<p style="text-align: justify;">साल 2022 के नवंबर महीने में भारत बंगाल की खाड़ी में एक बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण करने वाला था. मिसाइल के टेस्टिंग के उस इलाके में नो-फ्लाई जोन की चेतावनी भी दी जा चुकी थी. लेकिन, उसी वक्त चीन ने अपने जासूसी जहाज युआन वांग-6 को हिंद महासागर क्षेत्र में उतार दिया. चीन के इस जहाज के कारण भारत को बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण की तारीख को कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ाना पड़ा. </p>
<p style="text-align: justify;">ठीक इसी के एक साल बाद यानी साल 2023 के अक्टूबर महीने में भारत बंगाल की खाड़ी में एक और मिसाइल का परिक्षण करने जा रहा है, 5 से 9 अक्टूबर तक लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट के लिए बंगाल की खाड़ी से हिंद महासागर तक नो फ्लाई जोन बनाए जाने की घोषणा की गई है. लेकिन, इस परीक्षण से पहले ही चीन ने अपने एक और जासूसी जहाज शी यान-6 को हिंद महासागर में उतार दिया है. फिलहाल मिल रही जानकारी के अनुसार यह जहाज हिन्द महासागर के बीचो-बीच 90 डिग्री पूर्वी देशांतर के रिज पर है और लगातार श्रीलंका की तरफ बढ़ रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;">एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 से अब तक यानी पिछले चार सालों में चीन ने लगभग 48 चीनी वैज्ञानिक अनुसंधान जहाजों को हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में तैनात किया है, जिसमें तैनाती का सामान्य क्षेत्र बंगाल की खाड़ी और दक्षिण के साथ- साथ फारस की खाड़ी की ओर अरब सागर है.</p>
<p style="text-align: justify;">ऐसे में इस रिपोर्ट में जानेंगे कि चीन का जहाज शी यान- 6 का मिशन श्रीलंका भारत के लिए इतना खतरनाक क्यों है और यह चिंता कैसे बढ़ा रहा है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पहले जानते हैं कि आखिर ये शी-यान 6 है क्या </strong></p>
<p style="text-align: justify;">शी यान 6 एक तथाकथित चीनी रिसर्च जहाज है. चीन के अनुसार उसका ये जहाज राष्ट्रीय जलीय संसाधन अनुसंधान और विकास एजेंसी (एनएआरए) के साथ शोध करता है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये चीन का एक जासूसी जहाज है. </p>
<p style="text-align: justify;">शि यान 6 जहाज विज्ञान और शिक्षा के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए चीन की 13वीं पंचवर्षीय योजना की एक प्रमुख परियोजना है. अपने उद्घाटन के दो साल बाद, जहाज ने 2022 में पूर्वी हिंद महासागर में अपनी पहली यात्रा सफलतापूर्वक की थी. श्रीलंका की रानिल विक्रमसिंघे सरकार ने अक्टूबर में कोलंबो बंदरगाह पर इस चीनी अनुसंधान पोत को खड़ा करने की अनुमति दी है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>श्रीलंकाई जलक्षेत्र में रहने की मिल गई है मंजूरी </strong></p>
<p style="text-align: justify;">शी यान- 6 इस वक्त हिंद महासागर में है और फिलहाल यह श्रीलंका की तरफ बढ़ रहा है. श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने जुलाई में इस यान को <a title="साल 2023" href="https://www.abplive.com/topic/new-year-2023" data-type="interlinkingkeywords">साल 2023</a> के नवंबर महीने तक श्रीलंका के जलक्षेत्र में रहने की मंजूरी भी दे चुके हैं. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>श्रीलंका के विदेश मंत्री का भारत को भरोसा </strong></p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने इस जहाज के हिंद महासागर में उतरने के साथ ही कहा कि, ‘ श्रीलंका ने चीनी जहाज को अक्टूबर में अपने बंदरगाह पर रुकने की अनुमति नहीं दी है. इसे लेकर फिलहाल बातचीत जारी है. </p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा कि, ‘कोलंबो ने चीनी जहाज शी यान 6 को भारतीय सुरक्षा चिंताओं के कारण श्रीलंका की तरफ आने की अनुमति नहीं दी है. उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षा संबंधी चिंताएं श्रीलंका के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि बातचीत चल रही है और अगर जहाज श्रीलंका की मानक संचालन प्रक्रियाओं का अनुपालन करता है, तो कोई समस्या नहीं होगी.'</p>
