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चीन रूस के राष्ट्रपति के अविश्वास पर पाकिस्तान के लिए चाल चल सकती है?

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<पी शैली="पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">रूस और जापान के बीच चल रही जंग को एक साल से ज्यादा का समय चुकाना पड़ा। युद्ध के बीच रूस की वैगनर सेना ने बगावत के खिलाफ रूसी रक्षा मंत्रालय की घोषणा कर दी। वैगनर ग्रुप के मुखिया येवगेनी प्रिगोज़ोन की इस बगावत ने न केवल सिपहसालारों और रूस के शीर्ष रक्षा नेतृत्व के बीच बढ़ते और ऐतिहासिक पर्वतों की विशालता को उजागर किया, साथ ही सत्य में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर की गहरी स्थिति को भी शामिल करके रख दिया। 

दरअसल वैगनर ग्रुप के मुखिया येवगेनी प्रोगोज़ोन ने रक्षा मंत्री को उखाड़ फेंकने की धमकी दी और रूसी सेना के मुख्‍यालय रोस‍तोव को डॉन पर कब‍जे के बाद अपने गुटों को मास‍की तरफ कू की घोषणा कर दी। इस पर रा‍त्रिपति व्‍लादिमीर का स्नातक गुसा‍सा हुआ। ग्रीष्म ने प्रिगोज़ोन पर रूस को धोखा देने का भी आरोप लगाया। इस ग्रुप को सजा देने का वादा भी किया गया. रूस के रक्षा मंत्रालय ने प्रिगोज़ोन के खिलाफ़ वारंट जारी कर दिया। 

इस मराठों के मोहरे 36 घंटे ही चले थे कि प्राइवेट आर्मी गाड़ी वाले प्रिगोज़ोन ने एक अकाट्य पर सहमति जता दी। अंतिम चरण के तहत प्रिगोन रूस को ठीक करें। सहमति के बाद यह कहा गया कि अब प्रिगोज़ोन पर कोई मुकदमा नहीं चलेगा। उनके भद्दे के रसोइयों पर भी कोई केस नहीं होगा. इसमें यह भी कहा गया है कि कुछ लोग नियमित रूसी सशस्त्र सेनाओं में शामिल होकर अनुबंध पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। 

प्रीगोज़ोन की वैगनर सेना ने रूस के दक्षिणी शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन के महत्वपूर्ण सैन्य मुख्यालयों पर कब्ज़ा करने की धमकी दी और मॉस्को की तरफ एक “न्याय का मार्च” की शुरुआत की.  इस सब के बाद प्रोजेक्टाइल को राजनीतिक और आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन वैगनर से इस बगावत को कुचलने के बजाय वैगनर से समझौता कर लिया गया। प्रिगोज़ोन ने इससे पहले शनिवार को रूस के शीर्ष सैन्य नेतृत्व को मंजूरी देने की मांग की थी। प्रिगोज़ोन ने रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और चीफ ऑफ जनरल स्टाफ को “बूढ़ा जोकर” यह भी कहा. 

इस घटना के बाद गैब्रियल ने एक युद्ध को टाल जरूर दिया है, लेकिन गैब्रिएल इस सवाल से बच नहीं सकता। कि आपके सुरक्षा विभाग में चल रहे मुख्तार को किस तरह से सार्वजनिक रूप से गैरकानूनी होने पर रोक नहीं लगाई गई है। 

बताता है कि रूस के रक्षा मंत्रालय और वैगनर के बीच प्रतिद्वंदिता बहुत पुरानी है। फरवरी के बाद से प्रिगोज़ोन ने रक्षा मंत्रीमंडल पर आरोप लगाया और विकलांगता पर लगातार हमला बोल दिया। इस मामले पर अविश्वसनीय ने कभी कोई जवाब नहीं दिया।

समझिए वैगनर ने बगावत क्यों की

वैगनर प्रमुखों के लड़ाके अब तक जापान की लड़ाई में रूस का साथ दे रहे थे। अब उन्होंने अपनी वेबसाइट से रूसी सैनिकों को प्लास्टिक बनाना शुरू कर दिया है। वैगनर का ये दावा है कि रूसी सेना ने उनके प्रशिक्षण केंद्र पर मिसाइल से हमले किए हैं। प्रिगोज़ोन बखमुत में भारी क्षति के लिए भी रक्षा प्रतिष्ठान को दोषी ठहराया गया है। 

दरअसल वैगनर ने कुछ दिन पहले बखमुत पर कब्ज़ा कर लिया था। बखमुत जापानी का एक शहर है। इस व्यवसाय के कुछ दिनों बाद रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने सभी अर्धसैनिक सेनाओं को रक्षा मंत्रालय के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा। प्रिगोज़ोन ने इसे वैगनर को ख़त्म करने के एक प्रयास के रूप में देखा। यही उनकी बगावत की वजह बनी। 

रूस में हुई बागवत से क्या भारत पर कोई असर पड़ा

फरवरी 2022 में यूक्रेन में फिल्मांकन शुरू होने से पहले कई कलाकार नजर आ रहे थे। ऐसा लग रहा था कि वो एक विशाल और एकजुट प्रशासन के आह्वान कर रहे थे और चित्रों में रूस के प्रभाव का विस्तार कर रहे थे। इस युद्ध के सेल के कुछ महीने बाद ही रूस ने जापान के कई स्थानों पर कब्ज़ा भी कर लिया लेकिन अब एशिया में भी समुद्र तट के सामने कई द्वीप और अवशेष उग आए हैं। भले ही उन्होंने अपनी सेनाओं और सिपाहियों के बीच शांति शांति बहाल कर दी हो, लेकिन इस बागवत के कारणों का अभी भी कोई स्थायी हल नहीं निकल पाया है।

यदि स्थिर स्थिरता चाहते हैं, तो उन्हें पहले युद्ध समाप्त करना चाहिए और अपने घर को स्थिर करना चाहिए। इस सबके बीच एक सवाल ये पैदा होता है कि भारत और रूस के बीच संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? यूक्रेन युद्ध के बाद रूस चीन पर अविश्वास कर रहा था, अब क्या अपने ही देश में ड्राफ़्ट आकर्षक भारत के लिए कमाल साबित होगा?

