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रविवार को मकर संक्रांति होने से बढ़ा महत्व, जानें पुण्य काल का सही समय

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Makar Sankranti: मकर संक्रांति जैसा नाम में लिखा में ही स्पष्ट है, मकर राशि शनि की राशि है और संक्रांति का तात्पर्य है सूर्य का राशि प्रवेश. इस प्रकार जब मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होगा तो वह पर्व मकर संक्रांति कहलाता है. मकर संक्रांति का पर्व मुख्य रूप से आंग्ल कैलेंडर जनवरी के महीने में आता है.

यह एक बहुत महत्वपूर्ण पर्व है जो मौसम में बदलाव का भी संकेत लेकर आता है. मकर संक्रांति बहुत शुभ समय है कि जब सूरज दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. इसी के साथ सभी शुभ कार्यों का समय शुरू हो जाता है. जब महाभारत के युद्ध में पितामह भीष्म शर शैय्या पर लेटे थे तो उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान था. उन्होंने यही प्रण किया कि मेरे प्राण सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ही निकलें क्योंकि उत्तरायण में प्राण त्यागने से मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है.

मकर संक्रांति का अर्थ

ज्योतिष के अनुसार देखें तो मकर संक्रांति का तात्पर्य है पिता सूर्य का पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करना. पुत्र के घर पिता का आगमन और उसी दिन शनि देव स्वयं अपनी मकर राशि में स्थित होंगे तो यह सूर्य और शनि की युति होगी तथा शुक्र भी वहां पर उपस्थित रहेंगे. यह समय हमें अंतर्मन में झांकने का मौका देगा. हमने अपने जीवन में अभिमानवश जो भूलें की हैं, उनका पश्चाताप करने का मौका हमें मिलेगा. हम यह जान पाएंगे कि हमने जीवन में जो गलत किया है, उसे ठीक कैसे किया जाए. शनिदेव और सूर्य की यह स्थिति पिता-पुत्र के संबंधों को भी अच्छा बनाने का मौका देती है.

रविवार होने से बढ़ा महत्व

मकर संक्रांति का पर्व देश और दुनिया में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. जहां एक तरफ इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है तो वहीं दक्षिण भारत में यह पोंगल के नाम से भी जानी जाती है. हरियाणा अथवा पंजाब क्षेत्रों में इसे माघी की के नाम से भी जाना जाता है और संस्कृत में उत्तरायण के नाम से भी इसका प्रचलन है.

इस बार मकर संक्रांति का पर्व रविवार 15 जनवरी 2023 को माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाएगा. इस दिन रविवार होने से मकर संक्रांति का महत्व और भी अधिक बढ़ जाएगा.

वैसे तो सूर्य देव 14 जनवरी शनिवार की रात्रि में ही मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे लेकिन संक्रांति का पर्व उदया कालीन तिथि में अगले दिन 15 जनवरी 2023 को रविवार के दिन ही मनाया जाएगा क्योंकि यदि संक्रांति रात्रिकालीन होती है तो उसका त्यौहार अगले दिन ही मनाया जाता है. इस दिन उत्तर भारत में पतंग उड़ाने की भी प्रथा प्रचलित है. लोग पतंगबाजी का कंपटीशन भी करते हैं और इस दिन को हर्षोल्लास से मनाते हैं.

मकर संक्रांति का पुण्य काल समय

मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त की बात करें तो 15 जनवरी रविवार 2023 को मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 7:15 से शाम 5:46 तक रहेगा और महा पुण्य काल सुबह 7:15 से 9:00 बजे तक रहने वाला है.

मकर संक्रांति का प्रभाव 

इस मकर संक्रांति के प्रभाव के बारे में बात करें तो यह मकर संक्रांति बालव करण में होगी जिसके फलस्वरूप संक्रांति व्याघ्र पर सवार होकर आएगी. ऐसी संक्रांति भय और चिंता देने वाली मानी जाती है. इससे लोगों को ठंड का प्रकोप झेलना पड़ेगा और विभिन्न बड़े देशों के बीच ही यह संघर्ष बढ़ने की स्थिति को जन्म देने वाली हो सकती है लेकिन यदि अपने देश की बात करें तो सरकारी क्षेत्र के लोगों को इस संक्रांति का फायदा मिलेगा और महंगाई में कमी भी आएगी.

मकर संक्रांति का दिन उत्तम पुण्य देने वाला होता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. भगवान की पूजा अर्चना करने, सूर्य देव को अर्घ्य देने, ब्राह्मणों को दक्षिणा देने और श्राद्ध आदि कर्म करने के लिए अच्छा समय होता है. इस दिन खिचड़ी बनाना और खिचड़ी का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है.

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 



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