याप द्वीप: एक दौर था जब करेंसी (मुद्रा) नहीं किया गया था और उस दौरान बार्टर सिस्टम (बार्टर सिस्टम) चला था। बार्टर सिस्टम का मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति को कुछ चाहिए तो उसे सामान के बदले कोई सामान देना होगा। उसी समय, रात के साथ पहला रत्न… फिर सिक्के… और धीरे-धीरे… चलने लगे। हालांकि, आज भी दुनिया में एक ऐसा हिस्सा है जहां नोटों के इस्तेमाल से लेन-देन नहीं बल्कि पत्थरों के जरिए होता है।
जिस जगह की यहां बात हो रही है वो प्रशांत महासागर से घिरे यप द्वीप (याप द्वीप) है। ये द्वीप करीब 100 वर्ग किलोमीटर है जिसमें करीब 12 हजार लोग रहते हैं। ये लोग लोन के लिए नोटों का इस्तेमाल नहीं करते बल्कि बदले में सामान खरीदते-बेचते हैं। यहां जिस शख्स के पास जितना भारी पत्थर हो उतना ही उसे अमीर माना जाता है। खास बात यह है कि इन झटकों के बीच में एक छेद हो जाता है जिसके इस्तेमाल से किसी शख्स के पत्थर को मारने से उरद ले जाया जा सकता है।
दस्तावेजों पर मालिक का नाम लिखा जाता है
यहां के लोगों को अगर कोई बड़ा आरोप लगाना हो या कोई बड़ी डील करनी हो तो भी ये लोग पत्ते का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, कुछ पत्थर इतने भारी होते हैं कि उन्हें एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जाया जा सकता है जिस कारण ये लोग वहीं पत्थरों को छोड़ देते हैं। हालांकि, वो इस पत्थर पर मालिक का नाम लिखकर देते हैं जिससे उसकी पहचान के कारण हो सकता है। यहां एक शख्स ने बताया कि उसके परिवार के पास एक अच्छे आकार और भारी भरकम पांच पत्थर हैं।
क्यों और कैसे हुई शुरुआत…
हालांकि किसी को ये सही जानकारी नहीं है कि इसकी शुरुआत कैसे और कब हुई थी।
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