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‘अगर हर दिन भड़का रही तो…’ बंगाल पंचायत चुनाव में हुई हिंसा पर ममता सरकार ने दी थी ये दलील

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पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव 2023: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव 2023 में शनिवार (08 जुलाई) को भारी हिंसा हुई। इस दौरान हमले में 13 लोगों की मौत हो गई, घायल हो गए और घायल हो गए। इसके एक दिन बाद रविवार (09 जुलाई) को पार्टिकल पार्टी पार्ट पार्ट पार्ट 1 (टीएमसी) ने व्यापक रूप से जारी हिंसा के आरोप का खंडन किया है।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादियों का कहना है कि 61 हजार दावों में से केवल 60 दावों पर हिंसा की घटनाओं की जानकारी है। पार्टी के नेता नेशनल घोष, शशि पांजा और ब्रैटी बसु ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मामले पर सफाई दी। इन लोगों ने कहा, “कोई भी व्यक्ति घातक है और जो भी लोग इसकी चपेट में आए हैं वे अपनी प्रति सहनशक्ति प्रकट करते हैं।”

हिंसा के दावों को खारिज कर दिया गया

कट्टरपंथी नेताओं ने हिंसक हिंसा के समर्थकों को लिबरेशन से खारिज कर दिया और कहा कि वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही ये भी दावा किया गया कि रेस्टॉरेंट मेट्रिक्स और कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म्स के प्रचार को ‘हिंसा का प्रचार’ करने के लिए बदनाम किया जा रहा है।

कुणाल घोष का कहना है, “विपक्षी दल पूरी तरह से विचारधारा को लेकर हिंसात्मक प्रयास कर रहे हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर मुसलमानों और कम्युनिस्टों के चुनाव का श्रेय आम जनता को दिया जाता है।” उन्होंने दावा करते हुए आगे कहा, “ज्यादातर आतंकवादी आतंकवादी आतंकवादी बने हुए हैं, इसलिए अगर अलौकिक हिंसा भड़क रही थी तो वो अपने दार्शनिकों को आतंकवादी आतंकवादी क्यों बनाएगी?”

इसके अलावा, शशि पांजा ने सेंट्रल कंसल्टेंसी की गलती को नियंत्रित करने के लिए हिंसा की और कहा, “विपक्षी कंसल्टेंसी ने सेंट्रल काउंसिल की मांगों की मांग की थी। यदि व्यापक रूप से हिंसा हुई तो ये केन्द्रीय बल कहाँ थे और उन्हें रोका क्यों नहीं गया?”

आगे वो कहते हैं, “ऐसे उदाहरण हैं जहां सीमा सुरक्षा बल सहित सेंट्रल एलसीडी को कैमरों पर धमाका करना और वोट देने के लिए एक विशिष्ट पार्टी को देखना देखा गया। इससे पता चलता है कि केंद्रीय सेनाओं को राजनीतिक आकाओं की स्थापना की गई थी।

सम्मिलन का क्या कहना है?

वहीं, मामले पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के उप महानिरीक्षक एसएस गुलेरिया ने पहले कहा था कि उनके बार-बार सुरक्षा बल की जानकारी के लिए पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग ने विवरण प्रदान नहीं किया है, जिससे इन क्षेत्रों में सुधार हो सके। उनकी सुविधा के रूप में सुरक्षित करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न हुई।

डीडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले राज्य चुनाव आयोग ने कुल 61,539 में से 4,834 बूथों की पहचान की थी और अतिरिक्त सुरक्षा की व्यवस्था की थी। प्लास्टिक कांग्रेस का आरोप है कि पार्टियों ने गैर-संवेदनशील बूथों के लिए अशांति फैलाई।

हिंसा में 13 लोगों की मौत

शनिवार को पंचायत चुनाव के दौरान राज्य भर में हुई हिंसक हिंसा में कम से कम 13 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र में मुर्शिदाबाद, कुश बिहार, मालदा, दक्षिण 24 परगना, उत्तरी दिनाजपुर और नादिया शामिल हैं।

ये भी पढ़ें: बंगाल पंचायत चुनाव: ‘बंगाल में नहीं मिली बूथों की जानकारी’, बीएसएफ का बयान, बीजेपी बोली- मजाक



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