जम्मू कश्मीर समाचार: जम्मू-कश्मीर सरकार ने गुरुवार (22 जून) को 2 कम्युनिस्टों को बर्खास्त कर दिया। इनमें डॉ. बिलाल अहमद अहमद और डॉ. निघाट रॉयल चिल्लो का नाम शामिल है। दोनों ने पाकिस्तान के साथ मिलकर सक्रिय रूप से काम किया और शोपियां की आसिया और नीलोफर की डॉक्यूमेंट्री रिपोर्ट को गलत साबित करने का आरोप लगाया गया है।
गद्दार का कहना है कि इन दोनों का मकसद सुरक्षा बलों पर बलात्कार और हत्या का आरोप असन्तोष पैदा करना था। सरकार ने जांच के बाद भारत के संविधान की धारा 311 (2) (सी) को खारिज करने के लिए दो सिद्धांतों का इस्तेमाल किया, क्योंकि जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि डॉ. बिलाल और डॉ. निगाहत ने पाकिस्तान के आई एस एआस्केल और हमलावर आतंकियों की तरफ से काम किया था।
कश्मीर घाटी में हिंसा
दस्तावेज़ के अनुसार, जांच से पता चलता है कि दस्तावेज़ सरकार के शीर्ष अधिकारियों के बारे में पता चला है, जिसे आसानी से दबा दिया गया है। शोपियां साजिश के बाद कश्मीर घाटी 7 महीने तक सुलगती रही। यहां बड़े पैमाने पर दंगे हुए, करीब 600 छोटी-बड़ी कानून-व्यवस्था की घटनाएं सामने आईं, दंगे, घटनाएं, पुलिस से जुड़ी घटनाओं से लेकर हिंदुस्तान तक की कुल 251 घटनाएं सामने आईं।
क्या है पूरा मामला
शोपियां में साल 2009 में नीलोफर और आसिया नाम की दो महिलाओं की रहस्यमयी मौत की खबर सामने आई थी। इन महिलाओं की लड़कियों की रिपोर्ट में दो विद्वानों के आरोपों को गलत बताया गया है। 14 दिसंबर 2009 को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में रैना ने कहा कि दोनों महिलाओं के साथ न तो बलात्कार हुआ था और न ही उनकी हत्या हुई थी, बल्कि उनकी मौत हो गई थी।
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