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चेटी चंड पर आज मनाया जा रहा भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव, जानें पूजा का मुहूर्त और कथा

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Cheti Chand 2023: 23 मार्च 2023 को आज सिंधी समुदाय का प्रमुख त्योहार चेटीचंड मनाया जा रहा है. यह पर्व सिंधी समाज के आराध्य देवता भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है इसलिए इसे झूलेलाल जयंती के नाम से भी जानते हैं. इस पर्व से सिंधी समाज के नववर्ष की शुरुआत होती है. भगवान झूलेलाल का जन्म सद्भावना और भाईचारा बढ़ाने के लिए हुआ था।. इस दिन सिंधी समाज के लोग शोभा यात्रा निकालते हैं. इसके अलावा इस दिन कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. आइए जानते हैं भगवान झूलेलाल की पूजा विधि, महत्व और कथा.

चेटीचंड 2023 डेट (Cheti Chand 2023 date)

चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि शुरू – 22 मार्च 2023, रात 08 बजकर 20 

चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि समाप्त – 23 मार्च 2023, शाम 06 बजकर 20

भगवान झूलेलाल की पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि संत झूलेलाल वरुण देव के अवतार हैं. कहते हैं कि चेटीचंड के दिन भगवान झूलेलाल की पूजा से सुख, समृद्धि का वरदान मिलता है और व्यापार में कभी कोई रुकावट नहीं आती. उपासक भगवान झूलेलाल को उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसाँई, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल आदि नामों से भी पूजते हैं.

भगवान झूलेलाल ने इसलिए लिया था अवतार

संवत् 1007 में पाकिस्तान में सिंध प्रदेश के ठट्टा नगर में मिरखशाह नामक एक मुगल सम्राट राज्य करता था. उसने जुल्म करके हिंदू आदि धर्म के लोगों को इस्लाम स्वीकार करने पर मजूबर कर दिया. उसके आतंक से तंग आकर सभी ने सिंधू नदी के किनारे एकत्रित होकर भगवान का स्मरण  किया. भक्तों की कड़ी तपस्या के परिणाम स्वरूप नदी में मछली पर सवार एक अद्भुत आकृति नजर आई और फिर ठीक सात दिन बाद चमत्कारी बालक ने श्रीरतनराय लोहाना के घर जन्म लिया, यही भगवान झूलेलाल कहे गए.

मिरखशाह के जुल्मों से बचाया

मिरखशाह ने उसे मारने की कई बार कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहा. बालक ने मिरखशाह को कई बार हिंदूओं पर अत्याचार न करने की चेतावनी भी दी लेकिन वो नहीं माना. अवतारी युगपुरुष भगवान झूलेलाल ने मिरखशाह को हरा दिया. वहीं एक मान्यता है कि प्राचीन काल में जब सिंधी समाज के लोग व्यापार से संबंधित जलमार्ग से यात्रा करते थे. तब यात्रा को को सकुशल बनाने के लिए जल देवता झूलेलाल से प्रार्थना करते थे और यात्रा सफल होने पर भगवान झूलेलाल का आभार व्यक्त किया जाता था. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए चेटीचंड का त्योहार माना जाता है.

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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