<p style="text-align: justify;">इससे पहले श्रीलंका के डेली मिरर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि चीन का खोजी जहाज अक्टूबर के महीने में श्रीलंका में रुक सकता है. भारत इस जहाज पर एक महीने से भी ज्यादा समय से कड़ी नजर रख रहा है. चीन का जासूसी जहाज 23 सितंबर को मलक्का जलडमरूमध्य से हिंद महासागर में पहुंचा और 10 सितंबर को यह होम पोर्ट गुआंगजौ से निकला और 14 सितंबर को सिंगापुर में देखा गया था.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भारत के लिए जहाज का उतरना क्यों है खतरा </strong></p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल चीन का ये जासूसी जहाज ऐसे समय में हिंद महासागर में उतरा है जब भारत बैलिस्टिक मिसाइल का यूजर-ट्रायल करने वाला था. ऐसे में अगर भारत परीक्षण करता है तो इस जासूस जहाज को भारतीय मिसाइल की खुफिया जानकारी पता चल सकती है. चीन को इस मिसाइल की स्पीड, रेंज और एक्यूरेसी का पता चल सकता है. </p>
<p style="text-align: justify;">पिछले साल भी कुछ ऐसा ही हुआ था. जब भारत के परीक्षण से कुछ दिन पहले चीन ने अपने जासूसी जहाज हिंद महासागर में छोड़ दिए थे. चीन की इस हरकत से ये तो साफ है कि यह देश बार बार ऐसा करके भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है. </p>
<p style="text-align: justify;">कुछ हफ्ते पहले ही कोलंबो बंदरगाह पर निगरानी क्षमताओं वाला चीनी नौसेना का एक अलग युद्धपोत HAI YANG 24 HAO भी खड़ा किया गया था. भारतीय क्षेत्र के इतने नजदीक चीनी जहाजों की लगातार हो रही तैनाती ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है. ऐसा माना जा रहा है कि इन जहाजों में फिट रडार प्रणाली का इस्तेमाल तटीय क्षेत्रों में तैनात महत्वपूर्ण भारतीय रक्षा स्थलों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके अलावा हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति और गतिविधियां भी भारतीय नीति निर्माताओं और सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए चिंता और चर्चा का विषय बनी हुई है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>हिंद महासागर में चीन का दबदबा भारत के लिए सिरदर्द </strong></p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल भारत और चीन के रिश्ते साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प के बाद से ही खराब होते गए हैं. सुरक्षा जानकारों के अनुसार ये तनाव अब हिन्द महासागर में भी महसूस किया जा रहा है क्योंकि दोनों ही देश इस इलाक़े में अपना दबदबा बनाना चाहते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">पिछले कुछ सालों में भारत का पड़ोसी देश चीन अपनी नौसैनिक क्षमताओं का आधुनिकीकरण को काफी तेजी से बढ़ाने में लगा है. चीनी नौसेना ने विमान वाहक जहाज़ों, सतही युद्धपोतों और सैन्य पनडुब्बियों को बड़ी संख्या में अपने बेड़ों में शामिल किया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong> "स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स" की राजनीति करना चाहता है चीन </strong></p>
