Duchenne Muscular Dystrophy: दिल्ली में जंतर मंतर पर एक जानलेवा बीमारी से पीड़ित बच्चों के अभिवावकों ने रैली निकाली. दरअसल, दिल्ली के जंतर मंतर पर जिन अभिभावकों ने रैली निकाली उनके बच्चे ‘ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’ (DMD) नाम की घातक बीमारी से पीड़ित हैं. रैली का मकसद ये था कि लोग इस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक हों. इस दौरान बच्चों के माता-पिता ने सरकार के सामने मांगे उठाईं. इस अवसर पर देश भर के 21 राज्यों से आए करीब 500 अभिभावक मौजूद रहे.
अभिभावकों के समूह से जुड़े प्रवीण सिंगला ने कहा कि डीएमडी का कोई इलाज नहीं है. इससे पीड़ित बच्चों के अभिभावक चाहते हैं कि इस बीमारी की दवा बनाने के लिए देश में ही शोध कार्य हो. इसके अलावा जब तक इसका इलाज नहीं आता है, तब तक बच्चों की देखभाल में सरकारी सहयोग दिया जाए. हरियाणा के कवि अरुण जैमिनी और चिराग जैन भी इस रैली में सम्मलित हुए. अरुण जैमिनी ने कहा कि इन मासूम बच्चों की आंखों में हजारों सपने हैं. इनमें से कोई नरेंद्र मोदी बन सकता है, तो कोई अब्दुल कलाम. सरकार को बीमारी की गंभीरता समझ इलाज का प्रबंध करना चाहिए.
क्या हैं मांगें?
- सरकार डीएमडी से पीड़ित बच्चों का एक डेटाबेस तैयार करे.
- सरकार एक ऐसे एम्पावर्ड पैनल का गठन करे जिसमें सरकार के प्रतिनिधि, कुछ मेडिकल एक्सपर्ट और इस बीमारी से पीड़ित कुछ बच्चों के माता-पिता शामिल हों. ऐसा करने से इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के इलाज को लेकर चल रहे प्रयासों में तेजी आएगी.
- डीएमडी को लेकर जो संस्थान रिसर्च कर रहे हैं, उन्हें हर सुविधा और फंड उपलब्ध कराया जाए.
- डीएमडी से पीड़ित बच्चों को मुफ्त दवाएं और फिजियोथेरेपी उपलब्ध कराई जाए.
- सरकार ने दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति (एनपीआरडी 2021) के तहत सैकड़ों दुर्लभ बीमारियों की पहचान की है. इन दुर्लभ बीमारियों की इस लिस्ट में से ‘जानलेवा दुर्लभ बीमारियों’ की एक अलग श्रेणी बनाई जाए.
क्या है ‘ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’?
‘ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’ एक जीन में गड़बड़ी की वजह से होने वाली दुर्लभ जेनेटिक (अनुवांशिक) बीमारी है. शुरूआत पांव की मांसपेशियों के कमजोर होने से होती है जिससे बच्चे को चलने में दिक्कत होने लगती है. मगर जल्द ही ये रोग हृदय और फेफड़ों सहित शरीर की हर मांसपेशी को अपनी चपेट में ले लेता है. हमारे देश में पैदा होने वाले प्रत्येक 3500 पुरुषों में से एक लड़का डीएमडी के साथ पैदा होता है. हालांकि लड़कियों में ये बीमारी बहुत कम होती है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
हेड ऑफ पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी, एम्स दिल्ली डॉ. शेफाली गुलाटी ने बताया कि दुनिया के कई हिस्सों में इस बीमारी का इलाज तलाशने के लिए क्लिनिकल ट्रायल किए जा रहे हैं. कई जगह एग्जॉन स्किपिंग, जीन थेरेपी और स्किन सेल थेरेपी की मदद भी ली जा रही है. हालांकि अभी इसका इलाज नहीं तलाशा जा सका है.
इलाज है चुनौती
अभी तक दुनिया में कहीं भी ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज नहीं खोजा जा सका है. फिलहाल चिकित्स्क इलाज के नाम पर सिर्फ स्टेरॉयड की भारी डोज देते हैं. इससे बच्चे कुछ और वर्षों तक अपने पैरों पर चल तो पाते हैं. लेकिन इसकी कीमत बच्चों को स्टेरॉयड्स के गंभीर साइड इफेक्ट झेल कर चुकानी पड़ती है.
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