Manoj Bajpayee On Nepotism: मनोज बाजपेयी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे फाइन एक्टर्स में से एक हैं. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि इंडस्ट्री ने शायद उन्हें उनका ड्यू नहीं दिया. फिल्म इंडस्ट्री के सेल्फ मेड स्टार्स में एक रहे मनोज बाजपेयी का मानना है कि इंडस्ट्री में नेपोटिज्म को लेकर जो बहस है वो बेकार है. उन्होंने कहा कि वो अब समझ गए हैं कि ये बेकार का मुद्दा है और ऐसा हर जगह होता है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें स्टार किड्स को काम मिलने से कोई समस्या नहीं है.
यहां नहीं है किसी से कोई भाईचारा
एएनआई के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि इस इंडस्ट्री को फर्टीनिटी (बिरादरी) कहना गलत है, क्योंकि हर कोई अलग है और अलग तरीके से काम कर रहा है. नेपोटिज्म बड़ी बेकार बहस की है क्योंकि ये एक पर्सनल इनवेस्टमेंट है जो कोई फिल्म मेकर किसी पर करता है. फिल्म इंडस्ट्री, चाहे यहां हो या कहीं और, कुछ निजी संस्थाएं अपना पैसा लगा रही हैं. इसलिए जब आप ‘भाईचारा’ शब्द का प्रयोग करते हैं तो मुझे समस्या होती है. हममें कोई भाईचारा नहीं हैं. हम अलग-अलग जगहों पर बिखरे हुए हैं और ऐसे ही काम करते हैं.”
मन मिलना जरूरी
उन्होंने कहा, ”कुछ लोगों से किसी का दिल मिलता है तो हम लोग साथ में उठते बैठते हैं और जिसके साथ दिल नहीं लगता उसके साथ नहीं उठते बैठते. अगर मेरी जगह वे अपने भतीजे को ले जाना चाहते हैं, तो उन्हें जाने दो. उनका पैसा, मैं क्या करूंगा? अगर वे इसे करना चाहते हैं, तो उन्हें करने दें.”
एग्जीबीटर्स करते हैं बदमाशी
उन्होंने आगे कहा, “समस्या तब पैदा होती है जब एग्जीबीशन में एग्जीबीटर्स भेदभाव दिखाते हैं. अगर आप किसी स्टार किड को 100 स्क्रीन दे रहे हैं तो कम से कम मुझे 25 स्क्रीन दीजिए और अगले हफ्ते आप उन्हें मेरी 25 स्क्रीन देने जा रहे हैं तो मेरी फिल्म का क्या होगा? तो जो जितना पावरफुल होता है, वो अपनी पावर का इस्तेमाल करता है. तो वो खेल तो हर जगह होता है. तो, फेयरनेस की डिमांड हम एक इंडस्ट्री से नहीं करनी चाहिए.”
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