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नियामक में हुई खींचतान से हाउसिंग डिमांड प्रभावित होगी, तय होम लोन का भी असर होगा!

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गृह ऋण ईएमआई: होम लोन के चक्कर में और पहलुओं में आई तो होम बायर्स के घर खरीदने का फैसला प्रभावित हो सकता है। एक सर्वे के मुताबिक घर खरीदने की सोच रहे 95 प्रतिशत लोगों को लगता है कि होम लोन पर कर्ज जाल में यहां से और वजह से एशियाने खरीदने का उका फैसला प्रभावित हो सकता है। बिजनेस सी चैंबर आई और रियल कसंलटेंट एनारॉक के मार्केट में तेजी से जुड़े सर्वे रिपोर्ट में ये बात सामने आई है।

एनारॉक ने बताया कि इस सर्वे में कुल 4662 लोगों ने हिस्सा लिया। सर्वेक्षण में शामिल 96 लोगों ने कहा कि मौजूदा स्तर से होम लोन के लिए ब्याज दरें अलग-अलग होती हैं तो उन्हें घर खरीदने की योजना को पुराने बस्ते में लाना। रेटिंग होम लोन से उनके घर खरीदने का निर्णय प्रभावित हो सकता है। सर्वेक्षण में शामिल 80 प्रतिशत लोगों ने कहा कि होम बायर्स के लिए होम लोन पर व्याज सबसे महत्वपूर्ण सवारी में शामिल है। पिछले एक साल में प्रॉपर्टी की सेल तो दी गई है पर साथ में होम लोन के साथ ही बेरोजगारी भत्ता में दिया गया है।

एनारॉक के व्याख्या अनुज पुरी ने कहा, ‘होम लोन पर ब्याज दर की बढ़ती मांग प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में बड़े और छोटे प्राधिकरण आकर्षित हाउसिंग मांगों को लेकर अगली दो तिमाही में प्रभावित हुए। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि उनके हाउसिंग मार्केट के रेट की गति धीमी हो सकती है। अनुज पुरी ने कहा कि, बाजार में मौजूदा जलीय-पुथल अभी भी बना हुआ है और वित्त वर्ष 2024-25 तक ही यह खत्म होने के आसार हैं। इसके बाद ही मांग बढ़ने के आसार हैं। उन्होंने कहा कि हाउसिंग डिमांग कुछ समय के लिए रुक जाएगी लेकिन कभी खत्म नहीं होगी।

एनारॉक के सर्वे के मुताबिक प्रॉपर्टी की साझेदारी में साझेदार के बावजूद लग्जरी और बड़े घरों की मांग में कमी नहीं आई है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 42 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे 3 बाइक के, 40 प्रतिशत लोग 2 बाइक के, 12 प्रतिशत लोग 1 बाइक के और 6 प्रतिशत लोग 3 बाइक से अधिक की जगह की तलाश में हैं। सर्वे के मुताबिक 58 प्रतिशत होम बायर्स उन प्रॉपर्टी को खरीदना चाहते हैं जिनकी कीमत आज 45 लाख रुपये से लेकर 1.50 लाख रुपये के बीच है। वहीं 36 फीसदी लोग एक साल में पजेशन देने वाले घर को खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

दरअसल मई 2022 के बाद से जिम्बाब्वे ने जाली पर लगाम के रेपो रेट में 2.50 प्रतिशत की लापरवाही की वजह से कारणों से लेकर हाउसिंग फाइनैंस ऑब्जर्वेट्स ने होम लोन महंगा कर दिया है।

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