कोरोमंडल ट्रेन दुर्घटना: देश के इतिहास और इस सदी की सबसे भीषण रेल दुर्घटना में से एक ओडिशा रेल हादसा (Odisha Train Accident) में अब तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है. इस हादसे में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं, असल में अस्पताल में इलाज चल रहा है। पीएम मोदी (पीएम मोदी) ने शनिवार (3 जून) को ट्वीट किया और झलक से अस्पताल में मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने हादसे के लिए दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात भी कही। इन सबके बीच एक सवाल सबसे ज्यादा पूछा जा रहा है कि आखिर इतना बड़ा रेल हादसा कैसे हुआ।
ओडिशा में हुई इस रेल दुर्घटना को 24 घंटे से ज्यादा देर तक चोट लगी है। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं है कि ये सिनिस्टर ट्रेजेडी कैसे हुई. रेलवे ने बहुत कम जानकारी के साथ एक संक्षिप्त आधिकारिक बयान जारी किया। रेलवे बोर्ड ने कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस अप लाइन में फुल स्पीड से आ रही थी वहीं बैंगलोर-हावड़ा यशवंतपुर एक्सप्रेस डाउन लाइन में आ रही थी। मालगा तब कॉमन मिकनिंग में थी। उसी समय कोरोमंडल एक्सप्रेस से उतर गई और इससे कुछ सड़क मालगाड़ी से टकरा गई और फिर कुछ सड़क यशवंतपुर एक्सप्रेस से टकरा गई।
इशारों की गड़बड़ी के कारण हुआ हादसा?
इस दुर्घटना की वास्तविक वजह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगी, लेकिन प्रथम दृष्टया माना जा रहा है कि एक संकेत की दुर्घटना के कारण कोरोमंडल एक्सप्रेस अपने निर्धारित ट्रैक से हट गई और मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मार दी। बहरहाल, घटना की आधिकारिक जांच के बाद पूरी तस्वीर साफ होने की संभावना है।
ओडिशा ट्रेन हादसे की जगह
दुर्घटनास्थल ओडिशा के बालासोर जिले के बहनागा बाजार स्टेशन से थोड़ा पहले है। इस हादसे में तीन ट्रेनें शामिल थीं- दो यात्री ट्रेनें विपरीत दिशा में जा रही थीं और एक मालगाड़ी वहां पड़ रही थी। पहली ट्रेन, कोरोमंडल एक्सप्रेस, कोलकाता/हावड़ा के शालीमार स्टेशन से शुरू हुई थी और चेन्नई की ओर जा रही थी। इसने खड़गपुर और बालासोर को पार किया था और इसका अगला पड़ाव भद्रक था।
कितनी बजे हुई ये भीषण दुर्घटना?
ट्रेन लगभग ठीक समय पर चल रही थी और बहनागा बाजार (बिना रुके) स्टेशन शाम 7.01 बजे पार कर ले। अप मेन लाइन (चेन्नई की ओर), डाउन मेन लाइन (हावड़ा की ओर) और दोनों ओर दो क्षीण लाइन हैं। कमजोर का मतलब है ऐसा ट्रैक जहां एक ट्रेन को किनारे पर पार्क करना है ताकि तेज या महत्वपूर्ण ट्रेनों के लिए मुख्य लाइन खाली रह जाए। रेलवे के अनुसार, कोरो एक्सप्रेस अप मेन लाइन से गुजर रही थी और उसी समय अपरेंटिस लाइन में सवार मालगाड़ी से टकरा गई। ट्रेन की गति से जा रही थी क्योंकि इस स्टेशन पर रुकना नहीं था।
इस जानकारी से ये स्पष्ट है कि कोरोमंडल ट्रेन मुख्य लाइन पर मालगाड़ी के पास से प्रवेश के बजाय ग्राह में घुस गया और टकरा गया। घटना की तस्वीरों में कोरोमंडल का लोकोमोटिव मालगाड़ी के ऊपर दिख रहा है। लोकोमोटिव संकेतों को संकेतों के माध्यम से दिशा निर्देश दिए जाते हैं, वो इन निर्देशों पर काम करते हैं न कि पटरियों को देखकर, अंधेरे में देखकर। किसी कारण से द इंडियन एक्सप्रेस को बताया गया है कि अभी तो रेलवे को इशारों की स्थिति की संभावना दिख रही है।
इशारों की गड़बड़ी और गलती लाइन में घुसना
कोरोमंडल को मुख्य पंक्ति से हरी झंडी दी गई और फिर संकेत बंद कर दिए गए। जिससे ट्रेन खतरनाक लाइन में घुस गई और मालगाड़ी से टकरा गई। संयुक्त निरीक्षण दल की ओर से कहा गया कि अब तक की जानकारी के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए अप मेन लाइन के लिए हरी झंडी दी गई थी और फिर इसे हटा दिया गया था, लेकिन ये ट्रेन तब तक अप खतरनाक लाइन में घुस गया था और वहां मालगाड़ी से टकराकर पटरी से उतर गया था।
क्या ड्राइवर टाल सकता था दुर्घटना?
सूत्रों के अनुसार, रेलवे के अधिकारी त्रुटि या विफलता के साथ ड्राइवर के साथ होने वाले मसलों को भी देख रहे हैं। जिन्हें रेलवे में लोको पायलट के रूप में जाना जाता है। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ट्रेन को शक्तिशाली इंजनों से खींचा जाता है। रेलवे ने कहा है कि कोरोमंडल फुल स्पीड से जा रही थी, जो लगभग 100 किमी/घंटा हो सकती है। उस रफ्तार से इमरजेंसी ब्रेक लगाने के बाद भी कोई ट्रेन शायद दो किलोमीटर से पहले नहीं रुकेगी।
तीसरी ट्रेन कहाँ से आई?
कोरोमंडल ने जब मालगाड़ी को टक्कर मारी तब तीसरी ट्रेन बैंगलोर-हावड़ा एक्सप्रेस हावड़ा (विपरीत दिशा में) की ओर जाने वाली डाउन मेन लाइन से आगे जा रही थी। कोरोमंडल मालगा से टक्कर हुई तब बैंगलोर-हावड़ा ट्रेन का सबसे पहला हिस्सा दुर्घटनास्थल को पार कर गया। हालांकि, बैंगलोर-हावड़ा एक्सप्रेस के आखिरी कोच हादसे का शिकार हो गए और पटरी से उतर गए।
ये भी पढ़ें-