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पुराने संसद भवन में आखिरी दिन क्या-क्या हुआ? जानें आज का कार्यक्रम

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Parliament Special Session News: पुराने संसद भवन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (18 सितंबर) को मार्मिक विदाई दी. केंद्र सरकार ने पांच दिवसीय विशेष सत्र बुलाया है, जिसकी शुरुआत पुराने संसद भवन में ही सोमवार को हुई और यह इस ऐतिहासिक धरोहर में कार्यवाही का आखिरी दिन भी था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सभी सांसद और इस भवन और परिसर में किसी न किसी रूप में अपनी सेवा देने वाला हर शख्स बेहद भावुक हुआ. 

पुराने संसद भवन में आखिरी दिन क्या हुआ?

सत्र की शुरुआत पीएम मोदी के भाषण के साथ हुई, जिसमें उन्होंने पहली संविधान सभा की बैठक से लेकर संसद के 75 वर्षों की उपलब्धियों और इसमें रची-बसी यादों को ताजा करते इस भवन में बीते कई अवसरों का जिक्र किया. 

पीएम मोदी ने कहा कि हमने 75 वर्षों की यात्रा की है और जब हम इस संसद भवन को अलविदा कह रहे हैं तो हमें यह याद रखना चाहिए कि भले ही यह भवन औपनिवेशिक सरकार ने बनाया था, लेकिन यह हमारे पसीने और परिश्रम से, हमारे देशवासियों द्वारा और हमारे धन से बनाया गया था. उन्होंने कहा, “हम भले ही नए भवन में जा रहे हैं लेकिन यह भवन आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा क्योंकि यह भारतीय लोकतंत्र की यात्रा का एक स्वर्णिम अध्याय है.”

पीएम मोदी ने पंडित नेहरू को किया याद

पीएम मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रसिद्ध ‘एट द स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट…’ भाषण (ब्रिटिश हुकूमत से भारत की स्वतंत्रता के अवसर पर पंडित नेहरू ने इसे 14-15 अगस्त की दरमियानी रात दिया था) से लेकर दिवंगत पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के ‘सरकारें आएंगी, जाएंगी लेकिन यह देश रहना चाहिए’ भाषण का जिक्र किया.

पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान लोकसभा को आपातकाल के साथ-साथ 2008 में मनमोहन सिंह सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान हुए ‘कैश-फॉर-वोट’ घोटाले की भी याद दिलाई.

‘आखिरी दिन उन 7,500 से ज्यादा सांसदों को समर्पित होना चाहिए’

पीएम मोदी ने लाल बहादुर शास्त्री, इंदिया गांधी और पीवी नरसिम्हा राव समेत पिछले प्रधानमंत्रियों की तारीफ करते हुए लोकतंत्र की यात्रा को याद किया और कहा कि इस ऐतिहासिक भवन में आखिरी दिन उन 7,500 से ज्यादा सांसदों को समर्पित होना चाहिए जिन्होंने 1947 में आजादी के बाद से यहां सेवा की है.

75 वर्षों की संसदीय यात्रा की उपलब्धियों, अनुभव, यादों और सीख पर चर्चा शुरू करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस भवन को विदाई देना बेहद भावुक पल है. जैसे ही हम इस इमारत से निकलते हैं तो हमारा मन-मस्तिष्क कई भावनाओं और यादों से भर जाता है.

पीएम मोदी ने पुराने संसद भवन से जुड़े हर पहलू को याद किया, सभी के प्रति आभार जताया और श्रद्धांजलि दी. साथ ही उन्होंने कहा कि सांसद नई आशा और विश्वास के साथ नए परिसर में प्रवेश करेंगे. बता दें कि अब गणेश चतुर्थी के अवसर पर संसद नए परिसर में स्थानांतरित हो जाएगी. मंगलवार को राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही नए संसद भवन में शुरू होगी. 

भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को किया याद

पीएम मोदी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की बहादुरी को याद किया जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य को नींद से जगाने के लिए इसी जगह पर बम फेंके थे. पीएम मोदी ने कहा कि इन 75 वर्षों की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि आम आदमी का संसद पर भरोसा लगातार बढ़ रहा है. हम नई इमारत में भी जा सकते हैं, लेकिन यह पुरानी इमारत आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी.

उन्होंने कहा कि यह उन सभी की सराहना करने का भी अवसर है जिन्होंने इस सदन का नेतृत्व किया है. पंडित नेहरू से लेकर वाजपेयी तक, जिन्होंने भारत के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया है. पीएम मोदी ने सदन को समृद्ध बनाने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल, चंद्रशेखर और लाल कृष्ण आडवाणी को भी याद किया.

