Railway Stations : भारतीय रेलवे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने पर सरकार का जोर है. इनमें से कुछ स्टेशन तो बिल्कुल ही बदल गए हैं. इन स्टेशंस पर एयरपोर्ट जैसी सुविधाए हैं.
अगर आप भी घूमने के शौकीन हैं तो और रेलवे स्टेशन पर समय बिताना चाहते हैं तो आज हम आपको देश के उन 5 रेलवे स्टेशन के बारें में बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में ही काफी दिलचस्प हैं. आइए जानते हैं इनके बारें में फैक्ट्स…
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, महाराष्ट्र
मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस इतना खूबसूरत है कि इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का गौरव दिया गया है. 19वीं शताब्दी में बने इस रेलवे स्टेशन को पहले विक्टोरिया टर्मिनस नाम से जाना जाता था. इसकी डिजाइन में विक्टोरिया गोथिक और भारतीय आर्किटेक्चर की झलक देखने को मिलती है. रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग पर 8 सितारा गुंबद लगा है, जो इसकी शान को दिखाता है. एफ डब्ल्यू स्टीफन्स ने इस इमारत को डिजाइन किया था. 10 साल में बनकर यह तैयार हुआ था. इसके बाद क्वीन विक्टोरिया की गोल्डन जुबली के मौके पर इसे खोला गया. तब यह बॉम्बे की सबसे महंगी इमारत हुआ करती थी आज छत्रपति शिवाजी टर्मिनस नाम से इसकी पहचान है.
रोयापुरम स्टेशन, तमिलनाडु-
इस लिस्ट का दूसरा स्टेशन तमिलनाडु का रोयापुरम है. 1856 में इसका उद्घाटन हुआ और 1 जुलाई 1856 में यहां से पहली ट्रेन वालाजाह रोड तक चली गई थी. इतने साल होने के बाद भी यह स्टेशन वैसा का वैसा ही है. रोयापुरम ब्रिटिश कारोबारियों की बस्ती के पास हुआ करता था. कई बार इसे रेनोवेट करने पर चर्चा हुई लेकिन 2016 में मद्रास हाईकोर्ट ने 160 से ज्यादा साल पुरानी इस इमारत में किसी तरह के बदलाव पर रोक लगा दी. यही कारण है कि आज भी यह स्टेशन वैसा का वैसा ही है.
हावड़ा स्टेशन, पश्चिम बंगाल
कोलकाता में हुगली नदी के तट पर बसा हावड़ा जंक्शन पर रोमन और बंगाली आर्किटेक्चर का मिश्रण आपको देखने को मिलेगा. इस स्टेशन की मुख्य पहचान बोरो घड़ी है. यह इतना बिजी स्टेशन है कि इसके आगे भारत के एयरपोर्ट तक फेल हैं. इस स्टेशन पर 23 प्लेटफॉर्म है. लाल पत्थरों से काफी खूबसूरती से इसका निर्माण हुआ है. यह भारत का दूसरा सबसे पुराना रेलवे स्टेशन है. एक अनुमान है कि हर दिन इस स्टेशन पर 1 मिलियन यात्री आते हैं.
चारबाग रेलवे स्टेशन, यूपी
लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन का निर्माण 1914 में लाल और सफेद रंग से हुआ था. जे एच हार्नीमैन ने इसका डिजाइन बनाया था. यह काफी ऐतिहासिक इमारत है जो मुगल काल के साथ राजस्थानी कल्चर के करीब है. बड़े गुंबद, मीनार और पेड़-पौधों से घिरा सुंदर बगीचा यहां की शान बढ़ाता है. यह किसी राजपूताना महल से कम नहीं है. प्लेन जब इस स्टेशन को देखेंगे तो चैस बोर्ड जैसा नजर आता है. इस स्टेशन की सबसे खास बात है कि स्टेशन के पोर्च के बाहर खड़े होकर भी आपको ट्रेन की आवाज सुनाई नहीं देती है. यह भी कहा जाता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पहली निजी बैठक भी यहीं हुई थी.
काचीगुड़ा स्टेशन, तेलंगाना
हैदराबाद के तीसरे सबसे बड़े रेलवे स्टेशन को बने 116 साल हो चुके हैं. निजाम काल में इसका निर्माण हुआ था. मुंबई जैसे शहर से कनेक्टिविटी बनाने के लिए इस स्टेशन को बनाया गया था. गोदावरी वैली लाइट रेलवे स्टेशन नाम से मशहूर इस स्टेशन पर पर्दा प्रथा होने के चलते महिलाओं के लिए अलग जगह था. इस स्टेशन का रेलवे म्यूजियम काफी खास है.
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