भारत में खाद्य तेल की कीमत में गिरावट: आम लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है। दिल्ली तेल-तिलहन बाजार के ज्यादातर तेल तिलहनों के दामों में भारी गिरावट देखने को मिली है. देशी तेल तिलहन जैसे सरसों (सरसों का तेल) एवं सोयाबीन तेल तिलहन (सोयाबीन का तेल) और बिनौला तेल (कॉटोनसीड ऑयल) के दाम कम हो गए हैं। पाम ऑयल (कच्चा पाम तेल) और पामोलीन तेल सहित कच्चे मूंगफली का तेल पहले के स्तर पर बने हुए हैं। अब बड़े तेल के आगे देसी सरसों का तेल भी बन गया है। वहीं अगले महीने मार्च में होली का त्योहार (Holi Festival) भी आ रहा है. इस ग्रहण पर घर पर दबदबा रहता है। इस बार पूरी, कचौड़ी, पकौड़ी, पापड़, भजिया तलने के लिए महिलाओं को कम खर्च करना होगा।
मंडियों में सर्वश्रेष्ठ की समीक्षा करें
इस बार देश में ज़रुरत से ज़्यादा भ्रामक हस्ताक्षर का आयात हुआ है। इसके कारण देसी तेल-तिलहन के दाम पस्त हो गए हैं। मंडियों में सरसों की कमाई लगातार 8 से 8.25 लाख बोरी पर पहुंच गई है। मध्य प्रदेश के सागर में पिछले साल बिना सरसों की बिक्री 4,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर हुई जो 5,000 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी (एमएसपी) से काफी कम है। इस पुराने सरसों के स्टॉक में तेल की मात्रा कुछ कम है. चमकी शटर पर नकेल नहीं लगा, तो सरसों की नई कटौती भी एमएसपी से नीचे आ सकती है।
तेल के अभी ये हैं भ
बस सरसों का तेल देश में कुछ जगहों पर 150 से 160 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है, जो साल 2022 में 200 रुपये का भाव पर बीका था। अगर गर्मी का पर्दा घटता है तो इस साल आम लोगों को खाने के तेल के महंगे दामों से राहत और मिलेगी।
बिनौला तेल की मात्रा दर्ज करें
देश के अन्य राज्यों की तुलना में गुजरात में बिनौला तेल 2-3 रुपये प्रति किलो ज्यादा होता है, क्योंकि इस तेल की सबसे ज्यादा खपत गुजरात में होती है। लेकिन इस बार बड़े शटर के दबाव में बाकी राज्यों से बिनौला तेल का भाव लगभग 1 रुपये प्रति किलो कम बिक रहा है।
देसी तेल के लिए मुश्किलें
विदेशी स्टीकर के आयात की छूट से देसी तेल तिलहनों के लिए मुश्किल स्थिति पैदा हो जाती है। किसानों की सरसों नहीं बिकी तो उनकी देनदारी तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर से हो सकती है। ऐसे में यह देश और किसानों के हित में ही होगा कि देसी तेल तिलहनों के खपने की स्थिति बनाने के लिए एकदम खुली रेखाओं को दी गई छूट खत्म हो जाती है।
कुछ वीडियो में तेल-तिलहनों के भाव
- सोयाबीन तेल मिल डिलीवरी दिल्ली- 11,780 रुपये प्रति क्विंटल
- पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,440 रुपये प्रति क्विंटल
- मूंगफली तेल मिल वितरण (गुजरात) – 16,550 रुपये प्रति क्विंटल
- सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,320 रुपये प्रति क्विंटल
- पामोलिन एक्स-कांडला- 9,480 रुपये (बिना रजिस्टर के) प्रति क्विंटल
- रोलिंगौला मिल वितरण (हरियाणा)- 10,280 रुपये प्रति क्विंटल
- सोयाबीन मिल प्रमाण पत्र- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल
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