कर्मचारी पेंशन योजना अद्यतन: ईपीएफओ ने एंप्लॉय पेंशन निर्धारण (ईपीएस) के तहत ज्यादा पेंशन लेने के विकल्प की मियाद को 26 जून 2023 तक बढ़ा दिया है। कर्मचारियों के पास अब दो महीने का समय है जिसमें वे तय कर सकते हैं कि नए या पुराने प्लान में कौन सा विकल्प उनके लाभ के लिए है। हालांकि सभी कर्मचारियों के लिए अधिक पेंशन लाभ होगा या ये कहना ठीक नहीं है। ज्यादा पेंशन पाने वाले उनके लाभ के लिए हर महीने ज्यादा पेंशन लेना चाहते हैं। लेकिन जो लोग अनापत्ति के बाद एक बार में ज्यादा एकमुश्त राशि चाहते हैं, उनके लिए ज्यादा पेंशनभोगी लाभ नहीं रहेंगे।
जैसे कर्मचारी ज्यादा पेंशन के विकल्प का चुनाव करेंगे उसके ईपीएफ खाते में जमा शेष राशि मिलेगी लेकिन ईपीएस खाते में जमा राशि बढ़ेगी। लेकिन कोई कर्मचारी ज्यादा पेंशन के विकल्प का चुनाव नहीं करता है तो उसके ईपीएफ खाते में बहुत अधिक राशि जमा हो सकती है। लेकिन इस विकल्प का चुनाव करने के बाद अलग-अलग सेरेमेंट के बाद फाइनेंशल प्लानिंग की जाएगी।
प्रॉविडेंट फंड को समझें!
सभी ईपीएफओ मेंबर के दो फायदे होते हैं। जिसमें एक खाता ईपीएफ होता है तो दूसरे ईपीएस का जिसमें पेंशन राशि को जमा किया जाता है। सभी कर्मचारियों के पेंशन और डीए के 12 प्रतिशत ईपीएफ खाते में जमा किया जाता है। उतनी ही रकम एम्पॉलेयर द्वारा भी जमा की जाती है, लेकिन इसमें से सभी पीएफ खाते में जमा नहीं किया जाता है। कर्मचारी की ओर से किए गए 12 प्रतिशत योगदान में से 8.33 ईपीएस खाते में जमा किया जाता है, शेष 3.67 प्रतिशत राशि को ईपीएफ खाते में जमा किया जाता है। लेकिन जैसे आप ज्यादा पेंशन के विकल्प को चुनेंगे तो वैसे ही एंप्लॉयर के हिसाब से तेजी से जाने वाले योगदान में बदलाव आ जाएगा।
एंप्लॉय पेंशन क्या है
निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी सरकार 1995 में नया कानून लेकर आई थी। इस कानून का मकसद निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को भी पेंशन का लाभ देना था। जब ये कानून बना तब ईपीएस में योगदान करने के लिए वेतन की अधिकतम सीमा 6500 रुपये तय की गई जिसे बाद में बढ़ाकर 15000 रुपये कर दिया गया। हालांकि 2014 में एक नया नियम बनाया गया। जिसमें एम्पायर को पेंशन और डीए का कुल 8.33 प्रतिशत पेंशन फंड में योगदान देने से छूट दी गई है यानी कर्मचारियों के लिए यह जरूरी नहीं था कि ईपीएस में योगदान करें।
ऐसे पा सकते हैं ज्यादा पेंशन!
लेकिन अगर आप ज्यादा कर्ज बंधन के बाद चाहते हैं तो आप अपने एचआर डिपार्टमेंट से संपर्क कर सकते हैं। लेकिन अगर आप खुद ज्यादा पेंशन के लिए आवेदन देना चाहते हैं तो ईपीएफओ की वेबसाइट पर अपना आवेदन दे सकते हैं। ईपीएफओ की वेबसाइट पर जाने के बाद आपको दो विकल्प दिखाई देंगे। अगर कर्मचारी एक सितंबर 2014 से पहले नामांकन हो गया है और वो ज्यादा पेंशन के विकल्प घोषणा करना चाहते हैं तो उन्हें पहले विकल्प को घोषणा होगी। अगर कर्मचारी अभी भी नौकरी में हैं तो उन्हें दूसरे विकल्प मिलेंगे।
ईपीएस के तहत ज्यादा पेंशन के विकल्प को योग्यता के लिए दूसरे रिजेक्शन पर क्लिक करने के बाद रजिस्ट्रेशन रिकवेस्ट फॉर्म खुल जाएगा। उनका आधार अपना यूएन और संबद्ध फॉर्म भरना होगा। एम्प्लॉयर को कर्मचारियों के एम्प्लॉय स्टेटस की डिटेल मिल जाएगी। एम्प्लॉयर की तरफ से मंजूरी मिलने के बाद ज्यादा पेंशन के लिए फंड कटना शुरू हो जाएगा। अधिक पेंशन के विकल्प को योग्यता के लिए ईपीएफओ ने दाखिल होने की फैसिलिटी भी उपलब्ध दावों में शामिल हैं, जिनमें कर्मचारी को निकट के ईपीएफओ वेज जाना होगा या फिर जहां कैंप लगाया गया है वहां पहुंचेंगे। इस सुविधा के माध्यम से कर्मचारी आसानी से फॉर्म को भरने के बाद अपलोड करें।
ज्यादा पेंशन के लिए कटेगा ज्यादा सैलरी!
