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ब्रिटेन में हिंदू सबसे बड़े शहरों में शामिल, सिखों के पास घर होने की संभावना सबसे अधिक है

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ब्रिटेन की जनगणना डेटा: ब्रिटेन (ब्रिटेन) में हिंदू (हिंदू) देश के सबसे आबाद और शिक्षित धार्मिक समुदायों में शामिल हैं, जबकि सिखों (सिख) के पास खुद के घर होने की संभावना सबसे ज्यादा है। इंग्लैंड और वेल्स की जनगणना के आंकड़ों से यह बात सामने आई है। ब्रिटेन का राष्ट्रीय मानक कार्यालय (राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय) मार्च 2021 में ऑनलाइन जनगणना के आंकड़ों का विश्लेषण कर जनसंख्या के संबंध में अलग-अलग इंडेक्स के आंकड़े जारी कर रहा है। इस सप्ताह जारी ‘रिलिजन बाई हाउसिंग, हेल्थ, एम्प्लॉयमेंट एंड एजुकेशन’ रिपोर्ट में ONS ने बताया है कि देश में विभिन्न धार्मिक समुदायों के जीवन स्तर में उल्लेखनीय अंतर है।

खुद को हिंदू दिखाने वाले 87.8 प्रतिशत लोगों का स्वास्थ्य ‘अच्छा’ बताते हैं

ओएनएस ने कहा, “2021 में जिन लोगों ने खुद की धार्मिक पहचान ‘हिंदू’ के रूप में बताई, उनमें से लगभग 87.8 लोगों ने अपना स्वास्थ्य ‘बहुत अच्छा’ या ‘अच्छा’ होने की बात कहीं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह पात्र 82.0 सेंट था। हिंदू में निष्क्रियता के मामले भी सबसे कम दर्ज किए गए।” ओएनएस ने बताया, “स्तर-चार या उससे अधिक योग्यता योग्यता रखने वाले लोगों में खुद को ‘हिंदू’ बताने वालों की संख्या सबसे अधिक (54.8 प्रतिशत) थी, जबकि कुल आबादी की बात करें तो यह पात्र 33.8 प्रतिशत दर्ज किया गया है।”

खुद को सिख वाले 77.7 लोगों के पास अपना घर बताते हैं

राष्ट्रीय निशान कार्यालय ने कहा, “खुद की धार्मिक पहचान ‘सिख’ के रूप में बताने वाले 77.7 प्रतिशत लोग अपने घर के पास थे।” जनगणना में धर्म प्रचार करने का विकल्प स्वैच्छिक रखा गया था। 2021 में इंग्लैंड और वेल्स की कुल आबादी 5.6 करोड़ से 94 प्रतिशत ने धर्म से जुड़े सवालों का जवाब दिया।

मुस्लिमों को लेकर ये आंकड़े आए सामने

ओएनएस ने पाया, “2021 में इंग्लैंड एंड वेल्स में खुद को ‘मुसलमान’ बताने वाले लोगों के ऐसे घरों में रहने की संभावना चार ज्यादा पाई गई, जो परिवार के सदस्यों की संख्या के दायरे से काफी छोटे हैं।” राष्ट्रीय निशान कार्यालय के अनुसार, “2021 में जिन लोगों ने अपनी धार्मिक पहचान ‘मुसलमान’ के रूप में बताई, उनमें से 16 से 64 वर्ष के आयु वर्ग वाले ऐसे लोगों की संख्या सबसे कम (51.4 प्रतिशत) थी, जिनके पास रोज़ी-रोटी थी का जरिया मौजूद था। कुल आबादी में ऐसे लोगों की संख्या 70.9 प्रतिशत दर्ज की गई है।”

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