भारत का राजकोषीय घाटा डेटा: देश का वित्तीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2022- 23 के पहले 11 महीने में उठाया हुआ घाटा 14.53 लाख करोड़ रुपये रहा है जो सरकार के पूरे साल के लक्ष्य का 83 प्रतिशत है। जो पिछले साल के पहले 11 महीने में 13.2 लाख करोड़ रुपये रहा था। कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स ने ये आंकड़े जारी किए हैं।
केंद्र सरकार का अनुमान है कि 2022-23 के लिए वित्तीय घाटा 17.55 लाख करोड़ रुपये रह सकता है जो अधिग्रहण का 6.4 प्रतिशत रह सकता है। सीजी के डाटा के मुताबिक 11 महीने में नेट टैक्स कलेक्शन 17,32,193 करोड़ रुपए रहा है। जो 2022-23 का रिवाइज्ड एस्टीमेट का 83 प्रतिशत है।
सेंटर सरकार ने 2022-23 के लिए वित्तीय स्थिति के लिए 16.61 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 17.55 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार बजट अनुमानों से अधिक रहता है, लेकिन राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत पर रह सकता है। और माना जा रहा है कि सरकार का यह लक्ष्य निश्चित रूप से सत्ता पर काबिज होगा।
सरकार के आयपर गड़बड़ी अप्रैल से फरवरी के बीच सरकार के टैक्स कलेक्शन से 12 प्रतिशत गड़बड़ी आई है। आईसीआरए के मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि 2022-23 में रोजकोशीय घाटे के लक्ष्य को सही करने के लिए मार्च महीने में ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू में साल दर साल 14 प्रतिशत का अधिकार जरूरी है। व्यय के मोर्चों पर पहली नज़र अप्रैल से फरवरी के दौरान 11.1 प्रतिशत खर्च बढ़ा है, लेकिन फरवरी में ये 2.6 प्रतिशत कम रहा है।
फरवरी महीने में सेंटर का कैपिटल एक्सपेंडिचर 20,335 करोड़ रुपये रहा जबकि एक साल पहले फरवरी 2022 में 43,495 करोड़ रुपये रहा था। फरवरी 2023 में कैपिचल एक्सपेंडिचर जुलाई 2021 में रहे 16,932 करोड़ रुपये के आंकड़े के बाद सबसे कम हैं।
सरकार को 2022-23 के 7.28 लाख करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए हासिल करने के लिए मार्च में 1.38 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। फरवरी महीने में घाट घाटा 2.63 लाख करोड़ रुपए रहा है जो फरवरी 2022 में 30.5 प्रतिशत कम है।
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