गृह ऋण कर बचत: बहुत से लोग सोचते हैं कि लोन लेकर घर खरीदना ठीक नहीं है, इसलिए वे दूसरी जगह निवेश करते हैं। हालांकि, कई वित्तीय प्लानर होम लोन लेकर घर खरीदने और रिकरिंग निवेश या एसआईपी की जगह ईएमआई भरने की सलाह देते हैं। हालांकि यदि आप आयकर टैक्स भर रहे हैं तो मकान खरीदने के लिए विशेष रूप से लोन पर घर खरीदने पर लाभ का सौदा साबित हो सकता है। आइए बात करते हैं कि कानूनी (आयकर अधिनियम) के तहत होम लोन लेने के क्या फायदे हैं और आप टैक्स की बचत को डबल यानी डबल कैसे कर सकते हैं?
सबसे पहले यह जान लेते हैं कि घर खरीदना या रहना है… इस तर्क की उपयोगिता क्या है। घर खरीदना पहले घर खरीदना निवेश से ज्यादा जुड़ा हुआ है। पहला घर हर कोई अपने रहने के लिए खरीदता है, क्योंकि अपना घर कई तरह से मानसिक शांति देने वाला होता है, जो हैक के घर में संभव नहीं है। अगर हम टैक्स के दायरे से देखें तो ऐसे में भी अपना घर खरीदते हैं। हैनी की स्थिति में सिर्फ एचआरए क्लेम किया जा सकता है, जबकि लोन लेकर घर लेने पर कई छूट क्लेम करने का मौका मिलता है।
क्लेम कर सकते हैं ये डिडक्शंस
देनदारी कानून के तहत, होम लोन के मूलधन के पुनर्भुगतान पर सेक्शन 80C के तहत लदान लाख रुपये तक की कटौती की जा सकती है। वहीं, सेक्शन 24(बी) के तहत होम लोन के वेग पर 2 लाख रुपये तक की डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। कर्ज लेने वाला व्यक्ति इन दोनों को मिलाकर एक वित्त वर्ष में बचत में 3.5 लाख रुपये तक का क्लेम कर सकता है।
ज्वाइंट लोन लेने पर दोहरा लाभ होता है
अगर आप अपनी पत्नी के साथ ज्वाइंट होम लोन लेते हैं तो आप दोनों अलग-अलग लाभों को क्लेम कर सकते हैं। ऐसे में कम्बाइन लिमिट सेक्शन 80सी के तहत 3 लाख रुपये और सेक्शन 24 (बी) के तहत 4 लाख रुपये होंगे। यानी कुल 7 लाख रुपये का डिडक्शन मिलेगा। यह ऐसा कदम है, जो आपके होम लोन को एसेट क्रिएशन टूल के साथ टैक्स सेविंग एवेन्यू बना सकता है।
इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है
हालांकि, टैक्स बेनिफिट का लाभ लेने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। होम लोन के को-बोरोअर को प्रॉपर्टी में को-ऑनर भी होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर वह टैक्स में लाभ नहीं उठा सकता है। ऐसे मामलों में ईएमआई चुकाने में हिस्सेदार होने के बावजूद उसका टैक्स बेनीफिट नहीं कवर।