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रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा का साया, जानें सही तारीख, मुहूर्त और भद्रा का समय

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Raksha bandhan 2023: रक्षाबंधन का पर्व मनाने के लिए इस बार आपको लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. रक्षाबंधन का पर्व इस बार अगस्त के अंत में होगा, दरसल इस बार सावन पूरे दो महीने का होगा. रक्षा बंधन भाई बहन के प्यार का प्रतीक है. रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं. जानते हैं इस साल रक्षाबंधन कब है, मुहूर्त और भद्रा काल समय

रक्षाबंधन कब है ? (Raksha bandhan 2023 Date)

ज्योतिषाचार्य अनीस व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार रक्षाबंधन पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा. हालांकि, रक्षाबंधन के दिन इस बात का ख्याल रखना चाहिए की भद्रकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए. भद्रकाल को अशुभ मुहूर्त है, इसलिए लिए शुभ मुहूर्त में ही बहनों को अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधनी चाहिए.

रक्षाबंधन 2023 राखी बांधने का मुहूर्त (Raksha bandhan 2023 Muhurat)

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस बार अधिक मास लगने के कारण सावन का महीना 59 दिनों का होगा, ऐसे में सभी त्योहार की तारीख थोड़ा आगे हो गई है. पंचांग के अनुसार, हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है.

सावन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2023 को प्रातः 10:59 मिनट से होगी. पूर्णिमा तिथि  के साथ ही भद्रा आरंभ हो जाएगी जो कि रात्रि 09:02 तक रहेगी. शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाने का निषेध कहा गया है तथा इस दिन भद्रा का काल रात्रि 09:02 तक रहेगा. इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उपयुक्त रहेगा.ट

पौराणिक मान्यता के अनुसार राखी बांधने के लिए दोपहर का समय शुभ होता है, लेकिन यदि दोपहर के समय भद्रा काल हो तो फिर प्रदोष काल में राखी बांधना शुभ होता है.

  • रक्षाबंधन भद्रा पूँछ – शाम 05:30 – शाम 06:31
  • रक्षाबंधन भद्रा मुख – शाम 06:31 – रात 08:11
  • रक्षाबंधन भद्रा का अंत समय – रात 09:02
  • राखी बांधने के लिए प्रदोष काल मुहूर्त – रात 09.02 – रात 09.09 (30 अगस्त 2023) यानी कि केवल 7 मिनट की अवधि ही राखी बांधने के लिए शुभ मानी जा रही है.

भद्राकाल में क्यों नहीं बांधें राखी (Raksha bandhan Bhadra kaal)

ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का यह त्योहार पूरे भारत वर्ष में उत्साह के साथ मनाया जाता है और बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती है, वहीं भाई भी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक रक्षाबंधन का पर्व भद्रा काल में नहीं मनाना चाहिए. पौराणिक कथा के अनुसार लंकापति रावण को उसकी बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी और उसी साल प्रभु राम के हाथों रावण का वध हुआ था. इस कारण से भद्रा काल में कभी भी राखी नहीं बांधी जाती है.

रक्षाबंधन का महत्व (Raksha bandhan Significance)

ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया कि रक्षा बंधन को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. उन्ही में से एक है भगवान इंद्र और उनकी पत्नी सची की. इस कथा का जिक्र भविष्य पुराण में किया गया है. असुरों का राजा बलि ने जब देवताओं पर हमला किया तो इंद्र की पत्नी सची काफी परेशान हो गई थी. इसके बाद वह मदद के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंची. भगवान विष्णु ने सची को एक धागा दिया और कहा कि इसे अपने पति की कलाई पर बांधे जिससे उनकी जीत होगी. सती ने ऐसा ही किया और इस युद्ध में देवताओं की जीत हुई.

इसके अलावा रक्षाबंधन को लेकर महाभारत काल से जुड़ी भी एक कथा है. जब शिशुपाल के युद्ध के समय भगवान विष्णु की तर्जनी उंगली कट गई थी तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके बाथ पर बांध दिया था. इसके बाद भगवान विष्णु ने उनकी रक्षा का वचन दिया था.अपने वचन के अनुसार, भगवान कृष्ण ने ही चीरहरण के दौरान द्रौपदी की रक्षा की थी.

रक्षाबंधन का इतिहास (Raksha bandhan History)

ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार शिशुपाल राजा का वध करते समय भगवान श्री कृष्ण के बाएं हाथ से खून बहने लगा तो द्रोपदी ने तत्काल अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ की अंगुली पर बांध दिया. कहा जाता है कि तभी से भगवान कृष्ण द्रोपदी को अपनी बहन मानने लगे और सालों के बाद जब पांडवों ने द्रोपदी को जुए में हरा दिया और भरी सभा में जब दुशासन द्रोपदी का चीरहरण करने लगा तो भगवान कृष्ण ने भाई का फर्ज निभाते हुए उसकी लाज बचाई थी. मान्यता है कि तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा जो आज भी बदस्तूर जारी है. श्रावण मास की पूर्णिमा को भाई-बहन के प्यार का त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाता है.

राखी बांधने की पूजा विधि (Rakshabandhan Vidhi)

ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन अपने भाई को इस तरह राखी बांधें. सबसे पहले राखी की थाली सजाएं। इस थाली में रोली कुमकुम अक्षत पीली सरसों के बीज दीपक और राखी रखें. इसके बाद भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी कि राखी बांधें. राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें. फिर भाई को मिठाई खिलाएं. अगर भाई आपसे बड़ा है तो चरण स्पर्श कर उसका आशीर्वाद लें. अगर बहन बड़ी हो तो भाई को चरण स्पर्श करना चाहिए. राखी बांधने के बाद भाइयों को इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार बहनों को भेंट देनी चाहिए. ब्राह्मण या पंडित जी भी अपने यजमान की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं.

ऐसा करते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 



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