तिहाड़ जेल के डीजी संजय बेनीवाल विशेष: दिल्ली स्थित सेंट्रल कारागार इतिहास के बारे में संजय बेनीवाल ने जेल में सुरक्षा के लिए कब्जा करने वाले उपायों के बारे में एबीपी न्यूज के साथ विशेष बातचीत की। पिछले दिनों जेल में यातना झेल रहे टिल्लू ताजपुरिया पर हमला करने वाले की हत्या कर दी गई थी। आरोप गोगी गैंग के गुर्गों पर लगा था। इस घटना के बाद ऐतिहासिक जेल की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल उठाएं। तिहाड़ जेल के डीजी ने कई सवालों के जवाब दिए।
तिहाड़ जेल के डीजी संजय बेनीवाल ने कहा, ”हमारी कोशिश है कि अब कोई मौजूद न हो. इस तरह से मिलते-जुलते कई कारण होते हैं, यह हुआ, इससे बाद में मैंने समझौता किया जिससे पता चला कि कहां-कहां दीवार छोटी है या जहां तार लग गए हैं।” उन्होंने कहा कि प्रतिबद्धताओं को और मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है।
क्यूआरटी टीम की जरूरत है
उन्होंने बताया कि कानून के मुताबिक जेल के अंदर हथियार नहीं ले जा सकते हैं। पोली सिंगल डंडे होते हैं तो हमें तुरंत प्रतिक्रिया करने वाले दल (क्यूआरटी) की जरूरत होती है, जिसके पास फुल बॉडी प्रोटेक्टर होन और नॉन लीथल वेपन जैसे कि आंसू गैस, स्टंट ग्रेनेड और कई तरह के शॉक बेटन जैसी चीजों से वो लथपथ हो जाते हैं।
जेल के डीजी ने कहा, ”क्यूर्ट बन गया है लेकिन इक्विपमेंट को आने में बहुत कम समय लगता है।” लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर देखा गया। हर जगह हर प्वाइंट के ऊपर जो ड्यूटी की रवैया रखते हैं कि किस प्वाइंट पर आप क्या करना चाहते हैं, उसका स्टैंडिंग ऑर्डर लिख रहे हैं ताकि हमारी कार्य प्रणाली योजनाएं हो। हर वार्ड के अंदर रोज का चेक अप संबंध जा रहा है।’
तिहाड़ जेल के फैसले ने कहा, ”जिन्हें बंदियों को असुरक्षित (सुरक्षा की दृष्टि से खतरा) होता है बाहर से या खुद से, उनकी असेसमेंट (मूल्यांकन) के लिए एक समिति होती है। कमेटी में दिल्ली पुलिस के नंबर हैं ताकि जो उनके पास सूचना दे वो शेयर कर सके। उसके आधार पर हम यह फैसला कर सकते हैं कि किसको कहां अलग करना है।”
‘हर गैंग में सौ गुना सौ आदमी’
डीजे संजय बेनीवाल ने कहा, ‘जेल के अंदर करीब 10 से 12 गैंग हैं। इनमें से हर एक के 100-150 छोटे छोटे स्तर हैं। ये कभी एक हो जाते हैं, कभी अलग हो जाते हैं। यह डायनेमिक रहता है। फिर कोई आ रहा है, किसी को बेल मिल रही है, किसी नंबर में भी इसकी कमी रहती है। इसके लिए पूरे चैनल को होना चाहिए तो यह हर महीने एक्सपोजर हो रहा है।”
‘बड़े अपराधियों की ओर से गलत काम के लिए इस्तेमाल होते हैं फोन’
जेल के डीजी ने कहा, ”कैदियों के बारे में बात करने का टेलीफोन है। एलजी साहब ने भी एक कमेटी बनाई है, जिसका काम है कि किस प्रकार इन जेलों को फोन से मुक्त किया जा सकता है। उसका तरीका यह है कि फोन अंदर जाने बंद हो जाएगा तो अंदर से फोन करना ही असंभव हो जाएगा, लेकिन जो गलत काम के लिए फोन का इस्तेमाल होते हैं वो बड़े अपराधी की ओर से होते हैं। आम अपराधी घर की बात करते हैं। यह बहुत जरूरी है कि अगर हम 5 मिनट हर कैदी को घर पर बात करने की अनुमति देंगे तो एक साथ टेलीफोन होना चाहिए ताकि सुविधा हो। ऐसा होने से मुझे लगा कि फोन की जरूरत कम हो जाएगी। अवैध फोन की। फोन को फिर हम जैम कर लेंगे तो बिल्कुल ही बंद हो जाएंगे। यह बहुत जरूरी है कि जेल को जो सुविधाएं हैं वो हो सकती हैं।”
उन्होंने कहा, ”केंद्र सरकार ने जो नया संस्करण प्रक्षेपण अधिनियम जारी किया है, उसमें समस्या को काफी हद तक संबोधित किया गया है।” उन्होंने कहा कि पेपर स्प्रेयर खरीदने का विचार है। साथ ही कहा कि टेसर गन में अभी कुछ हेल्प की समस्या है उस पर विचार करने की जरूरत है।
‘कैदी मेरी नजर में कैदी होते हैं’
ऐतिहासिक जेल के बहाने कहा, ”कैदी मेरी नजर में कैदी हैं। सब बराबर होते हैं, कई कठोर और अपराधी होते हैं जो बार-बार अपराध करते हैं। कानून कहता है कि उनके साथ छोटे से अलग व्यवहार की आवश्यकता है। जो कैदी पहली बार आता है, उसे हमारे यहां सबसे अलग रखा जाता है। 18 से 21 साल की उम्र वालों को हम यंग ऑफेंडर कहते हैं। उनके अलग-अलग जेल होते हैं जो दोषी करार दिए जाते हैं, उनके अलग-अलग जेल होते हैं। प्रतिबंधित हमारी समिति जब कहती है कि यह कठोर अपराधी है और इसकी धमकी है तो हम उच्च मानक बोर्ड में रखते हैं। वे अलग हो जाते हैं। उनके ऊपर अलग-अलग प्रतिबंध लगते हैं जो मैनुअल में लिखे गए हैं।”