शर्मिंदगी के बाद ज्यादा पेंशन पाने के लिए कर्मचारियों को मिलने सैलेरी पर कोई असर नहीं होगा। केवल एम्प्लॉयर के योगदान में बदलाव आया है। उदाहरण के तौर पर मान लिजिए कि किसी कर्मचारी की अमृत सैलेरी और डीए 25000 रुपये है जो कर्मचारियों के ईपीएफ खाते में 3000 रुपये सागर होता है। एम्प्लॉयर को भी 3000 रुपये का योगदान होता है। हालांकि नए रूल्स के मुताबिक 2080 रुपये ईपीएस खाते में जमा होगा जबकि 920 रुपये ईपीएफ खाते में जमा होगा। अबतक 15000 रुपये अमृत सालेरी और डीएजीवी कर्मचारियों की 8.33 फीसदी रकम यानी 1249 रुपये ईपीएस खाते में सागर हो रहा था तो बाकी बची राशि ईपीएफ खाते में जमा हो रही थी। लेकिन ईपीएफ में योगदान के लिए वेतन की सीमा खत्म होने के बाद कर्मचारी अब वेतन और डीए की 8.33 प्रतिशत राशि पेंशन में योगदान कर सकते हैं। यानी जो एंप्लॉयर की तरफ से योगदान दिया जाता है, उसमें 8.33 फीसदी रकम पेंशन फंड में होगी और 3.67 फीसदी रकम ईपीएफ में जमा होगी।
कैसे करें पेंशन कैलकुलेट
पैंशन कैलकुलेट करने का फॉर्मूला है। उदाहरण के लिए मान लिजिए आपकी अमृत सैलेरी + डीए 15000 रुपये है और अगर 35 साल तक आपने सेवा की है तो दोनों को उदाहरण देने के बाद 70 से हिस्सा देना होगा जो 7500 रुपये बनेगा यानी हर महीने 7500 रुपये का पेंशन मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस फॉर्मूले में बदलाव कर दिया है। जिसमें पिछले 60 महीने का औसत वेतन लिया गया है या फिर 5 साल की पेंशन सैलेरी के औसत के आधार पर पेंशन तय की गई है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार पिछले 60 महीनों के औसन वेतन (बेसिक सैलेरी और डीए को मिलने के बाद) उसे सेवा के कुल वर्ष (उदाहरण के लिए 35 वर्ष) से गुना करने के बाद 70 से भाग देना होगा। अगर आपकी मोटी सैलेरी और डीए ज्यादा है तो पेंशन सैलेरी भी ज्यादा होगी। मान लिजिए किसी की अमृत सैलेरी+डीए एक लाख रुपये है और 35 साल तक सेवा में है तो मंथली पेंशन 50,000 रुपये मिलेगी जो 15000 रुपये के अंगूठे सालेरी के पुराने फॉर्मूले से कहीं ज्यादा है।
नमी हो गए लोग भी उठा सकते हैं फायदा
नामांकित कर्मचारी भी नई सूचनाओं के तहत अधिक पेंशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। उनके पेंशन ईपीएस खाते में जमा राशि के आधार पर तय होंगे। ऐसे लोग अपने ईपीएफ फंड को ईपीएस खाते में आवंटन कर ज्यादा पेंशन पा सकते हैं। इसी के साथ व्याज भी उसी पर मिलेगा।
ये भी पढ़ें
खाद्य तेल की दर: सरकार ने ऑब्जर्वेटिव से खाने के तेल की सेल के लिए कहा, जानें कब तक राहत मिलेगी