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अरहर-उरद की बढ़ते देखते से परेशान सरकार, नेफेड-केंद्रीय विक्रेता के माध्यम से बिक्री की तैयारी

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अरहर-उड़द दाल की कीमतों में बढ़ोतरी: गेहूं और आटे की वजह से रोटियां वैसे ही अंधेरी हैं। अब रोटी के साथ दाल भी महंगी हो गई है. हाल के कुछ महीनों में अरहर दाल के सामने देखा जा रहा है। पिछले एक महीने में अरहर दालडाला की डायरेक्ट्री में 10 रुपये से ज्यादा टॉस देखने को मिला है। अरहर दाल ही नहीं बल्कि उड़द दाल के दाम में भी तेजी से है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के डेटाबेस के अनुसार राजधानी में दो जनवरी 2023 को अरहर दाल की कीमत 111 रुपये प्रति किलो थी जो 18 अप्रैल को बढ़ा 116.77 रुपये प्रति किलो हो गई है। जबकि आर्थिक राजधानी मुंबई में दो जनवरी को अरहर दाल 125 रुपये किलो में मिल रहा था जो 18 अप्रैल को 141 ​​रुपये प्रति किलो में मिल रहा है। केवल अरहर दाल ही नहीं बल्कि उड़द के दामों में भी तेजी आ रही है। दो जनवरी 2023 को उरद मुंबई में 125 रुपये किलो में मिल रहा था जो 18 अप्रैल को 137 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है। जबकि दिल्ली में 106.55 रुपये में दो जनवरी को मिल रहा था जो अब 108.70 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है।

सरकार को ये स्टॉक मिला है कि पर्याप्त मात्रा में अरहर दालों के इंपोर्ट के बावजूद स्टॉक को बाजार में जारी नहीं किया जा रहा है। अरहर दालों की होर्डिंग जा रही है। और होर्डिंग के जरिए बाजार में संबंध अरहर दालों की कमी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। होर्डिंग के चलते अरहर दाल की निगाहें भी देखने को मिलीं।

दाल की खुली में उपवास की वजह से म्यांमार से आपूर्ति में कमी है। तो अफ्रीका से भी घटिया आपूर्ति है। जबकि भारत में दाल की मांग तेजी से देखी जा रही है। मांग और आपूर्ति में गड़बड़ी के चलते अरहर और उड़द के कारण दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। उस पर से उत्पादन भी घटा है। 2021-22 में दलहन का प्रोजेक्ट 42 लाख टन था जो 2022-23 में घटकर 36 लाख टन रह गया।

इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव है तो एक साल बाद लोकसभा चुनाव है। सरकार के लिए दस्‍तावेज की जिम्‍मेदारी व्‍यापक चुनौती है। केंद्र सरकार ने राज्यों से स्टॉक्स का सत्यापन करने का दावा किया है। और जिन लोगों ने स्टॉक को अपने आवश्यक तथ्य अधिनियम, 1955 के खिलाफ प्रकट नहीं किया है और सागरखोरी कानून के तहत कार्रवाई करने के लिए भी कहा है। योजनाओं के चलते कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है। ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय भंडार और नेफेड के माध्यम से भी सरकार के माध्यम से दाल की बिक्री कर सकते हैं जिससे किसी को भी दाल की पहुंच से लोगों को यथासंभव राहत मिल सकती है।

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