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भारत-कनाडा विवाद के बीच यूएन में एस जयशंकर का प्रहार, ‘राजनीतिक सहूलियत आतंकवाद पर…’

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S Jaishankar Speech At UNGA: खालिस्तानी आतंकियों के मुद्दे पर कनाडा के रुख से भारत और उसके बीच उपजी तनावपूर्ण स्थिति के बीच मंगलवार (26 सितंबर) को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर सीधा और जोरदार संदेश दिया. 

विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत के साफ रुख को सबके सामने रखा. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि राजनीतिक सहूलियत आतंकवाद, उग्रवाद या हिंसा पर प्रतिक्रिया का आधार नहीं हो सकती.

विदेश मंत्री ने वैश्विक समुदाय से नियम-आधारित ऑर्डर और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करने का भी आह्वान किया. वहीं, विदेश मंत्री ने देशों से दूसरों के आंतरिक मामलों में दखल न देने का भी आह्वान किया.

जयशंकर की ये टिप्पणियां भारत-कनाडा डिप्लोमेटिक विवाद और चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच दोनों देशों पर प्रहार के रूप में देखी जा रही हैं. इसे परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर भी निशाने के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत पाकिस्तान को जवाब देता आया है.

‘राजनीतिक सहूलियत से आतंकवाद पर रिएक्शन तय नहीं होना चाहिए’

विदेश मंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कहा, ”मार्केट की पावर का इस्तेमाल भोजन और एनर्जी को जरूरतमंदों से अमीरों तक पहुंचाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, न ही हमें इसका समर्थन करना चाहिए कि राजनीतिक सहूलियत आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसा पर प्रतिक्रियाएं निर्धारित करे.”

उन्होंने कहा, ”इसी तरह चेरी-पिकिंग (किसे चुने और किसे नहीं) के रूप में क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की एक्सरसाइज (अभ्यास) नहीं की जा सकती है. जब वास्तविकता बयानबाजी से दूर हो जाती है तो हमें इसे सामने लाने का साहस होना चाहिए… वास्तविक एकजुटता के बिना, कभी भी वास्तविक विश्वास नहीं हो सकता.”

क्या है भारत-कनाडा विवाद?

पिछले हफ्ते कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया था. निज्जर की हत्या जून में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर की गई थी. भारत ने उसे आतंकी घोषित किया था लेकिन उसने कनाडा की नागरिकता ले रखी थी.

ट्रूडो के आरोप के बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और उनके आरोपों को बेतुका, आधारहीन और राजनीति से प्रेरित करार दिया. भारत ने कहा कि ट्रूडो की सरकार ने अभी तक अपने दावे के समर्थन में सबूत साझा नहीं किए हैं. इस विवाद के चलते भारत और कनाडा ने राजनयिक स्तर पर एक्शन लिया है और संबंध तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं.

UNSC में भारत को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने की वकालत

भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने की पुरजोर वकालत करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है कि वे दिन खत्म हो गए हैं जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और दूसरों से उम्मीद करते थे कि वे भी उनके साथ आ जाएं.

जयशंकर ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत की ओर से ग्लोबल साउथ की आवाज उठाने और समूह में अफ्रीकी संघ को शामिल करने की ओर इशारा किया और कहा, ”एक बहुत पुराने संगठन, संयुक्त राष्ट्र को सुधार के इस महत्वपूर्ण कदम से प्रेरणा मिलनी चाहिए. सुरक्षा परिषद को समकालीन बनाने के लिए भी प्रेरणा लेनी चाहिए.”

‘यह अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता’

विदेश मंत्री ने कहा, ”अपने विचार-विमर्श में हम अक्सर नियम-आधारित ऑर्डर (क्रम) को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं. इसमें समय-समय पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान भी शामिल है, लेकिन सारी बातचीत के लिए अब भी कुछ राष्ट्र ही एजेंडे को आकार देते हैं और मानदंडों को परिभाषित करना चाहते हैं. यह अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता, अब क्या यह बगैर किसी चुनौती के चलेगा.”

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमें टीका (वैक्सीन) भेदभाव जैसा अन्याय फिर नहीं होने देना चाहिए. जलवायु कार्रवाई भी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों से मुंह फेरकर जारी नहीं रह सकती है.”

‘हमने विश्वमित्र की अवधारणा विकसित की’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जब हम सामूहिक प्रयास को प्रोत्साहित करते हैं तब भारत विविध साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास करता है. गुटनिरपेक्ष के दौर से आगे बढ़कर हमने विश्वमित्र की अवधारणा विकसित की है. यह विविध प्रकार के देशों के साथ संवाद और साझेदारी करने के हमारे सामर्थ्य और इच्छा में झलकती है.’’ उन्होंने क्वाड और ब्रिक्स जैसे संगठनों के तेजी से विकास का जिक्र करते हुए यह बात कही.

‘सभी देश अपने राष्ट्रहित को आगे बढ़ाते हैं’

जयशंकर ने कहा, ‘‘सभी देश अपने राष्ट्रहित को आगे बढ़ाते हैं. भारत में हमें वह वैश्विक भलाई के विरूद्ध  नजर नहीं आया. जब हम अग्रणी ताकत बनने की आकांक्षा लेकर बढ़ते हैं तो यह आत्म-अभ्युदय (Self-Realization) नहीं बल्कि, ज्यादा जिम्मेदारी लेना और योगदान करना होता है.’’

जयशंकर ने कहा कि दुनिया उथल-पुथल के असाधारण दौर से गुजर रही है. उन्होंने कहा कि यही असाधारण जिम्मेदारी का ही भाव है कि भारत ने जी20 की अध्यक्षता संभाली. उन्होंने कहा कि ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का भारत का दृष्टिकोण महज कुछ देशों के संकीर्ण हितों पर नहीं, बल्कि कई राष्ट्रों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है.

(इनपुट भाषा से भी)

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