ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी (वोडाफोन) को कई साल पुराने एक मामले में बड़ा झटका लगा है। दिल्ली उच्च न्यायालय (दिल्ली उच्च न्यायालय) ने दो प्राधिकरण पर प्राधिकरण का अधिकार पत्र दर्ज करने के लिए प्राधिकरण (ट्राई) के निर्णय में दखल देने से इनकार कर दिया है। कोशिश ने इंटर-कनेक्टिविटी से जुड़े हुए सीधे से पालन नहीं करने के कारण समझौते की दो कंपनियों पर 1,050 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
इस कारण से मुकुरा गया था
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण ट्राई ने उन दो कंपनियों पर रिलायन्स जियो इंफोकॉम (रिलायंस जियो इन्फोकॉम) को इंटर-कनेक्टिविटी सुविधा (इंटर-कनेक्टिविटी सर्विस) देने से कथित तौर पर मना करने के कारण यह जुर्माने की मांग की थी। निवास और जियो के बीच होने वाली इंटर-कनेक्टिविटी समझौते के तहत यह सुविधा प्रमुखता से रखी गई थी, जिसका सही से पालन नहीं किया गया था।
ट्राई ने 2016 में की थी
जीएसटी की ओर से 21 अक्टूबर, 2016 को इस निर्देश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और झटका सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्राई के द्वारा तय किए गए जुर्माने को फिल्ट्रेशन अपीलीय न्याय अधिकारण यानी टीडीसैट (TDSAT) में भी चुनौती दी गई है। टीडीसैट ट्राई एक्ट के तहत होने वाले सभी ब्यौरे के लिए अधिकृत है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने की ये टिप्पणी
पीठ ने कहा कि इस बारे में अगर दिल्ली हाई कोर्ट कोई दखल देता है तो उसकी टीडीसैट की सुनवाई पर विरोध असर नहीं करेगा। इस वजह से कोर्ट ने दाखिल मोबाइल नंबर लिमिटेड (वोडाफोन मोबाइल सर्विसेज लिमिटेड) और निबंधक लिमिटेड (वोडाफोन आइडिया लिमिटेड) की तरफ से दायर याचिका को पूरा कर दिया।
साल 2021 में पास ऑर्डर
कोशिश ने दोनों प्राधिकरणों पर अटकल लगाने की 2016 में की थी। उसके बाद केंद्र सरकार ने 29 सितंबर, 2021 को इन देनदारियों पर बकाया राशि का आदेश पारित किया था। यह महामहिम सेल टेलीफोन टेलीफोन सेवा नियम, 2009 और सरफेस टेलीफोन सेवा नियमों का उल्लंघन किया गया था। इसमें से डोमेन लिमिटेड पर 950 करोड़ रुपये और नौ ग्लोबल लिमिटेड पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगता है।
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