स्वर्ण शताब्दी ट्रेन मालिक: भारत में एक ऐसा भी वाकया हुआ था, जब एक ट्रेन किसानों का नाम हो गया। रेलवे की गलती से ये किसान बन गया ट्रेन का मालिक. इस ट्रेन का नाम गोल्डन शताब्दी एक्सप्रेस है, जिसे आज भी अमृतसर और नई दिल्ली के बीच चलाया जाता है। यह रेल ट्रेन नंबर 12030 के नाम से चलती है। आइए जानते हैं कैसे रेलवे की ये किसानों के नाम हो गए।
क्या था पूरा मामला
दरअसल, चंडीगढ़ रेल लाइन के निर्माण के दौरान 2007 में एक किसान की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन उचित रूप से जिम्बाब्वे नहीं दिया गया, फिर क्या था, गांव कटाणा के किसान संपूर्ण सिंह ने कोर्ट का रुख किया और मामला दर्ज किया। इसके बाद कोर्ट ने 1.05 करोड़ की राशि का हस्ताक्षर करने वाला कहा था, लेकिन रेलवे की ओर से मुआवजे की राशि नहीं दी गई।
किसान के नाम पर हुई ट्रेन!
जिला और सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा की अदालत ने स्टेशन पर ट्रेन नंबर 12030 को कुर्क करने का आदेश दिया। इसलिए ही कोर्ट ने स्टेशन मास्टर के कार्यालय को भी कुर्क करने का आदेश सुना था, क्योंकि रेलवे ने 2015 के आदेश का पालन नहीं किया था। इस तरह, गांव कटाणा के निवासी संपूर्ण सिंह की संपत्ति बन गई। इसके बाद, सेक्शन इंजीनियर प्रदीप कुमार ने एक अदालत के अधिकारी से मुक़दमा दायर किया। हालांकि अभी ये मामला कोर्ट में विचाराधीन बताया जाता है और ये ट्रेन अभी उसी समय अमृतसर से नई दिल्ली के बीच संचालित की जाती है।
2012 में मूल दावा याचिका दायर की गई थी
कोर्ट के पहले आदेश में कोर्ट ने मुआवजे को 25 लाख रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया था। इसके बाद इसे बढ़ाकर 1.47 करोड़ रुपये कर दिया गया। मूल दावा याचिका 2012 में दायर की गई थी। कोर्ट ने 2015 में उन्हें राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था।
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