<p style="text-align: justify;">हिन्द महासागर में चीन जिस रणनीति के तहत काम कर रहा है उसे "स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स" के नाम से जाना जाता है. इस रणनीति के तहत हिंद महासागर के आसपास के देशों में रणनीतिक बंदरगाहों और बुनियादी ढांचे का निर्माण और सुरक्षा शामिल है जिसका ज़रूरत पड़ने पर सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">ऐसा माना जाता है कि चीन इन "पर्ल्स" को समुद्री मार्गों पर कई देशों के साथ रणनीतिक संबंध बनाने में मदद करने के लिए बनाए जा रहे हैं. चीन पाकिस्तान के ग्वादर में बंदरगाह बना रहा है. इसके अलावा हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका में जिबूती बंदरगाह बना रहा है. इस देश श्रीलंका के हंबनटोटा को भी 99 साल की लीज़ पर ले लिया है. ये बंदरगाह चीन को हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी नौसैनिक पहुंच और प्रभाव बढ़ाने में मददगार हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भारत को चीन से कितना खतरा है?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">चीन का हिंद महासागर में प्रभाव बढ़ना भारत के लिए स्थायी चुनौती है. इस बात में कोई दोराय नहीं है कि चीन की समुद्री सीमा पर बहुत मज़बूत उपस्थिति है ये समय के साथ बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में भारत को विस्तारवादी नीति रखने वाले चीन के इरादे के लेकर चिंतित होना लाजमी है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भारत को क्यों उकसाना चाहता है चीन </strong></p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल एशिया और हिंद प्रशांत इलाके में अगर चीन के विस्तारवाद को कोई देश रोक सकता है तो वो भारत ही है. ऐसे में चीन पिछले कुछ सालों से भारत से उखड़ा हुआ है, खासकर के जब से भारत का झुकाव अमेरिका की तरफ हुआ है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या इसलिए अमेरिका से नजदीकी बढ़ा रहा भारत </strong></p>
<p style="text-align: justify;">पिछले डेढ़ साल में भारत के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री कई बार अमेरिका का दौरा कर चुके है. इन दौरों को कई नजरिए से देखा जा रहा है. कुछ जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में भारत अमेरिका के करीब और रूस से दूर हो गया है. कुछ का कहना है कि अमेरिका भारत को चीन के खिलाफ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. राजनीतिक जानकार का ये भी मानना है कि दोनों देशों की नजदीकी का एक कारण ये भी हो सकता है कि अमेरिका भारत को हथियार बेचना चाहता है और उसकी नजर भारत के विशाल बाजार पर है. इन तीनों बातों के पीछे ठोस तर्क दिए जा रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में भारतीय मूल के अमेरिकी पत्रकार फरीद जकारिया कहते हैं, ‘ पिछले कुछ सालों में चीन की जिस से ताकत और सीमा पर आक्रामकता बढ़ी है उसे देखते हुए भारत का अमेरिका के करीब जाना कोई चौंकाने वाला कदम नहीं है. भले भारत और रूस के संबंध काफी पुराने और गहरे हैं लेकिन भारत चीन का सामना रूस के भरोसे नहीं कर सकता. ये भी भूलना नहीं चाहिए कि यूक्रेन में हो रही जंग के बाद मॉस्को बीजिंग का जूनियर पार्टनर बन गया है. अब चीन रूस को अपने हिसाब से मोड़ सकता है. </p>
<p><strong>चीन ने बना लिया है साउथ चाइना सी में अपना दबदबा</strong></p>
<p>दरअसल चीन ने साउथ चाइना सी में अपना दबदबा बना लिया है और हिंद प्रशांत में भी चीन लगातार ताकतवर हो रहा है. ऐसे में चीन से निपटने के लिए भारत को कहीं न कहीं अमेरिका की जरूरत है. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका को एक ऐसे पार्टनर की तलाश है, जो न सिर्फ लोकतांत्रिक हो बल्कि ताकतवर भी हो. अमेरिका लगातार चीन के विकल्प की तलाश कर रहा है और भारत वहां बिल्कुल फिट बैठता है. </p>
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