Namkaran Sanskar: 16 संस्कारों में पांचवां नामकरण संस्कार होता है. हिंदू धर्म में ये संस्कार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. नामकरण संस्कार के जरिए बच्चे का नाम रखा जाता है. नामकरण के लिए बालक के जन्म का समय, स्थान, जन्म तिथि देखी जाती है.
नामकरण संस्कार का व्यक्ति के जीवन में बहुत प्रभाव होता है, इसलिए व्यक्ति का नाम बहुत सोच समझकर ही रखना चाहिए. आइए जानते हैं नामकरण संस्कार कब करें, कैसे करें और क्या है इसका महत्व.
नामकरण संस्कार कब करें ? (When to do Namkaran Sanskar )
बच्चे के जन्म के 10वें दिन सूतिका का शुद्धिकरण यज्ञ कराकर नामकरण संस्कार कराया जाता है. वहीं गोभिल गह्यसूत्रकार के अनुसार शिशु के जन्म के 100 दिन या 1 साल बाद भी नामकरण संस्कार किया जा सकता है. सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन नामकरण संस्कार किया जा सकता है. अमावस्या, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि पर ये संस्कार नहीं किया जाता है.
नामकरण संस्कार का महत्व (Namkaran Sanskar Significance)
आयुर्वेडभिवृद्धिश्च सिद्धिर्व्यवहतेस्तथा। नामकर्मफलं त्वेतत् समुद्दिष्टं मनीषिभिः।। इस श्लोक में नामकरण संस्कार के महत्व का वर्णन करते हुआ बताया गया है कि इस संस्कार का असर बच्चे के व्यक्तिव पर पड़ता है. उसका नाम ही उसके अस्तित्व की पहचान है. अपने नाम, आचरण, कर्म से बच्चा प्रसिद्धि प्राप्त करता है. इससे उसके आयु और तेज में वृद्धि होती है.
नामकरण संस्कार की विधि (Namkaran Sanskar Vidhi)
- नामकरण के दिन बच्चे के जन्म के नक्षत्रों, ग्रहों की दिशा, तिथि समय जैसी कई महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर उसकी कुंडली बनाई जाती है. इसी कुंडली के आधार पर बच्चे की चंद्र राशि के आधार पर राशि के पहले अक्षर से बच्चे का नाम रख देते हैं.
- नामकरण के दिन पूजा मंगलाचरण, षट्कर्म, संकल्प, यज्ञोपवीत परिवर्तन, कलावा, तिलक और रक्षा विधान पूरा किया जाता है.
- पूजा में गंगाजल से भरे कलश की पूजा की जाती है, बच्चे के कमर पर मेखला बांधी जाती है. बच्चे के माता-पिता या बुआ उसके कान में नाम बोलते हैं.
- नामकरण के दिन इस मंत्र से हवन में आहूति दी जाती है – ॐ भूर्भुवरू स्वः। अग्निऋषि पवमानः पांचजन्यः पुरोहितः। तमीमहे महागयं स्वाहा। इदम् अग्नये पवमानाय इदं न मम॥
नामकरण संस्कार में न करें ये गलती (Namkaran Sanskar Niyam)
बच्चे के नाम का अर्थ उसके चरित्र को प्रभावित करता है. अगर बच्चे का नाम उसके ग्रहों की स्थिति से मेल न खाएं तो वह बच्चों के लिए दुर्भाग्य लेकर आ सकता है, इसलिए सोच-समझकर ही बच्चे के नाम का चुनाव करें.
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