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‘अनपढ़’ बिंदु कैसे बनीं बॉलीवुड की वैम्प? 13 साल की उम्र से घर संभाला, जिंदगी भर बच्चे को तरसीं

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Bindu Anknown Facts: ‘रॉबर्ट’ यानी अजीत कुमार के दिलों-दिमाग पर अपने हुस्न का जादू चलाने वाली ‘मोना डार्लिंग’ का किरदार निभाकर पूरी इंडस्ट्री में छाने वाली बिंदु को कौन भूल सकता है. फिल्मों में डांस से लेकर अपने निभाए किरदारों के कारण बॉलीवुड में अपनी छाप छोड़ने वाली अभिनेत्री का एक्ट्रेस बनना कोई ‘इत्तेफाक’ नहीं था. 70 के दशक में पर्दे पर बोल्डनेस और खूबसूरती का तड़का लगाने वाली बिंदु का क्रेज लोगों के सिर चढ़कर बोलता था.

हर सिनेप्रेमी उनके अंदाज का दीवाना था. तो आखिर कैसे हमारी बर्थडे गर्ल बिंदु ने इंडस्ट्री में अपनी अमिट छाप छोड़ी? यह जानने के लिए चलिए ले चलते हैं आपको बिंदु की जिंदगी के सफर पर…

बचपन में ही संभाला घर

भारत में जब किसी भी अच्छे घर की लड़की का फिल्मी इंडस्ट्री में आना गलत माना जाता था, उस समय 16 अप्रैल 1941 के दिन गुजरात में ऐसी लड़की का जन्म हुआ, जिसने समाज के कई आयामों को तोड़ दिया. मशहूर फिल्म निर्माता नानू भाई देसाई और थिएटर एक्ट्रेस ज्योत्सना के घर जन्मी बिंदु का सिनेमा की दुनिया से जन्म का नाता रहा. पिता और माता के ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़े होने के कारण बिंदु बॉलीवुड पर बचपन से ही मोहित थीं. हालांकि, उनके पिता चाहते थे कि बिंदु बॉलीवुड में न जाकर, डॉक्टर बनें और उनका नाम आगे बढ़ाएं. वैयजंतीमाला की फैन रहीं बिंदु के सिर से पिता का हाथ महज 13 साल की उम्र में ही उठ गया. इसके कारण पूरे घर की जिम्मेदारी छोटी सी उम्र में बिंदु के कंधों पर आ गई. 

अभिनय को चुना अपना रास्ता

इसके बाद छोटी सी बिंदु के सामने ‘दो रास्ते’ थे. पहला यह कि वह अपने पिता का सपना पूरा करने की राह पर चलतीं या फिर जो वह हमेशा से बनना चाहती थीं, उसकी तरफ कदम बढ़ातीं. ‘मेमसाब’ ने कौन सा रास्ता चुना, इस बात से हम सभी अवगत हैं. पिता के जाने के बाद छोटी सी उम्र में ही ‘मोना डार्लिंग’ ने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रख दिया.

इतना ही नहीं, आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी बिंदु ने शादी भी जल्द ही कर ली थी. अपने करियर में तकरीबन 160 फिल्में करने वाली बिंदु का फिल्मी सफर साल 1962 में आई फिल्म ‘अनपढ़’ से शुरू हुआ था. बिंदु की ‘डोली’ सजने के बाद उनकी जिंदगी में ऐसा ‘इत्तेफाक’ हुआ कि अभिनेत्री के जीवन की ‘कटी पतंग’ की पूरी ‘दास्तां’ ही बदल गई. राजेश खन्ना की साल 1997 में आई फिल्म ‘कटी पतंग’ से बिंदु को शब्बो नाम मिला, जो मोना डार्लिंग से पहले उनकी पहचान बना.

नेगेटिव किरदारों से हीरो पर भी पड़ीं भारी

उस दौर में जहां सभी अभिनेत्रियां मुख्य किरदारों में अपना सिक्का जमाना चाहती थीं, बिंदु ने इनके बिल्कुल उलट रास्ता चुना. बिंदु ने नेगेटिव किरदारों को अहमियत दी और अलग पहचान बनाने में सफलता हासिल की. हीरोइन बनने निकली बिंदु के नेगेटिव किरदारों को निभाने की दाद देना तो बनता है, क्योंकि चाहे वह ‘मोना डार्लिंग’ हों या ‘बीवी हो तो ऐसी’ की खूसट सास, सभी किरदारों में बिंदु ने अपने कमाल के अभिनय से हर किसी को अपना फैन बना दिया. बिंदु ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया, जिनमें वह बड़े-बड़े कलाकारों पर भारी पड़ती थीं. हालांकि, बिंदु का फिल्मी सफर जितना रंगीन रहा, उतनी ही बेरंग अभिनेत्री की निजी जिंदगी रही. छोटी सी उम्र में चंपक लाल झावेरी से शादी करने वाली बिंदु के घर बच्चे की किलकारी नहीं गूंजी, जो उनके जीवन का सबसे बड़ा दर्द साबित हुआ.

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