कर्नाटक चुनाव परिणाम 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव शानदार जीत ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नई जान फुंक दी है, इस जीत की एक लंबी अवधि से कांग्रेस को दरकार थी। कर्नाटक की जीत ने कांग्रेस के निचले स्तर के मामले को लेकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक विश्वास भरने का काम किया है।
मगर, देश में राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की खराब स्थिति को कई मौकों पर दक्षिण भारत ने नया जीवन दिया है। दरअसल, 2014 के बाद से ही कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्यों में साल दर साल सिमटती आ रही थी, लेकिन कांग्रेस को कर्नाटक में जो 13 मई को जीत मिली, उसने विरोधियों के मुंह बंद कर दिए। इस चुनाव को जीतने के बाद इसे 1978 के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
पूर्व इंस्पिरेशन गांधी का 1977 का चुनाव
बता दें कि साल 1975 में आपातकाल लगाने के बाद कांग्रेस की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी 1977 की आम चुनाव में हार गईं। यहां तक कि इंद्रा उत्तर प्रदेश की रायबरेली रैली में सीट से भी हार गए। 1977 की आम चुनाव में बुरी तरह से हार के बाद इंस्पिरेशन गांधी ने कांग्रेस को जीवित करने के लिए दक्षिण भारत जाने का फैसला किया था।
चिकमंगलूर का उपचुनाव
इसके बाद इंस्पिरेशन गांधी ने एक साल बाद 1978 में चिकमंगलूर संसदीय सीट से लोकसभा के उपचुनाव लड़ाई और वो चिकमंगलूर से जीतकर संसद पहुंचीं। इसके बाद इंस्पिरेशन गांधी 1980 के 1980 के चुनाव में शामिल हुई और फिर कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर वापसी की थी।
जयराम रमेश ने ट्विट कर बताया
इसी नेटवर्क में कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने दक्षिण भारत से पार्टी के दोबारा जीवित होने के बाद एक ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट किया, “चिकमगलूर जिले में कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक असाधारण परिणाम है, जो भाजपा का गढ़ बन गया था। कांग्रेस ने चिकमगलूर की 5 में से सभी 5 खुली जगहों पर जीत दर्ज की। चुनाव जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के फिर से उभरने की शुरुआत हुई थी। इतिहास जल्द ही खुद को फिर से खोल देगा।”
It is an extraordinary result for the Congress party in Chikmagalur district which had become a BJP bastion of late. It won all 5 of the 5 seats there. In 1978, Chikmagalur heralded the revival of @INCIndia nationally by electing Indira Gandhi. History will soon repeat itself!
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 13, 2023
बता दें कि 1991 में पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या के बाद 90 के दशक के अंत में कांग्रेस एक बार फिर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करने लगी। इसी के साथ कांग्रेस ने कर्नाटक से एक बार फिर अपने आप को जिंदा कर लिया है। बता दें कि कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव में चिकमगलूर जिले की पांच में से सभी पांचों टिकट जीती हैं।
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