पीएम ने संसद पर 2001 में हुए आतंकी हमले का भी किया जिक्र

पीएम मोदी ने 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले और उस दौरान आतंकवादियों से लड़ते हुए जान गंवाने वाले लोगों को भी याद किया. उन्होंने कहा कि यह भवन पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी पर हमला था, यह भारत की जीवात्मा पर हमला था. पीएम ने कहा, ”मैं उन लोगों को भी सलाम करता हूं जिन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए सदन और उसके सदस्यों को बचाने के लिए अपनी छाती पर गोलियां खाईं. वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने हमारी अच्छे से रक्षा की.”

आंबेडकर और इंदिरा गांधी के योगदान को किया याद

पीएम मोदी ने बाबा साहेब बीआर आंबेडकर के योगदान की भी सराहना की और कहा कि औद्योगीकरण के लिए उनका दृष्टिकोण, जिसका उद्देश्य स्वतंत्र भारत की पहली सरकार के दौरान देश में सामाजिक न्याय लाना था, आज भी हर औद्योगिक नीति के केंद्र में है. पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे दुखद और भावनात्मक क्षण भी आए जब संसद ने तीन मौजूदा प्रधानमंत्रियों- नेहरू, शास्त्री और इंदिरा गांधी  को खो दिया और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई.

पीएम मोदी ने कहा कि इस सदन ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश की मुक्ति का भी समर्थन किया. उन्होंने यह भी कहा कि इस सदन ने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र पर हमले का भी गवाह बनाया और इस सदन के माध्यम से लोगों ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी किया क्योंकि हमने लोकतंत्र की वापसी देखी.

पीएम मोदी ने पत्रकारों के योगदान को किया याद

पीएम मोदी ने उन पत्रकारों को भी याद किया जिन्होंने तकनीक के अभाव में भी संसद की कार्यवाही की रिपोर्टिंग के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. उन्होंने कहा कि पुराने संसद भवन को विदाई देना पत्रकारों के लिए और भी कठिन होगा क्योंकि वे इसके सदस्यों से ज्यादा यहां से जुड़े रहे हैं.

‘कभी नहीं सोचा था कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर रहने वाला बच्चा…’

पीएम मोदी ने इस अवसर पर निजी तौर पर कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर रहने वाले एक गरीब परिवार का बच्चा संसद तक पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि लेकिन यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है और लोकतंत्र के प्रति भारत के आम आदमी की आस्था का प्रतिबिंब है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर रहने वाले एक गरीब परिवार का बच्चा संसद तक पहुंच गया. वहीं, संसद के बाहर पीएम मोदी ने कहा कि यह सत्र भले ही छोटा हो, लेकिन अवसर पर बड़ा और ऐतिहासिक फैसलों वाला है.

कविता सुनाते हुए मल्लिकार्जुन खरगे बोले, ‘…ऐसे नाम बदलने से क्या होता है’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा नाम बदलने से कुछ नहीं होगा और उन्होंने पंडिट नेहरू के योगदान को याद किया. उन्होंने हिंदी में एक कविता के साथ अपना भाषण शुरू किया, जिसमें कहा,”बदलना है तो हालात बदलो, ऐसे नाम बदलने से क्या होता है? देना है तो युवाओं को रोजगार दो, सबको बेरोजगार करके क्या होता है? दिल को थोड़ा बड़ा करके देखो, लोगों को मारने से क्या होता है? कुछ कर नहीं सकते हो, कुर्सी छोड़ दो, बात-बात में डरने से क्या होता है? अपनी हुकुमरानी पर गुरूर है, लोगों को डराने से धमकाने से क्या होता है? बदलना है तो हालात बदलो, ऐसे नाम बदलने से क्या होता है? यहां से वहां जाने में क्या और होने वाला है?”

महिला आरक्षण बिल की मांग

विशेष सत्र के पहले दिन सदन में महिला आरक्षण विधेयक, जिसे संविधान (108वां संशोधन) विधेयक, 2008 के रूप में भी जाना जाता है, लोकसभा में मुख्य मुद्दा रहा. कई दल लंबे समय से इस लंबित विधेयक पर चर्चा पर जोर दे रहे हैं. यह 2010 में राज्यसभा में पहले ही पारित हो चुका है. अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक-तिहाई सीटें आरक्षित हो जाएंगी. सूत्रों ने बताया कि सोमवार शाम को ही हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई है और मंगलवार को इसे लोकसभा में पेश किया जा सकता है. 

