https://bulletprofitsmartlink.com/smart-link/133310/4

कभी सोचा है पूरे ट्रैक पर पत्थर होते हैं, मगर रेलवे स्टेशन पर नहीं? ये है इसका जवाब

Share to Support us


Ballast On Track: जब भी हमे ट्रेन से कहीं जाना होता है तो स्टेशन जाकर ट्रेन पकड़नी पड़ती है. दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क, भारतीय रेलवे में छोटे-बड़े 8300 से भी ज्यादा रेलवे स्टेशन हैं. ट्रेन में सफर के दौरान बीच में कई छोटे-बड़े रेलवे स्टेशन पड़ते हैं. अगर आपने गौर किया होगा तो पाया होगा कि जो बड़े रेलवे स्टेशन होते हैं, उनके प्लेटफॉर्म की पटरी कंक्रीट में सेट होती है. यहां पटरी पर पत्थर नहीं पड़े होते हैं. जबकि, छोटे स्टेशन के ट्रैक पर बाकी रास्ते की तरह ही पत्थर पड़े होते हैं. क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?

इसलिए होते हैं रेलवे ट्रैक्स पर पत्थर

आइए पहले यह समझ लेते हैं कि रेलवे ट्रैक्स पर पत्थर क्यों पड़े होते हैं. रेलवे ट्रैक पर बिछे इन पत्थरों को बैलेस्ट कहा जाता है. जब रेल ट्रैक पर दौड़ती है तो तेज कंपन और काफी शोर होता है. ट्रैक पर पड़ी ये गिट्टियां इस शोर को कम करती हैं और कंपन के समय ट्रैक के नीचे की पट्टी जिसे स्लीपर्स कहते हैं, उसको फैलने से रोकती हैं. 

हालांकि, ट्रैक पर पड़ी इन गिट्टियों के रख रखाव में काफी खर्चा होता है. कई बार तो इनके रख-रखाव की प्रक्रिया के चलते रेलवे ट्रैक को ब्लॉक तक करना पड़ जाता है. इसके अलावा, ये पत्थर स्लीपर्स को मिट्टी में धंसने से भी बचाते हैं. साथ ही, इनके होने से ट्रैक पर घास-फूंस भी नहीं उगते हैं.

बड़े स्टेशनों पर ये पत्थर क्यों नहीं होते?

पहले रेलवे में के ICF कोच में बने टॉयलेट में ओपन डिस्चार्ज सिस्टम हुआ करता था, यानी टॉयलेट से निकलकर गंदगी सीधा ट्रैक पर गिरती थी. अब क्योंकि बड़े स्टेशनों पर ट्रेन ज्यादा देर तक रुकती है, तो ऐसे में जब ट्रेन स्टेशन पर खड़ी रहती थी तो टॉयलेट से निकलने वाली गंदगी ट्रैक पर आकर गिर जाती थी, जिससे ट्रेन के जाने के बाद काफी गंदगी हो जाती थी. ऐसे में अगर ट्रैक पर पत्थर होंगे तो वो गंदगी साफ नहीं हो पाएगी और स्टेशन पर दुर्गंध फेल जायेगी. इसलिए बड़े स्टेशन पर ट्रैक को कंक्रीट से बनाया जाता था, ताकि ट्रेन के जाने के बाद ट्रैक की अच्छे से सफाई की जा सके.

वहीं, दूसरी ओर छोटे स्टेशनों पर ट्रेन सोर्स 1 या 2 मिनट के लिए ही रुकती है. इसलिए वहां ज्यादा गंदगी भी नहीं फैलती है. इसीलिए वहां ट्रैक पर पत्थर ही होते हैं. हालांकि, अब रेलवे ने ओपन डिस्चार्ज सिस्टम को हटा कर बायो टॉयलेट लगा दिए हैं. जिसके बाद ट्रैक पर गंदगी गिरनी बंद हो गई है.

यह भी पढ़ें – जब देश के पूर्व में है बंगाल, तो इसके नाम में पश्चिम क्यों आता है? ये है इसका कारण



Source link


Share to Support us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Download Our Android Application for More Updates

X