किनोवा एक अद्भुत फसल है जिसे सुपर मगर ग्रेन भी कहा जाता है. इसकी खेती कर के किसान कम समय और लागत में मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. हालांकि, इसकी खेती करने के लिए आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान देना होगा. दरअसल, किनोवा की खेती, गेहूं, चना, धान और सरसों की तरह नहीं होती. इसके लिए किसानों को अपने खेत को अलग से तैयार करना होता है. इसकी डिमांड इंटरनेशनल बाजार में सबसे ज्यादा है. हरा, लाल और बैंगनी पौधों वाली ये फसल किसानों के लिए अमृत से कम नहीं है. चलिए आपको बताते हैं कैसे होती है इसकी खेती.
पहले जानिए किनोवा है क्या?
दरअसल, किनोवा एक फसल है जो दशकों से अमेरिका एन्डीज की पहाड़ियों पर उगता रहा है. इसे आप बथुवा कुल का पौधा मान सकते हैं. हालांकि, ये बथुसा से बिल्कुल अलग है. जहां एक ओर बथुआ के पत्तियों का प्रयोग किया जाता है. वहीं इसके बीजों का प्रयोग किया जाता है बिल्कुल वैसे ही जैसे धान और गेहूं के बीजों का प्रयोग किया जाता है. इसे कूट अनाज भी कहते हैं. इसके अंदर भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन्स और खनिज पाए जाते हैं.
कैसे होती है इसकी खेती?
अब तक इसकी खेती मध्य और दक्षिण अमेरिका के एन्डीज की पहाड़ियों पर ही हुआ करती थी. लेकिन धीरे धीरे इसे दूसरे देशों में भी उगाया जाने लगा है. भारत में भी किसान अब इसकी तरफ रुझान दिखा रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी डिमांड बाजार में बहुत ज्यादा रहती है. इसी ऊंची कीमत देकर लोग खरीद रहे हैं. इसके पोषक तत्वों की वजह से डॉक्टर भी इसे खाने की सलाह देते हैं. खासतौर से अमीर लोगों के बीच इसका क्रेज बढ़ता जा रहा है. इसकी खेती के लिए किसानों को 18 से 24 डिग्री के तापमान की जरूरत होती है. इसके साथ ही इसकी खेती के लिए भुरभुरी मिट्टी की जरूरत पड़ती है.
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