माइक म्यूट होने पर हुआ हंगामा

पहले दिन जैसे ही सत्र शुरू हुआ, सांसद लोकसभा में एकत्र हुए. इस दौरान विपक्ष ने आवाज उठानी शुरू कर दी क्योंकि उनके माइक बंद थे. इसे लेकर कुछ देर हंगामा हुआ. हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने खेद जताते हुए कहा कि यह एक तकनीकी खराबी के कारण था.

बीजेपी नेता ने ली सांसद पद की शपथ

संसद के विशेष सत्र की कार्यवाही के बीच बीजेपी नेता दिनेश शर्मा ने राज्यसभा में संसद सदस्य के रूप में शपथ ली. उन्होंने इसे अपने लिए एक सुअवसर बताया. उन्होंने मीडिया से कहा, ”…यह भी एक इत्तेफाक है कि मै जब शपथ ले रहा हूं तो आज अकेले मैंने शपथ ली है और इस बिल्डिंग का आज अंतिम सदन है. ये भी एक संयोग मेरे साथ में जुड़ा है…”

मल्लिकार्जुन खरगे और पीयूष गोयल के बीच हुई जुबानी जंग

राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बीच जुबानी जंग देखने को मिली, जब कांग्रेस नेता ने जी20 को ‘जी2’ कहा और फिर कहा कि उन्होंने जी20 में शून्य को कमल (बीजेपी का चिन्ह ) समझा. खरगे ने यह भी कहा कि जब देश की बात आती है तो हम सभी एकजुट हैं… लेकिन यह मत सोचिए कि आप अकेले देशभक्त हैं.

बता दें कि 75 वर्षों की संसद की यात्रा पर चर्चा के बाद दोनों सदनों को स्थगित कर दिया गया था और पीठासीन अधिकारियों ने कहा था कि कार्यवाही मंगलवार दोपहर को शुरू होगी.

पुराने संसद भवन में अब क्या होगा?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1927 में बने पुराने संसद भवन को गिराया नहीं जाएगा. संसदीय आयोजनों के लिए इसे तैयार किया जाएगा और एक हिस्से को संग्रहालय में बदला जा सकता है.

मंगलवार को क्या होगा?

मंगलवार (19 सितंबर) को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला देश की समृद्ध संसदीय विरासत को याद करने और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने के लिए संसद के केंद्रीय कक्ष (सेंट्रल हॉल) में एक समारोह का नेतृत्व करेंगे. सेंट्रल हॉल में यह कार्यक्रम सुबह 11 बजे शुरू होगा. 

समारोह को वरिष्ठ सांसदों के साथ-साथ संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल, उच्च सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी भी संबोधित करेंगे. जिन वरिष्ठ सांसदों से संपर्क किया गया है, उनमें लोकसभा सदस्य मेनका गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री और राज्यसभा सदस्य मनमोहन सिंह और दोनों सदनों के सदस्य रह चुके शिबू सोरेन शामिल हैं.

नए संसद भवन में प्रवेश करेंगे सांसद

करीब डेढ़ घंटे का यह समारोह राष्ट्रगान के साथ शुरू और खत्म होगा और इसके बाद शीर्ष नेता सभी सांसदों को नए संसद भवन तक ले जाएंगे. सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान की एक कॉपी लेकर पुराने भवन से नई इमारत में जाएंगे और उनके पीछे-पीछे बीजेपी सांसद और सहयोगी सदस्य भी नए संसद भवन में प्रवेश कर सकते हैं. 

सांसदों की ली जाएगी ग्रुप फोटो

केंद्रीय कक्ष के समारोह से पहले तीन अलग-अलग समूह की तस्वीरें पुराने संसद भवन के प्रांगण में ली जाएंगी. पहली तस्वीर राज्यसभा और लोकसभा दोनों के सदस्यों की, दूसरी राज्यसभा सदस्यों की और तीसरी लोकसभा सदस्यों की होगी. ग्रुप फोटो के लिए सांसदों को सुबह सवा नौ बजे तक मौके पर एकत्र होने के लिए कहा गया है. नए भवन में लोकसभा की कार्यवाही अपराह्न 1.15 बजे शुरू होगी, जबकि राज्यसभा की बैठक अपराह्न 2.15 बजे होगी.

(इनपुट भाषा से भी)

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