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कांग्रेस ने कई राज्यों में बदले प्रभार, राजस्थान में माकन की जगह इस नेता को मिली जिम्मेदारी

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कांग्रेस प्रभारी नियुक्त: कांग्रेस ने सोमवार (5 दिसंबर) को कई राज्यों में अपने अनुपात में बदलाव किए हैं। कांग्रेस ने अजय माकन (अजय माकन) की जगह हीराजिंदर सिंह रंधावा को राजस्थान (राजस्थान) का प्रभार बनाया है। पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हीनजिंदर रंधावा उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। अजय माकन ने कुछ दिन पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था। इसके साथ ही कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ और शक्ति सिंह गोहिल को हरियाणा का प्रभार बनाया गया है।

छत्तीसगढ़ में लिस्ट पुनिया की जगह पर्टिलिटी समाज से ही आने वाली हरियाणा की लीडर कुमारी शैलजा लेंगी। शक्ति सिंह गोहिल हरियाणा के साथ ही दिल्ली के प्रभार भी बने रहेंगे। हीनजिंदर रंधावा को राजस्थान का प्रभार देने पर जाने पर अजय माकन ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट किया कि, “इस काम से मुझे बहुत खुशी हो रही है। सुखिंदर सिंह रंधावा को आवंटन। वह एक सक्षम नेता हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अच्छा व्यक्ति नियुक्त किया है।” कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने राजस्थान के कांग्रेस प्रभार के रूप में पिछले नवंबर के महीने में पद छोड़ दिया था।

राजस्थान में कलह के बाद माकन ने पद छोड़ा था

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लिखित पत्र में अजय माकन ने कहा था कि वह राजस्थान की 25 सितंबर की घटनाओं के बाद अपने पद पर बने रहना नहीं चाहते हैं। माकन ने 8 नवंबर को अपने पत्र में कहा था कि भारत जोड़ो यात्रा के राज्य में प्रवेश करने और राज्य विधानसभा उपचुनाव होने से पहले एक नए व्यक्ति को जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए। उन्होंने खुद राहुल गांधी के साथी वादों में कहा कि वह दिल्ली में कांग्रेस को मजबूत करेंगे।

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राजस्थान में क्या हुआ था?

दरअसल, 25 सितंबर को कांग्रेस ग्राउंड के अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे पर्यवेक्षक के तौर पर रायपुर गए थे। तब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष का चुनावी लड़ाई की चर्चा थी। ऐसे में नए उम्मीदवारों के चयन के लिए विधायक दल की बैठक होने वाली थी।

ये बैठक जयपुर में बुलाई गई थी, लेकिन सचिन पायलट के उम्मीदवार का विरोध करने वाले गहलोत के भ्रष्टाचार ने बगावती सुर अख्तियार कर लिया। जिसके बाद ये मुलाकात नहीं हो सकी थी। इस घटना से आलाकमान भी नाखुश था। इसके बाद तीन नेताओं को कारण बताते हुए नोटिस जारी किया गया था। साथ ही अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने सोनिया गांधी से जुडने की बात की थी.

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