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दुधारु भैंसों की संख्या बढ़ाने के लिए इस राज्य ने निकाली खास तरकीब, अब पशुपालकों की बढ़ेगी इनकम

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Buffalo  Milk: खेती-किसानी के बाद अब पशुपालन भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे ले जा रहा है. देश-विदेश में भारत के साथ कृषि उत्पादों के साथ-साथ डेयरी उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है. इससे पशुपालन व्यवसाय को भी गति मिल रही है. कुछ समय पहले तक दुधारु पशुओं की संख्या को लेकर भी चुनौतियां थी, लेकिन अब देश में दुधारु पशु (मादा पशु) का कुनबा बढ़ाने के लिए ऐसी तकनीक पर काम चल रहा है, जिससे नर भैसों को पैदा होने से रोका जा सके और सिर्फ दूध उत्पादन करने वाली मादा भैसों की पैदाईश हो. इसे सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक नाम दिया गया है.

देश में राष्ट्रीय गोकुल मिशन (National Gokul Mission) के नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत इसी तकनीक को प्रमोट किया जा रहा है. इसी तकनीक की तर्ज पर मध्य प्रदेश में मादा भैसों का कुनबा बढ़ाने की कवायद की जा रही है.

मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम ऑफ भोपाल मदर बुल फॉर्म में भी अब गौवंशों के साथ भैंसवंशों के नस्ल सुधार का काम चल रहा है. इससे राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाने और श्वेत क्रांति (White Revolution) में योगादन देने में खास मदद मिलेगी.

घर आएगी सिर्फ मादा भैंस
अब ब्राजील की तरह मादा पशुओं का उत्पादन बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश का कुटकुट विकास निगम अब भैंसों में सेक्स सार्टेड सीमन (Sex Sorted Simon) की तकनीक का परीक्षण करेगा. इस तकनीक से भैसों का कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) किया जाएगा, ताकि मादा प्रजाति की भैंस-पढ़िया (Female Buffalo Calf) ही पैदा हो और नर संतानों की पैदाईश को रोका जा सके.

पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के जरिए भैसों में दूध देने की क्षमता का विकास होगा और हर भैंस से रोजाना 20 लीटर तक दूध का उत्पादन लेने में मदद मिलेगी.

इससे किसान और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और उनका आय भी बढ़ेगी. एक्सपर्ट्स ने बताया कि इसी तकनीक की तर्ज पर ब्राजील ने भारत के देसी पशुधन के जरिए 20 से 54  लीटर तक दूध उत्पादन लेने का रिकॉर्ड कायम किया है.

इन भैसों की नस्लों का होगा सुधार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश कुटकुट विकास निगम के सहयोग से मदर बुल फॉर्म स्थित लैब मुर्रा नस्ल के बफेलो बुल से सेक्स सार्टेड सीमन से 50,000 स्ट्रा तैयार किए जा रहे हैं. भैंसों के इस नस्ल सुधार कार्यक्रम में मुर्रा, जाफराबादी और भदावरी प्रजाति की भैसों को शामिल किया गया है.

इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन देने वाली मुर्रा भैंस का नस्ल सुधार होगा. फिलहाल, मुर्रा भैंस का दूध उत्पादन 8 से 10 लीटर है, जिसे बढ़ाकर 18 से 20 लीटर ले जाने की योजना है.

पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि मुर्रा प्रजाति हरियाणा से ताल्लुक रखती है, जिसे दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए तैयार करने में 35 साल का समय लगा और अब इससे दूसरी नस्लों का सुधार किया जा रहा है.

मादा पशु हैं दूध सेक्टर का भविष्य
देश-विदेश में दूध और इससे बने उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है, इसलिए अब पशुपालक भी अच्छी मात्रा में दूध देने वाले मवेशियों की तरफ रुख कर रहे हैं. इस मामले में पशु विशेषज्ञ बताते हैं कि एक मादा मवेशी ही डेयरी फार्म का भविष्य होती है. यही गर्भधारण करती है और दूध देती है, इसलिए  मादा पशुओं की पैदाईश बेहद जरूरी है.

यही वजह है कि अब सरकार भी दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत सेक्स सॉर्टेट सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान को प्रमोट कर रही है. इससे मादा पशुओं के पैदा होने की संभावना 90 से 95 फीसदी तक होती है. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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