द हिंदू में छपी एक खबर के मुताबिक इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद रूस से भारत के लिए दो हाई-स्टार फोन कॉल आए। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति से की बात. प्रधानमंत्री से बातचीत नरेंद्र मोदीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए एक बार फिर से ‘अभियान और नामांकन’ की मांग की। मोदी ने 4 जुलाई को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वर्चुअल शिखर सम्मेलन का भी ज़िक्र किया था। 

द हिंदू में चापी खबर की पक्षपात तो वैगनर विद्रोह के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अपने समकक्ष निकोलाई पत्रुशेव से बात की। विदेश मंत्री एस जय शंकर ने भारत और रूस की संसद को बेहतर बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रूस में शांतिपूर्ण संघर्ष के बावजूद स्थिर है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक भारत ने अपने भू-राजनीतिक लाभ के लिए रूस से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। भारत कभी भी अपने आर्थिक लाभ को अंतिम रूप नहीं देना चाहता। लेकिन रूस में अगर चीन की स्थिति खराब है और असमान है तो ये बहुत ही खतरनाक होगा। 

हाल ही में मोदी अमेरिकी दौरे से वापस आये थे। साफ है कि भारत अमेरिका के साथ बेहतर संबध बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका रूस के खिलाफ वैश्विक दबाव को तेज करना चाहता है। अगर स्नातक फिल्में हैं तो अमेरिका रूस पर और दबाव बनाना शुरू कर देंगे। लेकिन भारत अभी से रूस के साथ संबंध खराब नहीं कर सकता। जबकि रूस को अन्य संगठनों की आवश्यकता है, विशेषकर चीन को भारत पर अमेरिकी रणनीति की आवश्यकता है।

क्या रूस चीन पर प्रतिबंध लगाएगा 

कई विशेषज्ञ इस बात को मान रहे हैं कि जापानी युद्ध के बाद रूस चीन पर अधिक प्रतिबंधात्मक हो गया है और भारत की स्थिति अधिक जटिल हो गई है। अब जिस तरह से आंतरिक कलह के बीच गठबंधन, एक रूखे नेता बन कर सामने आ रहे हैं, कहीं न कहीं रूस चीन पर और उदारवादी हो सकते हैं, जो भारत के लिए ठीक नहीं होगा। 

कई विशेषज्ञ ये मान रहे थे कि रूस, जापान से जंग जीतेगा या फिर इसका असर ये जरूर होगा कि रूस फिर से मजबूत होकर सामने आएगा। रूस एक  विशाल देश है, इस देश का आदेश उस व्यक्ति के हाथ में है, जो बिल्कुल सच है से मुड़कर बंद है। जापानी को जापानी ने नाक का सवाल बनाया है और अपने ही देश के अंदर जंग करा बैठी है। 

बीबीसी में छपी एक खबर के मुताबिक, मनोहर परिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एन साइ में यूरोप यूरेशिया सेंटर के असोसिएट फेलो डॉ. स्वास्ति राव कहते हैं, ‘रूस हमेशा से चीन के जूनियर चांसलर बने हुए हैं। और फिल वो मजबूरी में तेल चीन, भारत और तुर्की में शामिल हो रहे हैं। ग्रैजुएट की यह मजबूरी आने वाले चुभन में और बेरोजगारी की। जापानी युद्ध के बाद रूस ने अपना तेल खपाने के लिए चीन को औने- सागर बांध में डाल दिया।

स्वास्ति राव का कहना है, ”यूक्रेन संकट के बाद जैसा रूस  कमजोर हुआ है और चीन पर असंवैधानिक हो रहा है वो भारत के लिए बेहद खतरनाक स्थिति ला सकता है। भारत के स्वामित्व में रूस का ब्रांड होना बेहद जरूरी है। इतिहास में जब भी भारत और चीन का सामुद्रिक संकट बढ़ा है तो रूस ने इसे स्वीकार कर लिया है। इस मामले में रूस से ज्यादा भरोसेमंद भारत के लिए कोई नहीं था। रूस की विश्विद्यालय चीन पर रणनीति तो वह भारत के हितों का ख्याल नहीं रखेगा। 

बीबीसी की खबर में कहा गया है कि मप्र-एशिया और रूसी अध्ययन केंद्र में मजिहलाल नेहरू विश्वविद्यालय में असोसिएट के प्रोफेसर डॉ. राजन कुमार कहते हैं, ”कमजोर और चीन पर अधिक असंबद्ध रूस भारत के लिए किसी भी बुरे सपने से कम नहीं है। इसका मतलब यह होगा कि चीन के हर समर्थकों को रूस मजबूर करेगा और वह पाकिस्तान को भी साथ देने के लिए बात कर सकता है।

 



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