Rice Production In India: चावल हो या गेहूं, सही खाद्यान्न है तो यह सेहत के लिए बेहद लाभदायक है. यदि दाल, चावल, गेहूं जैसे खाद्यान्न मिलावट भरे हैं तो यह सीधे तौर पर सेहत के साथ खिलवाड़ है. विशेषज्ञों का कहना है कि सेहत को दुरस्त रखना है तो मिलावटयुक्त खाद्यान्न नहीं खाने चाहिए. बाजार में दाल, चावल, गेहूं में किसी तरह की मिलावट न हो. इसको लेकर खाद्य सुरक्षा एजेंसियां मानक तय करती हैं. अब भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने इसी को लेकर कड़े मानक भी तय किए हैं. इन मानकों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ एजेंसी कार्रवाई करती है. मिलावटी चावल की पहचान कैसे हो? अब इसी को लेकर व्यापक स्तर पर मानक जारी किए गए हैं.
इन चावलों की पहचान के लिए मापदंड नहीं
बासमती के अलावा चावल की अन्य प्रजातियों का सेवन भी देश के अलग अलग हिस्सों में किया जाता है. अम्बेमोहर चावल, मुल्लन कजहामा, गोबिंदो भोग, सीरगा सांबा, मुश्क बुदजी, हाओ अमूबी ऐसी ही प्रजाति हैं. मुश्क बुदजी कश्मीर घाटी, चक हाओ अमूबी मणिपुर, सीरगा सांबा दक्षिण भारत का पसंदीदा व्यंजन हैं. लेकिन हाल में एफएसएसएआई ने जो मानक तय किए हैं. उनमें बासमती चावल के अलावा इन चावलों की नकली, असली पहचान करने के बारे में अधिक नहीं बताया गया है. वहीं जो प्राधिकरण ने मानक जारी किए हैं. उनके मानक भी यहां जान सकते हैं.
पहली बार बासमती चावल की पहचान के मानक जारी
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने बासमती चावल के असली और नकली की पहचान के लिए पहली बार मानक जारी किए गए हैं. सुगंध, पॉलिश समेत अन्य मापदंडों को असली और नकली को लेकर तय किया गया है. ये सभी मानक इस साल अगस्त से प्रभावी हो जाएंगे. केंद्र सरकार के स्तर से स्पष्ट रूप से कहा गया है, जो भी इन मानकों का पालन नहीं करेगा. उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
बासमती चावल के ये बनाए गए मानक
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको लेकर बयान भी जारी किया है. नए मानकों के अनुसार, बासमती चावल में उसकी प्रमुख विशेषता उसकी प्राकृतिक सुगंध रहेगी. इस चावल में कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंट और कृत्रिम सुगंध बिल्कुल नहीं होनी चाहिए. यह भी ध्यान रखना होगा कि अनाज की तरह चावल का बिना पकाए आकार कितना होगा और पकाने के बाद कितना बड़ा होना चाहिए. चमक के लिए किसी तरह के रंगों का मिश्रण बिल्कुल नहीं होना चाहिए.
इन चावलों पर लागू होंगे मानक
जिन चावलों पर मानक लागू होंगे. उन बासमती चावल में ब्राउन बासमती चावल, मिल्ड बासमती चावल, उसना भूरा बासमती चावल और मिल्ड उसना बासमती चावल शामिल हैं. एफएसएसएआई ने इन मानकों को भारत के राजपत्र में अधिसूचित खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) प्रथम संशोधन विनियम, 2023 के माध्यम से भी जारी कर दिया है. इस तरह के स्पष्ट पहचान मानकों की व्याख्या प्राधिकरण के स्तर से पहली बार की गई है. वहीं, अनाज में नमी की अधिकतम सीमा, यूरिक एसिड, दोषपूर्ण/क्षतिग्रस्त अनाज की उपस्थिति और अन्य गैर-बासमती चावल आदि को लेकर भी बात रखी गई है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
यह भी पढ़ें:- किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी! इस बार खाते में 2000 नहीं, पूरे 4000 रुपये आएंगे, ये है वजह