांटते हैं. इस बार रामनवमी पूजा का शुभ मुहूर्त- 11:11:38 से 13:40:20 तक श्रेष्ठ है. 

तीन शुभ योग
रामनवमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और गुरु पुष्य योग बन रहे हैं. रामचरितमानस के बालकांड के अनुसार पुत्र की कामना के चलते राजा दशरथ के कहने पर वशिष्ठजी ने श्रृंगी ऋषि को बुलवाया और उनसे शुभ पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराया. इस यज्ञ के बाद कौशल्या और बाकि प्रिय रानियों को एक-एक फल खाने पर पुत्र की प्राप्त हुई.

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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