ई-फार्मेसी कंपनियां: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ई-फार्मेसी के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। ई-फार्मेसी की ओर से दवाओं के दुरूपयोग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। एनी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-फार्मेसी कंपनियां अभी भी जिस बिजनेस मॉडल का पालन कर रही हैं, उसमें दवाओं के गलत इस्तेमाल की ज्यादा संभावना है।
ऑनलाइन दवाओं के ऑर्डर से ग्राहकों के व्यक्तिगत डेटा का भी खतरा है और दवाओं का गलत उपयोग भी हो सकता है। ऐसे में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इंटरनेट के माध्यम से दवाओं को बेचने वाले ई-फॉर्मेसी के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है। DCGI की तरफ से ये नोटिस 8 फरवरी को जारी किया गया था।
डीसीजीआई ने जो निर्देश दिए थे
DCGI की ओर से जारी किए गए कारण बताए नोटिस में 2 दिन के भीतर जवाब मांगा था। हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से फर्जी दावों का दावा किया गया था कि अगर कारण नहीं बताया जाता है तो देश में दवाओं की बिक्री और वितरण पर बिना किसी नोटिस के कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
1940 से स्पैम हो रहा है उल्लंघन
केंद्रीय मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, फ़ॉर्मेसी कंपनियां 1940 से ही ड्रग्स और कास्टमैटिक्स के अलग-अलग हेडर का उल्लंघन कर रही हैं। सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने 20 से ज्यादा ऑनलाइन फ्रेम को कारण बताते हुए नोटिस जारी किया है। इसमें गीत1एमजी, प्रैक्टो, एपोलो, अरेंज और रजिस्ट्रार जैसी कंपनियां शामिल हैं।
पकना दवाओं की बिक्री की आशंका
शर्माओसीडी की ओर से एक बयान में कहा गया है कि ई-दवाओं का वितरण लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। नियम कभी भी दवाओं की ऑनलाइन बिक्री या विज्ञापन की अनुमति नहीं देता है। बयानों में कहा गया है कि इससे कर्ना औषधि की बिक्री शुरू हो गई है।
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