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मेट्रो से सफर करना है और भीड़ से बचना चाहते हैं? कैसे पता चलेगा कि किस डिब्बे में कितने लोग हैं

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Delhi Metro Occupacy Count: मेट्रो का सफर सबसे आरामदायक होता है. अगर आप ट्रैफिक के शोर से बचना और समय पर अपनी मंजिल पर पहुंचना चाहते हैं तो मेट्रो आपके लिए एक अच्छा विकल्प होता है. दिल्ली मेट्रो से सफर करना लोगों को बहुत राहत भरा लगता है इसलिए इसमें भीड़ भी रहती है. लेकिन इसके लिए भी दिल्ली मेट्रो ने एक सुविधा दी हुई है, जिससे यात्रियों को ट्रेन आने से पहले ही यह पता चल जाता है कि कौन से डिब्बे में कितनी भीड़ है. फिर अगर यात्री भीड़ से बचना चाहता है तो वह कम भीड़ वाले डिब्बे में चढ़ सकता है. आइए जानते हैं कि सिस्टम को कैसे पता चलता है कि कौन से डिब्बे में कितनी भीड़ है.

डिजिटल सूचना पट्ट पर आती है जानकारी
आपने देखा होगा कि मेट्रो स्टेशन पर प्लेटफॉर्म के दोनों ओर डिजिटल सूचना पट्ट लगे होते हैं. आने वाली ट्रेन के किस कोच में कितनी भीड़ है इसका पता भी स्टेशन पर लगे इन डिजिटल सूचना पट्ट पर ही प्रसारित होती है. मेट्रो में आमतौर पर 6 कोच होते हैं. सूचना पट्ट पर प्रत्येक कोच में उपस्थित यात्रियों के हिसाब से डिजिटल सूचना पट्ट पर यह जानकारी प्रतिशत में दिखाई जाती है.

उदाहरण के लिए मान लीजिए पहला डिब्बा (कोच) यात्रियों से आधा भरा हुआ है तो डिजिटल सूचना पट्ट पर लिखा होगा C1 यानी पहला डिब्बा और उसके नीचे लिखा होगा 50% इसी तरह C1 की अगली तरह उसी Row में क्रमशः C2, C3, C4, C5 और C6 लिखा होता है. इसी प्रकार से इनमें उपस्थित यात्रियों की भीड़ के हिसाब से प्रतिशत में इनके नीचे लिखा होता है कि कौन-सा डिब्बा कितने प्रतिशत भरा हुआ है. यह सूचना ट्रेन के स्टेशन पर आने से 2 मिनट पहले ही दिखनी शुरू हो जाती है.

क्यों पड़ी जरूरत?
मेट्रो के अनुसार, कई बार यात्रियों को भीड़ वाली कोच में चढ़ने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, जबकि उसी ट्रेन का दूसरा कोच खाली होता है. लेकिन स्टेशन पर खड़े यात्रियों को इस बात की जानकारी नहीं होती है. इसलिए यह जानकारी पहले देने का मकसद यही है कि स्टेशन पर खड़े यात्री को आ रही ट्रेन के कोच में भीड़ की जानकारी पहले ही मिल सके और वह तय कर सके कि उसे किस कोच में सफर करना है. कोविड-19 के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग को भी ध्यान में रखते हुए यह जरूरी हो गया था.

कैसे पता चलता है किस डिब्बे में कितनी भीड़?
ऑक्यूपेंसी काउंट की गणना एक सॉफ्टवेयर से की जाती है. यह प्रत्येक कोच में वजन निर्धारित करता है और इसकी तुलना एक खाली कोच के वजन से करता है और फिर इसी आधार पर ऑक्युपेसी को प्रतिशत में दिखाता है. यह जानकारी ट्रेन के आने से 2 मिनट पहले प्रसारित होनी शुरू हो जाती है 2 फ्रेम में 10-10 सेकंड के लिए दिखाई देती है.

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