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नीरव मोदी की बहनोई को सुप्रीम कोर्ट की सलाह: सीबीआई को विदेशी बैंक खाते तक पहुंचने तक, किए ये सवाल

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नीरव मोदी मामला: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (31 जनवरी) को भगोड़े नीरव मोदी के बहनोई मनक मेहता को सुझाव दिया कि वह सीबीआई को अपने विदेशी बैंक खाते तक पहुंचने के लिए अधिकार पत्र उपलब्ध कराने पर विचार करना चाहिए। सीबीआई का आरोप है कि मेहता ने पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी घोटाले में बड़ी मात्रा में धन प्राप्त किया है, जिसमें नीरव मोदी मुख्य चिंता है। जांच एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि मेहता ने अपनी और अपनी पत्नी के विदेशी बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर किया।

भारत के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने मेहता के वकील को सलाह दी कि वह बैंक विवरण तक पहुंचने के लिए पंजीकृत प्राधिकरण को अधिकार पत्र दे सकते हैं और मामला खत्म हो जाएगा यदि नहीं, तो न्यायालय को सीबीआई की याचिका को स्वीकार करना होगा और इस पर फैसला करना होगा होगा। सीबीआई के वकील ने कहा कि मेहता ने अधिकार पत्र देने से इनकार कर दिया था और परिणामस्वरूप, एजेंसी को लेटर रोगेटरी (LR) जारी करना पड़ा। वकील ने कहा, “झटकों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हमने इसे आगे बढ़ाने के लिए दूतावास (सिंगापुर में) को लिखा है।”

सीबीआई ने क्या कहा?
सीबीआइ के वकील ने आगे तर्क दिया कि उन्हें इस बात का डर है कि खाते में बड़ी रकम चली गई है। मेहता एक विदेशी नागरिक हैं और उनकी पत्नी बेल्जियम की नागरिक हैं। एक बार देश वापसी के बाद वह वापस नहीं आया। मेहता ब्रिटिश नागरिक हैं और हांगकांग में अपने परिवार के साथ रहते हैं।

मेहता के वकील अमित देसाई ने याचिका दायर की कि उनके मुविक्कल लंबे समय से भारत में हैं और उन्होंने हमेशा सहयोग किया है और सीबीआइ पर लंबित आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि मेहता पत्र देने को तैयार हैं, लेकिन फिर उन्हें और एक साल भारत में रहना होगा। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कुछ ही समय के लिए उनके मुवक्किल को जाने दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेहता को देश से बाहर यात्रा करने की अनुमति देने का मतलब बिना सुनवाई के सीबीआई की अपील को खारिज करना होगा। कोर्ट मेहता को सीबीआई को अधिकार पत्र देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।

याचिका सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने मामले की आगे की सुनवाई 9 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दी। सुप्रीम कोर्ट बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मेहता को हांगकांग की यात्रा करने और वहां तीन महीने रहने की अनुमति दी गई थी।

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