<पी शैली ="टेक्स्ट-एलाइन: जस्टिफ़ाई करें;">समय के साथ जैसे-जैसे तकनीक बदल रही है वैसे-वैसे स्कैमर्स नए-नए कैसे अपने लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। स्कैमर्स आज ऐसे कैसे अपने रहे हैं जिनकी पहचान आम लोगों के लिए मुश्किल है कि वे प्रत्यक्ष में ऑफिशल्स से बात कर रहे हैं या किसी फेक व्यक्ति से। इस बीच साइबर फर्म फर्म क्लॉडसेक ने एक नई रिपोर्ट जारी की है जिसमें ये बताया गया है कि भारत में सबसे ज्यादा फेक नंबर पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए हैं। क्लाउडसेक के एआई-पावर्ड डिजिटल रिस्क प्रोटेक्शन प्लेटफॉर्म XVigil ने करीब 20,000 से ज्यादा फेक नंबर का विश्लेषण किया था, जिसमें से सबसे ज्यादा 23% फेक नंबर पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए थे।
पश्चिम बंगाल के बाद दूसरा नंबर दिल्ली और उत्तर प्रदेश में है जहां करीब 9.3 प्रतिशत फेक नंबर दर्ज किए गए। हम आपकी सुविधा के लिए यहां चार्ट जोड़ रहे हैं, जिसमें आप देख सकते हैं कि किस राज्य में कितने प्रतिशत फेक नंबर दर्ज किए गए हैं।
इस सेक्टर को बनाया जा रहा है
क्लाउडसेक के XVigil प्लेटफॉर्म ने अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया कि सबसे ज्यादा बेरोजगार और बैंकिंग सिस्टम को स्कैमर्स अपना निशाना बना रहे हैं। इसके बाद हेल्थ केयर, फिर टेलीकम्यूनिकेशन और फिर एंटरटेनमेंट सेक्टर पर स्कैमर्स अपना करार बनाए गए हैं।
इस प्लेटफॉर्म से हो रहा फेक नंबर का सरक्यूएशन
क्लाउडसेक ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि करीब 88% फेक नंबर फेसबुक के जरिए सर्कुलेट किए जा रहे हैं। ट्विटर के जरिए करीब 6.2 प्रतिशत लोग पहुंच रहे हैं। वि स्कैमर्स सोशल मीडिया के जरिए लोगों को तैयार कर रहे हैं और उनकी परेशानी का फायदा उठाकर निजी जानकारी चुरा रहे हैं।
इस बात का ध्यान रखें
दरअसल, हम में से ज्यादातर लोग ये काम करते हैं कि जब उनके पास कोई उत्पाद या सेवा खराब पहुंचती है, तो वे मकड़ियों पर कस्टमर कीयर नंबर खोजते हैं और जो नंबर सबसे ऊपर दिखाई देता है उस पर कॉल करके व्यक्ति के सामने वाले के साथ जानकारी शेयर करने वाले हैं। हैकर्स गूगल के लिखे हुए नंबर को बदल देते हैं जहां से वे लोग अपना विशेषण बना लेते हैं। कई बार लोग सोशल मीडिया पर आने वाले नंबर पर गारंटी लेते हैं और वहां से अपनी समस्या का समाधान पाने की उम्मीद रखते हैं और फ्रेमवर्क से फिर उनके साथ फ्रॉड शुरू होता है।
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