Bihar Caste Survey: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वेक्षण को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘जिनकी जितनी आबादी, उतना हक’ वाले बयान पर पार्टी नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार (3 अक्टूबर) को अलग राय रखी. हालांकि बाद में उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया.
सोशल मीडिया एक्स पर सिंघवी ने लिखा, ”अवसर की समानता कभी भी परिणामों की समानता के समान नहीं होती है. जितनी आबादी उतना हक का समर्थन करने वाले लोगों को पहले इसके परिणामों को पूरी तरह से समझना होगा. यह आखिर में बहुसंख्यकवाद में परिणत होगा.” सिंघवी ने बाद में इस पोस्ट को डिलीट कर दिया.
सिंघवी के बयान पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ये उनकी निजी राय है. उन्होंने एक्स पर कहा, ”सिंघवी का ट्वीट निजी विचार हो सकता है, लेकिन ये कांग्रेस की राय नहीं है. इसका सार 26 फरवरी 2023 के रायपुर घोषणापत्र और 16 सितंबर 2023 के कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव दोनों में है.”
Dr. Singhvi’s tweet may be a reflection of his own personal view but in no way does it reflect the position of the Indian National Congress — the essence of which is contained both in the Raipur Declaration on 26th February, 2023 and in the CWC Resolution of September 16th, 2023.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 3, 2023
अभिषेक मनु सिंघवी ने क्या कहा?
सिंघवी ने सफाई देते हुए कहा, ”मैंने पार्टी से अलग राय नहीं रखी है. हमने समर्थन किया है और करते रहेंगे. कोर्ट के जितने भी आदेश आए उसमें कहा गया है कि तथ्य के आधार पर निर्णय हो. ऐसे में तथ्यों के लिए अनिवार्य है कि जातिगत जनगणना हो.”
सिंघवी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘‘एक कर्मचारी ने लापरवाही से बयान जारी किया जिसे थोड़े समय के अंतराल पर हटा दिया गया. जब मैं सुप्रीम कोर्ट में एक सम्मान समारोह से बाहर आया तो इसे देखा और तुरंत इसे हटा दिया गया.’’
#WATCH | On his tweet (that now stands deleted) on caste-based survey, senior Congress leader and senior advocate Abhishek Singhvi says, “I didn’t take a different stand. We have supported it and we will continue to support it. All the Court orders that have come in say that the… pic.twitter.com/q8Q5Tap453
— ANI (@ANI) October 3, 2023
राहुल गांधी ने क्या कहा?
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार (2 अक्टूबर) को एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां ओबीसी, एससी और एसटी 84 प्रतिशत हैं, केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से सिर्फ़ 3 ओबीसी हैं, जो भारत का मात्र 5 प्रतिशत बजट संभालते हैं!’’
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है। जितनी आबादी, उतना हक़ – ये हमारा प्रण है. ’’
जाति आधारित सर्वे में क्या सामने आया?
बिहार सरकार ने सोमवार को जाति आधारित सर्वे जारी किया. इसके मुताबिक, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हैं. राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है.
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