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प्राकृतिक आपदाओं से कैसे निपटेगा देश? पढ़िए क्या है वैज्ञानिकों की तैयारी?

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<p style="text-align: justify;"><strong>Climate Change:</strong> हाल ही में देश ने बिपरजॉय जैसे भयंकर चक्रवाती तूफान का सामना किया है और असम में भी भारी बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. इसके अलावा, मानसून के मौसम में देश के कई संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में मौसम का पूर्वानुमान होना बेहद जरूरी है. जिससे समय रहते लोगों को आने वाले खतरे को लेकर चेताया जा सके और बचाव के पुख्ता इंतजाम किए जा सकें. इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए भारतीय वैज्ञानिक मौसम के पूर्वानुमान मॉडल पर काम कर रहे हैं.</p>
<h3 style="text-align: justify;">स्वदेशी पूर्वानुमान मॉडल है बेहद जरूरी</h3>
<p style="text-align: justify;">"हिंदुस्तान टाइम्स" की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि इस मॉडल की मदद से आपदा की स्थिति में बचाव कार्यों को सुविधाजनक बनाने में सहायता मिलेगी और इसे एक उन्नत संचार प्रणाली कहा जा सकता है. पिछले कुछ सालों से देश के विभिन्न हिस्सों में प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. इस माहौल में, भारत को एक स्वदेशी रूप से विकसित पूर्वानुमान मॉडल की बेहद आवश्यकता है, जो प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रारंभिक चेतावनी भेज सके. जिससे आपदा से निपटने में मदद मिल सके.</p>
<h3 style="text-align: justify;">पुरानी प्रणाली से नहीं मिलता पूर्वानुमान</h3>
<p style="text-align: justify;">देश के कई राज्यों, विशेषकर हिमालयी क्षेत्र में, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव देखे जा रहे हैं. वर्तमान समय में, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत हमारे पास प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां हैं, लेकिन ये प्रणालियां पूर्वानुमान प्रदान नहीं करती हैं, जो आपदा के खतरे पर अलर्ट देने में मदद करें, ताकि हम इससे बचने के बजाय इसे रोकने के लिए भी कार्रवाई कर सकें.</p>
<h3 style="text-align: justify;">बिना रुकावट के काम करेगा ये सिस्टम</h3>
<p style="text-align: justify;">यह नया सिस्टम, उच्च आवृत्ति सेंसर, मॉनिटर और संचार प्रणालियों के साथ कार्य करके, एक कार्यात्मक नेटवर्क स्थापित करने का काम करेगा, जो किसी भी प्राकृतिक आपदा से संबंधित क्षति को कम करने के लिए बिना किसी रुकावट के काम करेगा. इसके लिए विभाग विभिन्न राज्यों के आपदा प्रबंधन अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहा है और उनके साथ चर्चा कर रहा है.</p>
<h3 style="text-align: justify;">आपदाओं से निपटने में मिलेगी मदद</h3>
<p style="text-align: justify;">इस परियोजना पर काम कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्वानुमान मॉडल असम में बाढ़ जैसी आपदाओं में जानमाल के नुकसान को नियंत्रित करने में सक्षम होगा. असम में जून के महीने में बाढ़ ने कहर मचा रखा है. इस बाढ़ की वजह से राज्य के कई हजार लोग प्रभावित हुए हैं. वहीं, कुछ समय पहले उत्तर भारत में भूकंप के झटके भी महसूस किए गए थे. ऐसे में यह मॉडल बेहद महत्वपूर्ण है.</p>
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